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LAC से आई बड़ी खबर: सेना की वापसी ठीक, लेकिन हमने क्या सबक लिया
भविष्य की चुनौतियों और चीन की घुसपैठ की आशंका को दूर करने लिए, अप्रैल 2020 की स्थिति में सैन्य स्थिति की बहाली के लिए एक जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए ताकि 1999 में जिस तरह पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसपैठ की थी ऐसी स्थिति यहां न दोहराई जाए।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: पूर्वी लद्दाख में विवादित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पंगोंग त्सो या झील क्षेत्र से भारतीय और चीनी सैनिकों की वापसी का पहला चरण पूरा होने और दोनो देशों के बीच कमांडर स्तर की दसवें दौर की बातचीत होने जा रही है। वास्तव में अब सरकार के लिए पिछली मई के आसपास चीन की घुसपैठ के समय की भारतीय कमजोरी की समीक्षा शुरू करने का उचित समय है।
ताकि 1999 जैसी स्थिति यहां न दोहराई जाए
भविष्य की चुनौतियों और चीन की घुसपैठ की आशंका को दूर करने लिए, अप्रैल 2020 की स्थिति में सैन्य स्थिति की बहाली के लिए एक जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए ताकि 1999 में जिस तरह पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसपैठ की थी ऐसी स्थिति यहां न दोहराई जाए।
भारत और चीन के बीच आज जो बात हो रही है वह वर्तमान में एलएसी पर अन्य टकराव बिंदुओं, डेपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा क्षेत्रों से भी सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया को लेकर होने की संभावना है। दोनों देश पैंगोंग लेक इलाके से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया की समीक्षा भी करेंगे।
बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं। वहीं, चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन कर रहे हैं जो चीनी सेना के दक्षिणी शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर हैं।
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सैन्य साजो-सामान, बंकरों, टेंट्स और अस्थाई ढांचों को भी हटा दिया गया
पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों की वापसी, हथियारों और अन्य सैन्य साजो-सामान, बंकरों, टेंट्स और अस्थाई ढांचों को हटाने का काम गुरुवार को पूरा हो चुका है। दोनों देशों ने इसकी जमीनी स्तर पर पड़ताल भी कर ली है।
बातचीत अपनी जगह ठीक है लेकिन ध्यान रखने की बात यह है कि चीन विश्वासघात करता आया है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। और इस तरह के एक सुझाए गए जांच आयोग या समीक्षा समिति से निकलने वाला निष्कर्ष एक 'सबक सीखा दृष्टिकोण' विकसित करेगा जो भविष्य में सैन्य शक्ति सहित भारत के व्यापक दृष्टिकोण को परिपक्व करेगा। इस तरह की समीक्षा अन्य पहलुओं के साथ-साथ त्रि-सेवा सहयोग, खुफिया जानकारी, समय पर सूचना प्रसार और मीडिया प्रबंधन के पुनर्गठन में भी मदद करेगा।
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सियाचिन ग्लेशियर के अनुभवों को यहां भी अपनाने की जरूरत
सेना की वापसी तो ठीक है लेकिन सियाचिन ग्लेशियर के अनुभवों को यहां भी अपनाने की जरूरत है। जिसका संदेश था कि अब सशक्त होकर खड़े हो जाओ। इसकी जरूरत तब तक है जबतक कि चीन के साथ लगती 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी का सीमांकन नहीं हो जाता।
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