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बेटे के लिए नहीं मिला पौष्टिक आहार, तो खोल दी खुद की बेबी फ़ूड कंपनी

बाजार में बच्चों के लिए बहुत ही कम पौष्टिक आहार उपलब्ध है। बाजार में बच्चों के खाने के लिए बेबी फ़ूड के नाम पर सिर्फ प्रिजर्वेटिव से भरे हुए विकल्प ही थे

Aradhya Tripathi
Published on: 14 May 2020 10:48 AM GMT
बेटे के लिए नहीं मिला पौष्टिक आहार, तो खोल दी खुद की बेबी फ़ूड कंपनी
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आज कल के बाजार में आपको पौष्टिक और सेहतमंद खाना तो शायद ही कहीं मिल सके। हर जगह हर प्रोडक्ट में कुछ न कुछ मिला होता है। जो आपको और आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में बच्चों के लिए तो और भी सावधान रहने वाला है। क्योंकि आज के समय में लोग बाजार की छिजों पर ज्यादा निर्भर करते हैं। लेकिन क्या वो चीजे आपके बच्चे के लिए स्वास्थवर्धक हैं ? ये भी जानना बहुत जरूरी है। ऐसे में बाजार में नाच्चों के खाने के लिए बेबी फ़ूड बहुत ही कम आप्शन हैं।

लेकिन वो कहते हैं न कि एक मां ही अपने बच्चे का खयाल ज्यादा रख सकती है। एक मां ही ये ज्यादा सोचेगी कि उसके बच्चे के लिए क्या सही क्या गलत? उसे क्या खाने में देना है क्या नहीं? ऐसा ही एक विचार और सवाल मन में आया था पुणे की रहने वाली एक साधारण वर्किंग वुमेन शालिनी संतोष कुमार के। जिन्होंने खुद मां बनने के बाद सोचा कि उनके बच्चे के लिए क्या क्या पौष्टिक आहार हो सकता है। जिसके बाद उनकी पूरी जिंदगी बदल गई। और उन्होंने खुद एक बेबी फ़ूड का स्टार्टअप शुरू कर दिया।

बाजार में नहीं उपलब्ध बच्चों के लिए पौष्टिक आहार

वो कहते हैं न की हम कुछ अलग या नया तब कर पाते हैं जब हम खुद उस परिस्थिति से गुजरते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ पुणे की रहने वाली वर्किंग वुमेन शालिनी संतोष कुमार के साथ। शालिनि 7 साल से कार्पोरेट सेक्टर में जॉब कर रहीं थी। लेकिन साल 2014 में जब वो मां बनी तब उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। अपनी प्रेगनेंसी के दौरान उन्होंने अपनी कंपनी से ब्रेक लिया। लेकिन इस दौरान वो ये सोचती रहीं कि उनके जॉब को दोबारा शुरू करने के बाद उनके बच्चे का क्या होगा। इसके लिए उन्होंने हर आम इन्सान की तरह बच्चे के लिए बेबी फ़ूड के आप्शन तलाश करने शुरू किए। शालिनी अपने बच्चे के लिए कुछ ऐसा ढूंढ रहीं थीं, जिसमें अनाजों का इस्तेमाल किया गया हो क्योंकि यह सुपरफूड होता है।

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डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि बच्चे की खुराक में यह ज़रूर शामिल करना चाहिए। लेकिन बाज़ार में बेबी फ़ूड के नाम पर प्रिज़रवेटिव से भरे हुए विकल्प ही थे। ऐसे में शालिनी खुद काफी परेशां हो गईं। और जीवन में पहली बार उन्होंने खुद से सवाल किया कि क्या वो अभी तक वो ही कर रहीं हैं जो वो करना चाहती हैं। क्या उनके आस-पास जो हो रहा है वो सब सही ही हो रहा है। ये सब सोचने के बाद और खुद का चिंतन करने के बाद शालिनी ने कुछ अलग करने की ठानी। कुछ ऐसा करने की जिसने शालिनी की जिंदगी ही नहीं बल्कि पूरी बाजार को बदल दिया।

