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नाकामी और प्रेम त्रिकोणः सुलझी कम उलझी ज्यादा, संगीता कुमारी की कहानी

रीमा सोकर उठी ही थी कि उसने अपने पति कि चीखने चिल्लाने की आवाज सुनी।

Newstrack
Published on: 29 Aug 2020 3:52 PM IST
नाकामी और प्रेम त्रिकोणः सुलझी कम उलझी ज्यादा, संगीता कुमारी की कहानी
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नाकामी और प्रेम त्रिकोण पर आधारित कहानी (file image)

संगीता कुमारी

लखनऊ: रीमा सोकर उठी ही थी कि उसने अपने पति कि चीखने चिल्लाने की आवाज सुनी। रीमा का पति पूर्णरूप से शराबी बन चुका था, जिसका शराब पीना शाम ढलते ही शुरू हो जाता और अगर छुट्टी का दिन हो तो दिन चढ़ते ही। हफ्ते में एकाध बार वह किसी ना किसी पड़ोसी से अवश्य उलझ ही जाया करता। आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। रीमा ने मैक्सी पर ही दुपट्टा डाला और तेजी से बाहर जाकर देखने लगी।

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marriage symbolic image नाकामी और प्रेम त्रिकोण पर आधारित कहानी (file image)

रीमा के पति पाण्डे जी अपनी ही गाड़ी के पास खड़े होकर हल्ला करते हुए कह रहे थे

रीमा के पति पाण्डे जी अपनी ही गाड़ी के पास खड़े होकर हल्ला करते हुए कह रहे थे,किसने मेरी गाड़ी के बोनट पर नुकीली चीज से खरोंच किया है? आखिर कौन है जिसे मेरी खुशियाँ सहन नहीं हैं?

उसकी गालियों को चुप कराने के लिये खड़े लोग उसे उल्टा सीधा बोलने लगे। कोई कुछ तो कोई कुछ कह रहा था जैसे,

अरे तूने खुद नुकसान किया होगा नशेड़ी...चल जा...चला जा यहाँ से।

यह तो पागल है। अपनी पत्नी की कमायी से खरीदी हुई गाड़ी की देखभाल कुत्ता बनकर करता है! मगर शराब पीकर!

अरे! इसकी बातों पर ध्यान ना दो, बेहतर है इसे पागल खाने भेजा जाये।

निखट्ठ्ठू कहीं का!

कमाऊ बीबी का नकारा पति।

रीमा ने अपने पति की बाजू पकड़ी और धीरे से उसे अंदर आने के लिये कहा

लोगों की बातों सुनकर रीमा ने अपने पति की बाजू पकड़ी और धीरे से उसे अंदर आने के लिये कहा। पड़ोसियों को वह कोई जबाव नहीं देना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके पति को कुछ लोग जोकर बनाकर हफ्ते में एकाध बार जरूर तमाशा करके मजा लेते हैं। वो लोग जानते हैं कि पाण्डे जी गरम मिजाज का व्यक्ति है।

इसे छेड़ेंगे तो यह बिना सबूत भी हल्ला मचायेगा। दुनिया का दस्तूर है जो चिढ़ता है उसे और भी ज्यादा चिढ़ाया जाता है। उस पर अगर पति नल्ला हो और पत्नी कमाती हो तब तो यह दुनिया उसकी ऐसे दुश्मन बन जाती है मानो उसने उन लोंगो की कोई कीमती चीज चुरा ली हो!

अंदर आकर रीमा ने हमेशा कि तरह अपने पति को समझाया कि वह बेबजह इन लोगों से ना उलझा करे; और अपने ऑफिस जाने की तैयारी करने लगी।

रीमा अपने पति से बहुत प्यार करती थी

रीमा अपने पति से बहुत प्यार करती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति बहुत काबिल व्यक्ति है। वह शराबी अपनी किस्मत कि हार की वजह से बना ना कि खुशी से। दोनों कॉलेज में साथ साथ पढ़ते थे। अलग अलग जाति के होने के कारण दोनों के परिवार वालों ने उनके सम्बंध को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। आपसी प्रेम की अति के कारण दोनों ने अपने परिवारवालों की मर्जी के खिलाफ लव मैरिज की थी। व्यवहारिकता की दहलीज पर रीमा का पति उससे बहुत ज्यादा होशियार था। विवाह के बाद दोनों नौकरी पाने के लिये संघर्ष करने लगे। दोनों ने एक ही जगह परीक्षा दी।

