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समलैंगिकों के नागरिक अधिकारों को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर

उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गयी है जिसके तहत एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए समलैंगिक शादी, गोद ले

Anoop Ojha
Published on: 16 April 2019 2:43 PM GMT
समलैंगिकों के नागरिक अधिकारों को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गयी है जिसके तहत एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए समलैंगिक शादी, गोद लेने और किराये के कोख के अधिकार जैसे विभिन्न अधिकारों की मांग करने वाली एक याचिका खारिज दी गयी थी।

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शीर्ष अदालत ने 29 अक्टूबर, 2018 को तुषार नैयर की वह अर्जी खारिज कर दी थी जिसमें सहमति से समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के अलावा एलजीबीटीक्यू समुदाय को नागरिक अधिकार देने की मांग की गयी थी।

शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘हम नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत सरकार मामले में छह सितंबर, 2018 को इस अदालत द्वारा सुनाये गये निर्णय के बाद इस याचिका पर विचार करने के पक्ष में नहीं हैं।’’

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इस आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुए अर्जी में कहा गया है कि जो याचिका खारिज कर दी गयी, वह बस सहमति से समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के मुद्दे तक ही सीमित नहीं थी।

उस याचिका में एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों की समलैंगिक शादियों को (विशेष विवाह कानून,1954 के तहत) मान्यता नहीं देने, उन्हें गोद लेने और किराये के कोख के अधिकार से वंचित किये जाने का मुद्दा उठाया गया है।

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उस अर्जी में एलजीबीटीक्यू के नागरिक अधिकारों की मूल मानवाधिकारों के तहत मांग की गयी थी और कहा गया था कि भादसं की धारा 377 पर शीर्ष अदालत के फैसले में इन अधिकारों के मुद्दे का समाधान नहीं किया गया था। धारा 377 समलैंगिक संबंध को अपराध मानती थी।

(भाषा)

Anoop Ojha

Anoop Ojha

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