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प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई एक रुपये के जुर्माने की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में दोषी ठहराने के बाद एक रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। जुर्माना ना दिए जाने की स्थिति में उन पर उन्हें तीन महीने जेल की सजा हो सकती है और तीन साल के लिए क़ानून की प्रैक्टिस पर भी रोक लगाई सकती है।

Newstrack
Published on: 31 Aug 2020 12:33 PM IST
प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई एक रुपये के जुर्माने की सजा
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पीठ ने प्रशांत भूषण के ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार करने पर उनके उनके वकील से पूछा था कि माफी मांगने में क्या गलत है? क्या यह शब्द इतना बुरा है?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में दोषी ठहराने के बाद एक रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई है।

जुर्माना ना दिए जाने की स्थिति में उन पर उन्हें तीन महीने जेल की सजा हो सकती है और तीन साल के लिए क़ानून की प्रैक्टिस पर भी रोक लगाई सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि कोर्ट का फ़ैसला किसी प्रकाशन या मीडिया में आए विचारों से प्रभावित नहीं हो सकता।

अदालत ने कहा कोर्ट के विचार किए जाने से पहले ही प्रशांत भूषण के प्रेस को दिए बयान कार्यवाही को प्रभावित करने वाले थे।

बता दें कि इससे पहले 25 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा, बी. आर.गवई और कृष्ण मुरारी ने प्रशांत द्वारा अपने ट्वीट्स के लिए माफी मांगने से इनकार करने के बाद उनकी सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Prashant Bhushan एडवोकेट प्रशांत भूषण की फाइल फोटो

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14 अगस्त को कोर्ट ने सुनाया था फैसला

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी माना था। इस केस में उन्हें छह महीने तक का साधारण कारावास या 2,000 रुपये तक का जुमार्ना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।

इससे पहले सुनवाई करते हुए पीठ ने प्रशांत भूषण के ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार करने पर उनके उनके वकील से पूछा था कि माफी मांगने में क्या गलत है? क्या यह शब्द इतना बुरा है?

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Prashant Bhushan एडवोकेट प्रशांत भूषण की फाइल फोटो

कोर्ट ने प्रशांत को विचार करने के लिए दी थी मोहलत

कोर्ट ने सुनवाई के वक्त भूषण को अपने ट्वीट के संबंध में खेद व्यक्त नहीं करने के फैसले पर विचार करने के लिए 30 मिनट मा समय भी दिया था। लेकिन प्रशांत ने माफ़ी नहीं मांगी थी।

इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था कि उनका यह सुझाव है कि प्रशांत भूषण को दंडित किए बिना मामले को बंद कर दिया जाए।

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