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जदयू बंटा दो खेमे में! नागरिकता बिल का प्रशांत किशोर ने किया विरोध, ये भी हैं लाइन में

जदयू के प्रवक्ता पवन कुमार वर्मा ने मंगलवार इस बारे में ट्वीट किया और लिखा कि ‘मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर समर्थन पर दोबारा विचार करें। ये बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है।

SK Gautam
Published on: 10 Dec 2019 10:25 AM GMT
जदयू बंटा दो खेमे में! नागरिकता बिल का प्रशांत किशोर ने किया विरोध, ये भी हैं लाइन में
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नई दिल्ली: लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद इस मुद्दे पर बिहार में एनडीए में साथी जनता दल (यू) ने इस बिल का समर्थन किया है। बता दें कि इस फैसले पर जदयू दो खेमें में बंटती नजर आ रही है।

पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के बाद अब पवन वर्मा ने भी इस बिल का विरोध किया है और नीतीश कुमार से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।

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बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ

जदयू के प्रवक्ता पवन कुमार वर्मा ने मंगलवार इस बारे में ट्वीट किया और लिखा कि ‘मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर समर्थन पर दोबारा विचार करें। ये बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है। ये बिल जदयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं, गांधी जी इसका पूरी तरह से विरोध करते’।

गौरतलब है कि लोकसभा में जदयू ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था। लोकसभा में जदयू के कुल 16 सांसद हैं। जबकि राज्यसभा में जदयू के कुल 6 सांसद हैं।

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प्रशांत किशोर ने भी किया था विरोध

पवन वर्मा से पहले जदयू के उपाध्यक्ष और राजनीति रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर इस बिल का विरोध किया था। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर लिखा था कि ‘जदयू के द्वारा नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करना काफी निराशाजनक है। जदयू का इस मामले में समर्थन करना पार्टी के संविधान का भी उल्लंघन करता है और ये गांधी के विचारों के खिलाफ है।’

आपको बता दें कि लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल बड़े बहुमत से पास हो गया है, लेकिन अभी राज्यसभा में बिल पास होना बाकी है। राज्यसभा में ये बिल बुधवार को पेश होगा, इसपर बहस के लिए 6 घंटे का समय अलॉट किया गया है।

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यह बिल भारत के संविधान के खिलाफ

इस बिल के अनुसार, पाकिस्तान-अफगानिस्तान-बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख और पारसी नागरिकों को भारत में नागरिकता मिलने में आसानी होगी। विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है और इसे भारत के संविधान के खिलाफ बता रहा है। लोकसभा में ये बिल 311-80 के अनुपात से पास हुआ।

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