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राकेश टिकैत के आंसुओं ने रातों रात कैसे पलट दी बाजी, पढ़िए पूरी कहानी

राकेश टिकैत भावुक होते हुए कहा कि यदि तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे तो वे आत्महत्या कर लेंगे। राकेश टिकैत के ऐसे भावुक बयान सुनकर आंदोलन का रूख बदल गया।

Chitra Singh
Published on: 29 Jan 2021 12:29 PM IST
राकेश टिकैत के आंसुओं ने रातों रात कैसे पलट दी बाजी, पढ़िए पूरी कहानी
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राकेश टिकैत के आंसुओं ने रातों रात कैसे पलट दी बाजी, पढ़िए पूरी कहानी

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुए हिंसा के बाद बीते गुरुवार को पुलिस प्रशासन एक्शन में दिखी। आंदोलनकारियों के हिसंक रुप को देखते हुए गाजियाबाद पुलिस ने किसान संगठनों को धरना खत्म करने अल्टीमेटम दे डाला। अल्टीमेटम मिलने के बाद किसानों की छावनी में शुरु हुआ हाईवोल्टेज ड्रामा। किसान संगठनों में फुट पड़ने लगा। अटकलें लगाई जा रही थी कि अब आंदोलन यही खत्म हो जाएगा, लेकिन रातो-रात कुछ ऐसा हुआ कि आंदोलन खत्म होने के बजाय और भड़क उठी। आखिर ऐसा क्या हुआ कि बोरियां-बिस्तर समेटने वाले किसान घर जाने के बजाय वापस आंदोलन की छावनी आ धमके, तो चलिए जानते है कि किसानों ने कैसे पलटी रातों-रात बाजी...

बैकफुट पर किसान

जैसा कि गुरुवार को सरकार और किसानों के बीच काफी तनातनी देखने को मिली। दिल्ली हिंसा से ना केवल आम जनता हैरान थी बल्कि किसानों की अपनी बिरादरी भी हैरत में थी। अल्टीमेटम मिलने के बाद आंदोलन कर रहे किसान बैकफुट पर गई थी। वहीं किसान संगठनों में फुट पड़ने लगे थे। उधर प्रशासन भी आंदोलन स्थल को छावनी में बदल दिया। धरना स्थल पर ना केवल पुलिस दिखी बल्कि रैपिड एक्शन फोर्स के जवान भी तैनात हो गए। प्रशासन का ऐसा रवैयै देखते हुए लोग ये मान चुके थे कि आज आंदोलन खत्म हो जाएगा।

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धरना खत्म करने का ऐलान

आंदोलन को लेकर नरेश टिकैट ने तो धरना खत्म करने का ऐलान भी कर दिया था। लेकिन भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने ऐसा पासा फेंका कि एक बार में सरकार बैकफुट पर आ गई। राकेश टिकैत ने इमोशनल वार करते हुए नाराज किसानों और प्रशासन को अपने पक्ष में कर लिया और धरना स्थल से पुलिस को वापस लौटना पड़ा।

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टिकैत का इमोशलन वार

राकेश टिकैत के इमोशनल वार ने आंदोलन को एक बार आग में घी डालने का काम किया और रातों-रात खत्म होने वाला आंदोलन एक बार फिर से आग की तरह भड़क उठी। किसान नेता को भावुक होने देख रातों-रात आंदोलन स्थल पर पड़ोसी राज्यों का जत्था उमड़ पड़ा और किसान एकता के जोर-जोर से नारे लगने लगे। बता दें कि आंदोलन को हवा देने के लिए भिवानी, मेरठ, बागपत से किसान दिल्ली के निकल पड़ें।

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आंदोलन खत्म

वहीं पुलिस किसानों को आंदोलन खत्म करने के लिए मनाती रही। एक वक्त तो ऐसा आया कि मानों सच में किसान आंदोलन का पैकअप हो गया है। प्रशासन ने आंदोलन स्थल से बिजली, पानी के कनेक्शन तक काट चुकी था। वहीं नरेश टिकैत भी आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर चुके थे। उन्होंने कहा था कि वे दोपहर बाद आंदोलन खत्म कर देगें। वहीं ये खबर आने लगी थी कि दिल्ली हिंसा को लेकर राकेश टिकैत को हिरासत में भी ले लिया जाएगा, लेकिन राकेश टिकैत ने मंच से किसानों को संबोधित करते हुए एक नई जान फुंकी और आंदोलन खत्म होने के बजाय और भड़क उठी।



फिर यहा से भड़का आंदोलन

बता दें क जब किसान नेता मंच से किसानों को संबोधित कर रहे थे, तब वे रो पड़े थे। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि यदि तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे तो वे आत्महत्या कर लेंगे। राकेश टिकैत के ऐसे भावुक बयान सुनकर आंदोलन का रूख बदल गया। उनके भावुक होने की खबर को सुन उनके भाई नरेश टिकैत ने तुरंत मुजफ्फरनगर में पंचायत बुलाई। इस पंचायत में हजारों की संख्या में किसान पहुंचे।



बैकफुट पर आई सरकारें

किसानों की एकता को देखते हुए राज्य सरकार और केन्द्र जोकि फ्रंटफुट पर आ गई थी वो सअब बैकफुट पर आ गई। बैकफुट पर आते ही सरकार ने आंदोलन स्थल पर तैनात पुलिस को वापस आने का आदेश दे दिया। वहीं देर रात मीडिया से रूबरू होते हुए राकेश टिकैत ने दावा किया कि शुक्रवार सुबह तक तमाम जिलों से बड़ी तादात में किसान गाजीपुर सीमा पर पहुंच जाएंगे और भोर होते-होते धरना स्थल पर सैकड़ो-हजारों का तदाद में किसानों का जमावड़ा उमड़ पड़ा।

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