TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

नागरिकता के लिए दो ये सबूत फिर, कहलाओगे भारत के नागरिक

सीएए  के तहत जो भी शख्स भारत की नागरिकता चाहेगा, उसे अपनी धार्मिक मान्यता का साक्ष्य देना होगा और सीएए के तहत जारी होने वाली नियमावली में इसका उल्लेख किया जाएगा।

SK Gautam
Published on: 28 Jan 2020 5:10 PM IST
नागरिकता के लिए दो ये सबूत फिर, कहलाओगे भारत के नागरिक
X

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन क़ानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता पाने के लिए अपने धर्म का भी सबूत देना पड़ेगा। अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को सीएए के तहत भारत की नागरिकता का आवेदन करने के लिए धर्म का सबूत भी देना पड़ेगा।

देना होगा धार्मिक मान्यता का सबूत

हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मावलंबियों को दस्तावेजों के जरिए ये भी साबित करना होगा कि वे भारत में 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हैं। सरकारी अधिकारी ने बताया कि सीएए के तहत जो भी शख्स भारत की नागरिकता चाहेगा, उसे अपनी धार्मिक मान्यता का साक्ष्य देना होगा और सीएए के तहत जारी होने वाली नियमावली में इसका उल्लेख किया जाएगा।

ये भी देखें: यूपी का ये छोरा बॉलीवुड में मचा रहा धमाल, कहानी है बड़ी दिलचस्प

गैर मुस्लिमों को नागरिकता का प्रावधान

नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर आए हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मावलंबियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

असम के लिए खास होगा ये 3 महीना

एक अन्य अधिकारी के मुताबिक असम में सीएए के तहत नागरिकता पाने के लिए आवेदन की अवधि मात्र 3 महीने की होगी। 3 महीने के अंदर ही भारत की नागरिकता पाने के लिए इच्छुक लोगों को आवेदन देना होगा।

सीएए से जुड़ी नियमावली में असम से जुड़े कुछ विशेष प्रावधान किये जाएंगे। बता दें कि असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल और वित्त मंत्री हेमंता बिस्व शर्मा ने लगभग 15 दिन पहले केंद्र से अपील की थी कि असम में नागरिकता पाने के लिए आवेदन की अवधि छोटी रखी जाए। इसके अलावा नियमावली में असम से जुड़े खास प्रावधान किए जाएं।

ये भी देखें: एक मैच में लगे 48 छक्के और 70 चौके, बने इतने रन कि दंग हो जाएंगे

असम के मूल निवासियों में क्यों है ये डर

माना जाता है कि असम में सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के मद्देनजर केंद्र ने ये फैसला किया है। सीएए के वजूद में आने के बाद असम के मूल निवासियों में ये डर है कि नया कानून लागू हो जाने के बाद उनकी राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान प्रभावित होगी।

बता दें कि असम समझौता राज्य में घुसे अवैध प्रवासियों की पहचान और प्रत्यर्पण की व्यवस्था करती है। असम समझौते के मुताबिक 1971 के बाद देश में अवैध रूप से आए और असम में रह रहे लोगों को बाहर किया जाएगा चाहे उनका धर्म कोई भी हो। असम में सीएए विरोधियों का तर्क है कि यह कानून असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।



\
SK Gautam

SK Gautam

Next Story