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घरवालों से झूठ बोला, जिंदगी दांव पर लगा 1500 KM. दूर गया कोरोना की जांच करने

दरअसल जब पूरा देश कोरोना (COVID-19) से बचने के लिए घरों में कैद हो रहा था, उस समय ये इंसान 1500 किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़ा था। तमाम लोगों के उलट वह अपना स्थायी ठिकाना छोड़कर घर से चल पड़ा।

Aditya Mishra
Published on: 9 April 2020 7:58 AM GMT
घरवालों से झूठ बोला, जिंदगी दांव पर लगा 1500 KM. दूर गया कोरोना की जांच करने
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लखनऊ: इस समय पूरा देश कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। मरीजों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने के साथ मरने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। हालात ये है कि लोग कोरोना से बचने के लिए अपने घरों में बंद हैं।

वहीं कुछ ऐसे लोग भी जो इस संकट की घड़ी में भी अपनी जान की परवाह किये बगैर दूसरों की जान बचाने के लिए आगे आ रहे हैं। तो आइये हम आपको आज ऐसे ही एक कोरोना वारियर्स के बारें में बताते हैं।

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ये हैं पूरा मामला

दरअसल जब पूरा देश कोरोना (COVID-19) से बचने के लिए घरों में कैद हो रहा था, उस समय ये इंसान 1500 किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़ा था। तमाम लोगों के उलट वह अपना स्थायी ठिकाना छोड़कर घर से चल पड़ा।

उसे हर हाल में जल्द से जल्द हैदराबाद से लखनऊ पहुंचना था। दरअसल, उसे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की लैबोरेटरी में पहुंचना था, जहां कोरोना की जांच में वह सहयोग कर सके। ये कहानी तेलंगाना के माइक्रोबायोलॉजिस्ट रामाकृष्णा की है।

तेलंगाना के खम्मम जिले के सुदूर गांव में रह रहे रामाकृष्णा का उस समय फ़ोन बज उठा, जब वे अपने मां-पिता के साथ खेत मे काम कर रहे थे। फ़ोन देखकर थोड़ी हैरत तो जरूर हुई कि अचानक 6 महीने बाद उनके गाइड की कॉल क्यों आई?

फ़ोन पर दूसरी तरफ से आवाज़ आई कि रामाकृष्णा क्या तुम लखनऊ आ सकते हो? यहां तुम्हारी जरूरत है। रामाकृष्णा सोच में पड़ गए। उन्हें 1 घंटे सोचने के लिए दिए गए।

आपको बता दे कि लखनऊ बुलाने के लिए उन्हें केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजिस्ट विभाग की हेड डॉ अमिता जैन ने फ़ोन किया था। डॉ जैन के रिसर्च स्कॉलर रहे रामाकृष्णा इस तरह की जांचों में अहम भूमिका निभा चुके थे।

जीका वायरस, स्वाइन फ्लू और इंसेफेलाइटिस की जांच में निभाई अहम भूमिका

उन्होंने अपनी रिसर्च के दौरान ज़ीका वायरस, स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों की जांच में अहम भूमिका निभाई थी। अब कोरोना की जांच में उनकी जरूरत थी।

रामाकृष्णा ने पलटकर लखनऊ फ़ोन किया और बताया कि वे आ रहे हैं। रामाकृष्णा ने अपने पेरेंट्स से लखनऊ जाने की बात बताई। ये सुनकर उनके ऊपर तो जैसे बिजली गिर गई। दोनों ने मना कर दिया। अब मामला फंस गया।

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घरवालों से बोला झूठ

रामाकृष्णा ने आखिरकार झूठ बोला कि वे अपने एक दोस्त के यहां हैदराबाद जाएंगे, जहां वे अपनी थीसिस पूरी करेंगे क्योंकि गांव में ये काम ठीक से नहीं हो रहा है।

रामाकृष्णा टीबी पर पीएचडी कर रहे हैं और उसके लिए अपनी थीसिस पूरी करने गांव चले गए थे। इस बात पर घर मे रज़ामंदी हो गई और वे निकल पड़े। इसके बाद शुरू हुआ रामकृष्णा का 1500 किलोमीटर का सफर।

वह खम्मम से सीधे बस से हैदराबाद पहुंचे। इसी बीच उन्होंने अपने एक दोस्त को हैदराबाद से लखनऊ की फ्लाइट का टिकट करने को बोल दिया। रविवार 22 मार्च की सुबह वे हैदराबाद पहुंच गए लेकिन उस दिन जनता कर्फ्यू था।

लिहाजा दिनभर अपने दोस्त के कमरे में रहे। आधी रात को ढ़ाई बजे कमरे से फ्लाइट पकड़ने के लिए निकल पड़े क्योंकि भोर में साढ़े 4 बजे फ्लाइट थी। वे एयरपोर्ट जाने के लिए सड़क पर आए ही थे कि अचानक पुलिस की पेट्रोलिंग वैन आ गई।

रास्ते में कई बार पुलिस ने रोका

इसके बाद पुलिस पुलिस उन्हें लेकर मसाब टैंक के थाने चली आयी। उनसे पूछताछ होने लगी कि वे आधी रात को बैग लेकर सड़क पर क्या कर रहे थे। उनके पूरी बात बताने के बाद पुलिस को यकीन हुआ, तब उन्हें छोड़ा गया।

इसके रामकृष्णा मुश्किल से मिले एक ऑटो को पकड़कर वे एयरपोर्ट पहुंचे और फिर सीधे फ्लाइट लेकर लखनऊ आ गए। अगले दिन उन्होंने केजीएमयू की कोरोना जांच की लैबोरेटरी को जॉइन कर लिया। इसके बाद से ही रामकृष्णा अब रोज सैकड़ों सैंपल टेस्ट करते हैं।

कोरोना जांच करने के लिए बीच में ही छोड़ी थीसिस

रामाकृष्णा टीबी पर रिसर्च कर रहे हैं। 2014 में वे केजीएमयू आये थे। उनका प्रोजेक्ट 6 महीने पहले पूरा हो गया और अब थीसिस जमा करनी थी इसीलिए वे गांव चले गए थे। दिन-रात लगकर अपनी थीसिस पूरी कर रहे थे लेकिन अब उसे अधूरा छोड़कर कोरोना की जांच में जुट गए हैं।

रामकृष्णा का आना साहसी कदम

केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हेड डॉ अमिता जैन ने बताया कि देश में लॉक डाउन से पहले इनका आ जाना बहुत राहत देने वाला है। ऐसे समय में जब लोग भागते हैं। इन्होंने खुद इस काम में अपने को झोंककर बेहतरीन नज़ीर पेश की है।

उन्होंने ये भी बताया कि रामाकृष्णा बहुत मेहनती और काबिल हैं और उनके आ जाने से काम मे बहुत राहत मिली है। सैलरी के बारे में पूछे जाने पर डॉ जैन ने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन इनके लिए कुछ करेगा।

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