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कश्मीर का लाल सोना: इस पौधे से बनाया जा जाता है, कीमत जान उड़ जाएँगे होश

जम्मू-कश्मीर में होने वाले बैगनी रंग के फूल को केसर के अलावा लाल सोना, कुंकुम, जाफरान और सेफ्रॉन भी कहते हैं।इसकी खेती भारत के अलावा इटली, स्पेन, ईरान, तुर्किस्तान, चीन और ग्रीस में होती है। केसर की खेती अगस्त-सितंबर से शुरू हो जाती है।

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Published on: 17 Nov 2020 9:33 AM GMT
कश्मीर का लाल सोना: इस पौधे से बनाया जा जाता है, कीमत जान उड़ जाएँगे होश
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कश्मीर का लाल सोना: इस पौधे से बनाया जा जाता है, कीमत जान उड़ जाएँगे होश

नई दिल्ली: सर्दी के मौसम के आने के बाद जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में लाल सोने की उगाई शुरू हो गई है। शरद ऋतु के आते ही जम्मू-कश्मीर के खेत बैगनी रंग के फूलों से खिल उठते हैं। यह बैगनी रंग का फूल बहुत ही कीमती जड़ी बूटी माना जाता है, जिसे आम बोलचाल में केसर भी कहते हैं। बता दें कि केसर बहुत ही कीमती होता है। बाजारों में यह 3 लाख रुपए किलो से ज्यादा तक बिकता है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं इस कीमती लाल सोने के बारे में…

श्रीनगर के इस शहर में होता है लाल सोना

केसर जिसे लाल सोना भी कहा जाता है, यह जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के एक छोटे से शहर में होता है। इस छोटे से शहर का नाम पंपोर है, जहां सर्दी के मौसम की शुरुआत होते ही बैगनी रंगों के फूलों से यहां की खेती में चार चांद लग जाता है।

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75,000 फूलों में से मात्र 450 ग्राम निकलता है केसर

वैसे तो केसर के फूल सूखी ज़मीन में पनपते हैं। लेकिन यहां की मिट्टी भूरी होने के कारण सर्दी के मौसम के अंत तक केसर के फूल खिले रहते हैं। वहीं किसान केसर को तोड़ते समय बड़ी ही सावधानी से फूलों से अलग करते है। बता दें कि लगभग 75,000 फूलों में से मात्र 450 ग्राम केसर निकलता है।

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विश्व का सबसे कीमती पौधा

आपको बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर में होने वाला यह केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा माना जाता है। जबकि जम्मू के किश्तवाड़ और पंपोर के निवासी केसर को वरदान मानते हैं। उनके लिए यह केसर किसी सोने से कम नहीं है। बाजार में केसर की कीमत 3 लाख रुपए किलो से भी ज्यादा है।

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केसर के अनेक नाम

जम्मू-कश्मीर में होने वाली बैगनी रंग के फूल को केसर के अलावा लाल सोना, कुंकुम, जाफरान और सेफ्रॉन भी कहते है। इसकी खेती भारत के अलावा इटली, स्पेन, ईरान, तुर्किस्तान, चीन और ग्रीस में होती है। केसर की खेती अगस्त-सितंबर से शुरू हो जाती है। जबकि अक्टूबर से दिसंबर तक इसमें फूल निकलने लगते हैं।

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