पति से कम नंबर पाने पर उदास थी रीमा

रीमा को अकसर याद आता है कि नौकरी प्रतियोगिता में होनहार होने के कारण उसके पति ने बहुत अच्छे अंकों से लिखित परीक्षा पास कर ली थी। वहीं दूसरी तरफ रीमा ने परीक्षा में अपने पति से काफी कम अंक पाये थे जिसके कारण वह उदास भी हुई थी कि उसे नौकरी मिलेगी भी या नहीं! तब उसके पति ने ही उसे हिम्मत दी थी कि वह उसके साथ ही नौकरी करेगा; अगर यह नौकरी उसे नहीं मिली तो वह नौकरी छोड़ देगा। मगर चार माह बाद ठीक उल्टा हुआ।

रीमा को नौकरी मिल गयी

हमारे सिस्टम में कुछ ऐसा है जिसके कारण रीमा को नौकरी मिल गयी और उसका पति पाण्डे जी बेरोजगार रह गये अर्थात नौकरी पाते पाते रह गये। अब रीमा नौकरी छोड़ नहीं सकती थी क्योंकि वह अपनी काबिलियत जानती थी कि यह नौकरी भी कितनी मेहरबानी से उसे मिल पायी है।

वह कुंठित हो जाये तो अपनी कुंठा कहीं न कहीं निकालेगा ही

पति कितना भी प्रेम करने वाला हो अगर वह कुंठित हो जाये तो अपनी कुंठा कहीं न कहीं निकालेगा ही। पति रीमा को प्यार तो बहुत करता था मगर अपनी कुण्ठा की आग में भी जलता भी रहा क्योंकि वह कई जगह नौकरी पाने में असफल होता रहा। जिसका कारण उसकी क्षमता में कमी नहीं थी, बल्कि समय बढ़ते बढ़ते लोगों के ताने सुन सुनकर उसका अपनी कुंठाओं में घिर जाना था। उसकी कुंठा को बढ़ाने में समाज के दकियानूसी लोगों की अहम भूमिका थी।

पाण्डे जी किसी भी प्राईवेट कम्पनी में एक दो महीने काम करते फिर तीन चार महीने के लिये घर बैठ जाते। जितना कमाते थे उतना वह अपने नशे की लत पूरी करने में गँवा देते थे। उन्हें पता भी नहीं चल रहा था कि उनकी काबिलियत को उनका नशा धीरे धीरे कैसे निगल रहा है!

पाण्डे जी अपने पिता से व्यापार करने के लिये रुपये माँगने भी गये थे

पाण्डे जी अपने पिता से व्यापार करने के लिये रुपये माँगने भी गये थे मगर प्रेम विवाह करने की सजा के फलस्वरूप उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। परिवार के नाम पर पाण्डे जी के पास केवल उनकी पत्नी थी। रीमा की चाहत थी कि वो दोनों अब उम्र के अठ्ठाईस वर्ष पार करने वाले हैं इसलिये दोनों को गृहस्थी आगे बढ़ानी चाहिये, बच्चे करने चाहिये। मगर पांडे जी गृहस्थी तब तक आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे जब तक वह स्वयं बहुत अच्छा कमाने ना लग जायें।

दोनों कि जिंदगी कितनी खुशनुमा शुरू हुई थी मगर अब इन चार वर्षों में एक ढर्रा, एक सपाट, एक सूनी गली जैसी बन रही थी; जिससे रीमा दुखी तो थी मगर हार नहीं मान रही थी। रीमा ने अपने ऑफिस से लोन लेकर व्यापार करने के लिये जो रुपये दिये थे वह भी सब जब बर्बाद हो गये; तब वह भड़क गयी।

रिमा ने अपने पति से उसकी शराब की बुरी आदतों को लेकर लड़ायी की थी

पहली बार जब उसने अपने पति से उसकी शराब की बुरी आदतों को लेकर लड़ायी की थी तब वह अपने आपंको बहुत कमजोर समझ रही थी। वह भी थक रही थी। आखिर कब तक ऐसे चलेगा? रीमा अपनी जिंदगी के दोराहे पर खड़ी थी जहाँ एक तरफ निकम्मा शराबी पति था तो दूसरी तरफ उसकी अपनी जिंदगी थी जिसे वह जीना चाहती थी।

