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RBI का बड़ा फैसला: इस बैंक को लगा तगड़ा झटका, ग्राहकों पर पड़ेगा असर

बयान के अनुसार RBI ने 27 सितंबर को COD को नियुक्त किया था। इसमें तीन स्वतंत्र निदेशक मीता मखान, शक्ति सिन्हा और सतीश कुमारा कालरा हैं।अध्यक्ष मीता मखान हैं।

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Published on: 29 Sept 2020 5:52 PM IST
RBI का बड़ा फैसला: इस बैंक को लगा तगड़ा झटका, ग्राहकों पर पड़ेगा असर
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जानकारी देते हुए लक्ष्मी विलास बैंक के ओर से ये बताया गया कि आरबीआई की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय स्वतंत्र निदेशक समिति अंतरिम तौर पर बैंक के एमडी-सीईओ का कामकाज देखेगी।

नई दिल्ली: लक्ष्मी विलास बैंक बैंक पूरी तरह से कर्ज में घाटे में डूबा हुआ है। ऐसे में अब इस बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने हाथों में ले लिया है। आरबीआई ने इस बैंक के संचालन के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित की है। इससे पहले यस बैंक में नकदी संकट बढ़ने पर भी आरबीआई के निर्देश पर एसबीआई के पूर्व अधिकारी को संचालन का जिम्मा सौंपा गया था। बयान के अनुसार आरबीआई ने 27 सितंबर को सीओडी को नियुक्त किया था। इसमें तीन स्वतंत्र निदेशक मीता मखान, शक्ति सिन्हा और सतीश कुमारा कालरा हैं। समिति की अध्यक्ष मीता मखान हैं। बैंक के सभी निदेशकों और एमडी-सीईओ के अधिकारों को भी खत्म कर दिया गया है।

काफी समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है बैंक

जानकारी देते हुए लक्ष्मी विलास बैंक के ओर से ये बताया गया कि आरबीआई की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय स्वतंत्र निदेशक समिति अंतरिम तौर पर बैंक के एमडी-सीईओ का कामकाज देखेगी। आपको बता दें कि शुक्रवार को बैंक के शेयरधारकों की वार्षिक महासभा में वोट के आधार पर बैंक के एमडी सीईओ समेत सात निदेशकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बैंक काफी समय से पूंजी संकट से जूझ रहा था और इसके लिए उसे अच्छे निवेशकों की तलाश की जा रही थी। आकड़ों के मुताबिक, इस साल की जून तिमाही में बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ रुपये थी। एलवीएस बैंक का गठन 1926 में हुआ था।

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Laxmi Vilas Bank लक्ष्मी विलास बैंक (फाइल फोटो)

देशभर में बैंक की 16 राज्यों में 566 शाखाएं और 918 एटीएम चल रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी चिंता उन लोगों को है जिनकेस इस बैंक में खाते हैं। ऐसे में बैंक ने अपने ग्राहकों को भरोसा दिया है कि मौजूदा संकट का उनकी जमाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बैंक ने कहा, '262 फीसदी के तरलता सुरक्षा अनुपात (एलसीआर) के साथ जमाकर्ता, बांडधारक, खाताधारक और लेनदारों की संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित है। आरबीआई की ओर से एलसीआर का तय मानक 100 फीसदी होता है, जबकि बैंक के पास इससे ढाई गुना ज्यादा आरक्षित पूंजी है। बैंक की संचालन समिति आगे जो भी फैसला करेगी, उसे सार्वजनिक किया जाएगा।'

RBI इससे पहले भी कई बैंक की आर्थिक स्थिति सुधार चुका है

RBI रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (फाइल फोटो)

इससे पहले, RBI कई बैंकिंग संस्थानों का अन्य बैंकों के साथ विलय कर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर चुका है। इसमें ICICI बैंक और बैंक ऑफ राजस्थान एक सफल उदाहरण है। वहीं, बैंक के विलय पर 15 सितंबर को एलवीबी ने बताया था कि दोनों कंपनियों ने विलय के लिए आपसी देयता को काफी हद तक पूरा कर लिया है। बता दें कि बैंक ने पहले इंडियाबुल्स के साथ विलय करने की भी कोशिश की थी। जिसे आरबीआई की अनुमति नहीं मिली थी।

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बैंक की एनबीएफसी (NBFC) के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई, लेकिन बात नहीं बन सकी। बैंक पिछली 10 तिमाहियों से घाटे में चल रहा है और आरबीआई ने पिछले साल सितंबर 2019 में त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की शुरुआत की थी, जो बैंक को अतिरिक्त पूंजी देने, कॉर्पोरेट्स को उधार देने, एनपीए कम करने और प्रोविजन कवरेज में 70 फीसदी के अनुपात तक सुधार करने का काम करती है। कर्ज वसूली में नाकाम रहने और बढ़ते एनपीए की वजह से आरबीआई ने सितंबर, 2019 में बैंक को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे में डाल दिया था।



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