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राज्यपाल के पद पर कल्याण सिंह की उलटी गिनती शुरू!
हालांकि कल्याण सिंह का राज्यपाल के पद पर सिर्फ पांच महीने का कार्यकाल शेष है। 2014 में मोदी की सरकार के गठन के बाद सितंबर महीने में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाकर भेजा गया था।
योगेश मिश्र
लखनऊ: राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह अब कुछ ही दिनों के इस पद पर मेहमान हैं उनके एक बयान ने उन्हें एक ऐसे सांसत में डाल दिया है जिसके चलते उन्हें इस्तीफा देने को जल्द ही कहा जा सकता है।
इस बाबत निर्वाचन आयोग और कानून मंत्रालय की जो सलाह हासिल हुई है उसके मुताबिक कल्याण सिंह के सामने पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है उन पर आचार संहिता के उल्लंघन के साथ साथ राज्यपाल के पद पर रहते हुए खुद को भाजपा का कार्यकर्ता कहने का भी आरोप है।
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कल्याण सिंह ने यह विवादास्पद बयान बीते दिनों अलीगढ़ में दिया था। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी भाजपा के कार्यकर्ता हैं हम चाहते हैं कि बीजेपी बड़ी जीत हासिल करे देश के लिए जरूरी है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें। गौरतलब है कि कल्याण सिंह एक संवैधानिक पद पर तैनात हैं।
संवैधानिक पद पर रहते हुए कोई भी व्यक्ति किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं कर सकता है। उसे हमेशा निष्पक्ष ही रहना होता है। संवैधानिक संस्थाओं और पदों का राजनीति करण करने का आरोप लगाती आ रही कांग्रेस ने कल्याण सिंह के बयान को चुनावी मुद्दा बना दिया है। कांग्रेस ने इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए यह भी नजीर दी है कि 1993 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल गुलशेर अहमद को आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा था।
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सूत्रों की माने तो इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति कार्यालय से गुलशेर अहमद को इस्तीफा देने के लिए कहना पड़ा था। गुलशेर अहमद ने मध्यप्रदेश के सतना से चुनाव लड़ रहे अपने बेटे सईद का प्रचार किया था। चुनाव आयोग ने कल्याण सिंह को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी मानते हुए राष्ट्रपति को कार्रवाई के आग्रह वाला पत्र लिख रहा है। इस पत्र पर विधि मंत्रालय की ओर से राष्ट्रपति को जो सलाह दी गई है उसके मुताबिक भी कल्याण सिंह पर कार्रवाई के आलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।
राज्यपाल रहते हुए मंदिर आंदोलन के अगुवा कल्याण सिंह ने वीपी सिंह की जयंती पर लखनऊ में एक कार्यक्रम में यह कहकर सबको चौंका दिया था कि आरक्षण हमारा अधिकार है कोई छीनने की कोशिश करता है तो थप्पड़ मारकर उसे ले लो। राष्ट्रपति कार्यालय को भी विधि मंत्रालय व चुनाव आयोग के आग्रह पर एक दो दिन में ही फैसला लेना है।
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हालांकि कल्याण सिंह का राज्यपाल के पद पर सिर्फ पांच महीने का कार्यकाल शेष है। 2014 में मोदी की सरकार के गठन के बाद सितंबर महीने में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाकर भेजा गया था।