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ये जानना है जरूरी! पैतृक संपत्ति में बेटी का क्या है अधिकार, क्या है कानून  

 कई बार लोगों के जहन में एक सवाल बन कर रहता है कि पिता की मृत्यु के बाद से क्या उनके नाम की संपत्ति में विवाहित बेटी का भी हक होता है? इसे लेकर कम ही लोगों को इसकी जानकारी है।

SK Gautam
Published on: 10 Dec 2019 6:25 PM IST
ये जानना है जरूरी! पैतृक संपत्ति में बेटी का क्या है अधिकार, क्या है कानून  
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नई दिल्ली: भारत में अब यह बहुत ही पुरानी परंपरा हो गयी कि जब परिवार में बेटियों के लिए कुछ सीमित अधिकार होते थे। हम यहां पर बेटियों के अधिकार से सम्बंधित कुछ बातों का उल्लेख कर रहे हैं। कई बार लोगों के जहन में एक सवाल बन कर रहता है कि पिता की मृत्यु के बाद से क्या उनके नाम की संपत्ति में विवाहित बेटी का भी हक होता है? इसे लेकर कम ही लोगों को इसकी जानकारी है।

पिता की मृत्यु के बाद पैतृक संपत्ति में विवाहित बेटी का है अधिकार

बहुत से लोग इस लीगल प्रावधान को नहीं जानते। बता दें कि पिता की मृत्यु के बाद पैतृक संपत्ति में विवाहित बेटी के पास क्या कानूनी अधिकार होते हैं।

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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में 2005 में किया गया बदलाव

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में 2005 में संशोधन किया गया था ताकि बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा दिया जा सके। पैतृक संपत्ति के मामले में एक बेटी के पास अब जन्म के आधार पर एक हिस्सा है, जबकि स्व-अर्जित संपत्ति को वसीयत के प्रावधानों के अनुसार वितरित किया जाता है। यदि पिता का निधन हो जाता है और उनकी मर्जी के बिना भी पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति दोनों में बेटी को बेटे के बराबर अधिकार है।

पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई है तो विवाहित बेटी का अधिकार नहीं

बेटी की वैवाहिक स्थिति महत्वहीन है और एक विवाहित बेटी के पास अविवाहित के समान अधिकार हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यदि पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई थी तो एक विवाहित बेटी को पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा, जबकि स्व-अर्जित संपत्ति को इच्छानुसार वितरित किया जाएगा।

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इसलिए यदि आपके पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई थी, तो पैतृक संपत्ति पर आपका कोई अधिकार नहीं होगा, लेकिन यदि 2005 के बाद उनकी मृत्यु हो गई, तो आपके पास इस पर कानूनी दावा करने का अधिकार है। इसलिए, एक कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में आप अपने माता-पिता की मृत्यु के सात साल बाद भी संपत्ति पर अपना अधिकार लागू करने के लिए अदालत में मुकदमा दायर कर सकते हैं।

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