2015 में 1 लाख से शुरू की अर्ली फूड्स

खुद से बाते करने के बाद शालिनी ने कुछ कर दिखाने की ठानी। जिसके बाद अगस्त, 2015 में उन्होंने 1 लाख रुपये की इंवेस्टमेंट के साथ ‘अर्ली फूड्स’ की शुरुआत की। यह बच्चों के लिए ऑर्गेनिक फ़ूड बिज़नेस स्टार्टअप था, जिसके ज़रिए उन्होंने अलग-अलग अनाज और सूखे मेवों को मिलकर 5 तरह के दलिया मिक्स तैयार किए। उन्होंने अपने दोस्तों और जानने-पहचानने वालों को यह बेचना शुरू किया। अब उनकी कहानी 5 दलिया मिक्स से 25 तरह के प्रोडक्ट्स तक पहुँच चुकी है, जिनमें टीथिंग स्टिक और अलग-अलग प्रकार की कूकीज शामिल हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के लिए भी पोषक तत्वों से भरपूर खाने के विकल्प तैयार किए हैं ताकि उन्हें सही पोषण मिले। उनकी शुरुआत महीने के 40 ऑर्डर से हुई थी और आज उन्हें हर महीने 30 हज़ार ऑर्डर्स आते हैं।

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शालिनी के अनुसार उनके उद्यमी बनने में उनकी मदद उनकी मां ने की। जिनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा। शालिनी ने अर्ली फ़ूड का काम अपने माता-पिता के घर से शुरू किया। शालिनी ने बताया अपने इन मिक्स को तैयार करने के लिए उन्होंने डॉक्टर्स से भी मदद ली। जिन्होंने ये बताया कि कौनसी चीज कितनी मात्र में डालनी है। वह बताती हैं कि डॉक्टरों ने उन्हें यह समझने में मदद की कि किस उम्र के बच्चों को क्या देना है? जैसे कि 6 से आठ महीने की उम्र के बच्चों को नट्स नहीं देने चाहिएं। लेकिन आठ महीने का होने के बाद, बच्चों की खुराक में नट्स ज़रूर मिलाएं। क्योंकि इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है।

अर्ली फ़ूड प्रोडक्ट्स को नहीं करता स्टॉक

शालिनी के इन उत्पादों की खास बात यह है कि इन्हें बच्चों की बढ़ती उम्र के साथ होने वाले विकास के आधार पर बनाया गया है। उनका स्टेज 1 बेबी फ़ूड दलिया, 6 से 8 महीने के बच्चों के लिए है और अलग-अलग तरह का है जिसमें रागी और गाजर, रागी और मूंग जैसी वैरायटी शामिल हैं। स्टेज 2 बेबी फ़ूड मिक्स, 8 महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए है और इसे बनाने में रागी, बादाम और अंजीर जैसी सामग्री इस्तेमाल हुई है। एक बार, जब उन्हें फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (FSSAI) का सर्टिफिकेट मिल गया, तब उन्होंने छोटे-छोटे ऑर्डर्स में अपने प्रोडक्ट्स को बेचना शुरू किया। ये ऑर्डर्स उन्हें व्हाट्सअप के ज़रिए मिलना शुरू हुए थे।

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जब ऑर्डर्स की संख्या बढ़ने लगी तब शालिनी ने एक रिटेल वेबसाइट शुरू की। शालिनी ने बताया कि हमें बच्चों को बहुत ज्यादा दिन तक प्रिज़रव करके रखे जाने वाले उत्पाद नहीं खिलाने चाहिए। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने अपनी 90% बिक्री ऑनलाइन रखी, सिर्फ कुछ ही रिटेल स्टोर्स पर उनके प्रोडक्ट्स जाते हैं।अर्ली फूड्स कभी भी अपने प्रोडक्ट्स स्टॉक करके नहीं रखता। “हम मिक्सचर तभी तैयार करते हैं, जब हमें आर्डर मिलता है। इसके बाद हम इसे कुरियर करते हैं और फिर ये ग्राहकों की जगह के हिसाब से 5 दिन से 1 हफ्ते के बीच पहुँच जाता है।”

3 महीनों में लांच होंगे 10 नए प्रोडक्ट्स

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अर्ली फ़ूड के आगे प्लान के बारे जानकारी देते हुए शालिनी ने बताया कि अगले तीन महीनों में, वह और 10 अलग प्रोडक्ट्स लॉन्च करने वाली हैं और ये भी सुपरग्रेन्स से ही बने होंगे। वे ब्राउन टॉप मिलेट के साथ भी एक्सपेरिमेंट कर रहीं हैं क्योंकि उन्होंने यह पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया है। शालिनी ने कहा एक स्वस्थ खुराक के बारे में जागरूकता पर हमने हमेशा फोकस किया है। अर्ली फूड्स के माध्यम से, मैं यह संदेश देना चाहती हूँ कि बाजरा जैसे पारंपरिक अनाज आपके बच्चे और आपके परिवार के स्वास्थ्य को बहुत अच्छा रखेंगे

Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

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