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'निहत्थे सैनिकों' के बयान पर फंसे राहुल, शरद पवार ने दी ये नसीहत
बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक आरोप मुद्दा बन गया। वहीं इस आरोप पर वह खुद ही घिरते नजर आये। उन्होंने गलवान घाटी में 'सैनिकों को निहत्थे भेजने' का बयान जारी किया था, जिसपर उनके साथ दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख अध्यक्ष शारद पवार ने ही नसीहत दे डाली।
नई दिल्ली: भारत चीन विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक आरोप मुद्दा बन गया। वहीं इस आरोप पर वह खुद ही घिरते नजर आये। उन्होंने गलवान घाटी में 'सैनिकों को निहत्थे भेजने' का बयान जारी किया था, जिसपर उनके साथ दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख अध्यक्ष शारद पवार ने ही नसीहत दे डाली।
सर्वदलीय बैठक में राहुल का 'सैनिकों को निहत्थे भेजने' वाला बयान बना मुद्दा
पीएम मोदी के नेतृत्व में हो रही सर्वदलीय बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार भी शामिल हुए। चर्चा के दौरान राहुल गांधी का वह बयान मुद्दा बना जिसमें उन्होंने सैनिकों को निहत्थे सीमा पर भेजने को लेकर सवाल उठाया था।
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शरद पवार ने सिखाया अंतराष्ट्रीय समझौते का पाठ
इस पर देश के पूर्व रक्षा मंत्री और महाराष्ट्र गठबंधन के सहयोगी दल के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि सैनिक कब-कहां हथियार के साथ रहेंगे और कहां नहीं, यह अंतरराष्ट्रीय समझौतों के मुताबिक तय होता है। सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार ने राहुल को नसीहत देते हुए ये भी कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बात करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
भारत-चीन झड़प पर राहुल का सवाल- हमारे सैनिकों को निहत्था क्यों भेजा
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लद्दाख के पास गलवान क्षेत्र में भारत और चीन के बीच हुए विवाद को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट कर पूछा , चीन की हिम्मत कैसे हुई, हमारे निहत्थे सैनिकों को मारने की? वहीं उन्होंने सवाल किया कि भारतीय सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के सामने शहीद होने के लिए निहत्था क्यों भेज गया?
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विदेशमंत्री ने दिया जवाब- सीमा पर हमारे सैनिक निहत्थे नहीं
हालांकि राहुल के इस सवाल पर विदेश मंत्री जयशंकर ने पहले ही प्रतिक्रिया दे दी थी। उन्होंने ट्वीट के जरिये राहुल को जवाब देते हुए कहा, ‘हमें तथ्यों को ठीक से समझ लेना चाहिए। बॉर्डर ड्यूटी पर लगे सभी सैनिक हमेशा हथियार के साथ होते हैं, खासकर पोस्ट से निकलते वक्त। 15 जून को गलवान में ड्यूटी पर तैनात सैनिकों के पास भी हथियार थे।
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