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वैक्सीन पर SII परेशान, US से नहीं आ पा रहा कच्चा माल, सरकार से मांगी मदद
SII ने कहा है, “हमारे द्वारा निर्मित कोविशिल्ड वैक्सीन भारत और दुनिया भर में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है और लाखों लोगों को इसका टीका लगाया गया है।"
नई दिल्ली: वैक्सीन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। बता दें कि SII को वैक्सीन बनाने के लिए कुछ कच्चे माल अमेरिका से आयात करना पड़ता है, जिसके लिए कंपनी को कच्चा माल मंगवाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं मुश्किलों का समाधान करने के SII ने भारत सरकार हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा है।
SII ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र
आपको बता दें कि कोरोना वैक्सीन बनाने और आपूर्ति करने की प्रक्रिया लगातार जारी रखने के लिए SII ने केंद्र को पत्र लिखा है। इस पत्र में लिखा गया है, “अमेरिकी सरकार ने रक्षा उत्पादन अधिनियम लागू किया है, जिसके कारण फर्म को आयात करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सेल कल्चर मेडिसिन, कच्चा माल और कुछ विशेष रसायन शामिल हैं।” जानकारी के मुताबिक यह पत्र विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और वाणिज्य सचिव अनूप वाधवान ने SII की तरफ से केन्द्र को भेजी गई है।
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हमारी वैक्सीन पूरी दुनिया में हो रही है इस्तेमाल
वैक्सीन के बारे में जानकारी देते हुए SII ने कहा है, “हमारे द्वारा निर्मित कोविशिल्ड वैक्सीन भारत और दुनिया भर में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है और लाखों लोगों को इसका टीका लगाया गया है। हम विभिन्न संस्थानों यानी नोवावैक्स (Novavax, US), कोडेगेनिक्स (Codegenics, US) आदि के साथ तकनीकी सहयोग से कई अन्य कोरोना वैक्सीन पर काम कर रहा हैं, जिसके लिए यह कई आवश्यक उत्पादों जैसे कच्चे माल, उपभोग्य सामग्रियों के आयात की जरूरत होती है।”
अमेरिकी सरकार ने दो प्राथमिकता प्रणाली
अमेरिका के सरकार की प्राथमिक प्रणालियों के बारे में जानकारी देते हुए SII ने बताया, “रक्षा उत्पादन अधिनियम के माध्यम से अमेरिकी सरकार ने दो प्राथमिकता प्रणालियों, रक्षा प्राथमिकताओं और आवंटन प्रणाली कार्यक्रम (DPAS) और स्वास्थ्य संसाधन प्राथमिकता और आवंटन प्रणाली (HRPAS) की स्थापना की है। HRPAS के दो प्रमुख घटक (प्राथमिकताएं और आवंटन) हैं। प्राथमिकता घटक के तहत टीके के उत्पादन के लिए आवश्यक औद्योगिक संसाधनों के उत्पादन या वितरण के लिए सरकारी और निजी इकाइयों के बीच या निजी पक्षों के बीच कुछ अनुबंधों को अन्य अनुबंधों पर प्राथमिकता दी जाएगी।”
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