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किराएदारों को खुशखबरी: अब इस तरह निपटेगा विवाद, SC का बड़ा फैसला
SC का कहना है कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल (मध्यस्थता पंचाट) के पास ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 के तहत आने वाले विवादों पर फैसला देने का अधिकार है।
नई दिल्ली: अक्सर ऐसा देखा जाता है कि मकान मालिक और किराएदारों के बीच किराया या घर को लेकर बहस-बाजी होती ही रहती है। और तो और दोनों को उसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता हैं। इसी को देखते हुए SC विवादों को निपटाने के लिए एक खास फैसला सुनाया है। SC ने कहा कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत मकान मालिक और किराएदार के विवादों को मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जा सकता है। उन्हें लंबी और खर्चीली कानूनी लड़ाई में फंसने की जरूरत नहीं है।
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SC का कहना है कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल (मध्यस्थता पंचाट) के पास ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 के तहत आने वाले विवादों पर फैसला देने का अधिकार है। हालांकि स्टेट रेंट कंट्रोल लॉज के अंदर आने वाले विवादों को आर्बिट्रेशन में नहीं भेजा जा सकता है और इनका फैसला कानून के अंदर कोर्ट या फोरम ही करेंगे।
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2017 के फैसले को पलटा कोर्ट ने
जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने 14 दिसंबर 2020 को विद्या ड्रोलिया और अन्य बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन मामले में ये बड़ा व खास फैसला लिया गया। SC ने एक 4 फोल्ड टेस्ट का भी सुझाव दिया है जिससे यह तय किया जा सकता है कि किसी विवाद को मध्यस्थता के जरिए सही जा सकता है या नहीं। मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के लिए जरूरी है कि दोनों पक्षों के बीच एग्रीमेंट में इसका क्लॉज हो। ताकि किराएदारों और मकान मालिकों के बीच होने वाले ढेर सारे मुकदमे कोर्ट जाने से बच सकें।
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