अब उसका पति पहले की तरह उसकी बातें नहीं मानता था बल्कि उससे भी चिढ़ने लगा। उसके दिमाग में नकारात्मक ख्यालों का मजबूत जत्था उसे सही सोचने ही नहीं देता था। पहले जो लड़ायी पड़ोसियों से हुआ करती थीं वह अब उसके साथ होने लगी। पड़ोसियों की सारी सहानुभूति रीमा के साथ और अधिक बढ़ने लगीं। अपनी उपेक्षा और हताशा के कारण वह और भी ज्यादा आक्रामक हो गया जिसके परिणामस्वरूप उसने पत्नी पर हाथ उठाना शुरू कर दिया।

प्रेम कितना भी गहरा हो अगर उसमें गलतफहमी का रंग मिल जाये तो वह बदल ही जाता है

प्रेम कितना भी गहरा हो अगर उसमें गलतफहमी का रंग मिल जाये तो वह बदल ही जाता है। रीमा यह कैसे बर्दाश्त करती कि उसका पति उस पर ही अधीन है फिर भी वह मार खाये! उसके सोच में आता भी था,यह उसके पति की कुण्ठा की पराकाष्ठा है व शराब की लत ही मुख्य वजह है। फिर सोचती वह ही क्यों यह सब सहे!

एक दिन उसने तय कर लिया कि वह तलाक लेगी और हमेशा के लिये इस दुख से छुटकारा पा लेगी!

तलाक की खबर से पाण्डे जी रीमा से माफी माँगने लगे

तलाक की खबर से पाण्डे जी रीमा से माफी माँगने लगे और अपनी गलती फिर कभी ना दुहराने की कसम खाने लगे। रीमा ने भी तलाक का ख्याल छोड़ दिया इस विश्वास के साथ कि उसका पति सुधर जायेगा। अभी रीमा के जहन में सुधारने व सहने की सोच पनप ही रही कि समय ने दूसरी तरफ करवट बदल ली।

इन सबके बीच एक बेरोजगार मगर बेहद खूबसूरत नौजवान पड़ोस का लड़का रीमा के मन में अपनी गोटी बिठाने का प्रयास कर रहा था। उसे जब पता चला कि रीमा तलाक नहीं दे रही है और पाण्डे जी सुधरने का प्रयास कर रहे हैं तब उसने पाण्डे जी को रीमा के खिलाफ भड़काना और मुफ्त में पिलाना शुरू कर दिया।

बुरी आदतों में लिप्त व्यक्ति या बदनाम व्यक्ति को डूबने के लिये तिनके भर की बुराई ही डुबा देती है। बुरे के सामने थोड़ी सी अच्छाई भी बहुत अधिक अच्छाई नजर आती है।

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सहानुभूति देने वाला लड़का रीमा को सही लगने लगा

रीमा को भी अपना पति बहुत बुरा और वह लड़का सहानुभूति देता भला लगने लगा।

आखिरकर रीमा ने अपने पति से तलाक ले ही लिया। जिसकी ठोस वजह यह लगी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला है। ऐसे आदमी के साथ रहकर ना तो दाम्पत्य सुख मिल रहा है ना ही भविष्य सुनिश्चित है। एक जिंदगी मिली है जिसे बर्बाद करके क्या फायदा?

पाण्डे जी अपने माता पिता के पास वापिस चले गये जहाँ उन्हें एक तरफ अपनी गलती का पछतावा कराया गया तो दूसरी तरफ शराब मुक्ति केंद्र में जबरदस्ती भेजा गया।

रीमा ने अपने से दो वर्ष छोटी आयु के उसी खुबसूरत नौजवान पड़ोसी लड़के से शादी कर ली। बेरोजगार लड़के के माता पिता अपने लड़के के भविष्य को लेकर अब निश्चिंत हो गये और रीमा को लक्ष्मी बहू कह कर ही पुकारने लगे। रीमा अपने नये पति और परिवार में धन लक्ष्मी का पर्याय बन गयी। अब वही समाज रीमा और पाण्डे जी के अलग हो जाने पर पाण्डे जी की नाकामी की वजह पर विचार करते हैं। पाण्डे जी को भावुक व रीमा को व्यावहारिक मानते हैं।

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लगभग छह वर्ष पूर्व मिली दो प्रेम की पटरियाँ (रीमा-पाण्डे) अब बिल्कुल अलग हो चुकी हैं। दोनों पटरियाँ अब अपनी अलग राह में ऐसे चलने लगीं मानो कभी जुड़ी ही नहीं थीं।

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