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Maharashtra: शिंदे सरकार पर खतरा टला, मामला सात जजों की बेंच के पास भेजा, उद्धव इस्तीफा न देते तो मिल सकती थी राहत
Maharashtra Politics: सुप्रीम कोर्ट ने नेबाम रेबिया मामले का जिक्र करते हुए महाराष्ट्र से जुड़े इस महत्वपूर्ण सियासी मसले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे सरकार पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट से जुड़े 16 विधायकों की अयोग्यता के संबंध में अभी कोई फैसला नहीं सुनाया है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि अभी इस मामले में और विचार किए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने नेबाम रेबिया मामले का जिक्र करते हुए महाराष्ट्र से जुड़े इस महत्वपूर्ण सियासी मसले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है।
हालांकि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की बेंच ने एकनाथ शिंदे खेमे को परेशान करने वाली एक महत्वपूर्ण टिप्पणी जरूर की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी इस महत्वपूर्ण टिप्पणी ने कहा है कि विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान शिंदे गुट से जुड़े हुए भारत गोगोवाले को चीफ व्हिप बनाया जाना अवैध था। शीर्ष अदालत ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी यह भी की कि यदि उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया होता तो उन्हें राहत मिल सकती थी।
शिंदे गुट के चीफ व्हिप को अवैध बताया
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शिवसेना में पिछले साल हुई बगावत के बाद शिंदे गुट की ओर से दलील दी गई थी कि उसके पास 40 विधायकों का समर्थन है और ऐसे में चीफ व्हिप नियुक्त करने का अधिकार उनके पास है। दूसरी और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना का प्रमुख होने के नाते सुनील प्रभु को चीफ व्हिप नियुक्त किया था। अब इस मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट की ओर से चीफ व्हिप नियुक्त किया जाना पूरी तरह अवैध और गलत था। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी शिंदे गुट के लिए झटका मानी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधानसभा के स्पीकर को शिवसेना का चीफ व्हिप उसी को मानना चाहिए था जिसे पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से घोषित किया गया था। अदालत ने कहा कि स्पीकर को इस बात की पूरी जानकारी थी कि दो गुट बन चुके हैं मगर उनकी ओर से अपनी पसंद के व्हिप को मान्यता दी गई। वैसे उनकी ओर से आधिकारिक व्हिप को ही मान्यता दी जानी चाहिए थी। अदालत की यह टिप्पणी शिंदे गुट को काफी खलने वाली मानी जा रही है।
उद्धव इस्तीफा न देते तो मिल सकती थी राहत
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यदि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया होता तो उन्हें राहत मिल सकती थी। अदालत ने तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को पूरी तरह गलत और संविधान के खिलाफ बताया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए काफी मलाल करने वाला माना जा रहा है।
यदि उन्होंने उस समय अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया होता तो आज महाराष्ट्र में तख्तापलट की स्थिति बन सकती थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि अगर उद्धव ठाकरे ने पद नहीं छोड़ा होता तो आज स्थितियां कुछ अलग हो सकती थी। अदालत की ओर से शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता था जिससे शिंदे सरकार के लिए खतरा पैदा हो सकता था।
स्पीकर लेंगे विधायकों की अयोग्यता पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह विधायकों की अयोग्यता पर कोई भी फैसला नहीं लेगा। विधायकों की अयोग्यता के संबंध में स्पीकर को जल्द फैसला लेने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि पार्टी में बंटवारा अयोग्यता से बचने का आधार नहीं हो सकता मगर अब हम उद्धव को दोबारा बहाल नहीं कर सकते।
दरअसल, पिछले साल एकनाथ शिंदे की अगुवाई में हुई बगावत के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई थी। शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दायर की गई थी। उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों की सदस्यता को भी चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया है।
राउत ने शिंदे सरकार को अवैध बताया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उद्धव ठाकरे गुट के नेता और सांसद संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि शिंदे गुट की ओर से जारी व्हिप पूरी तरह अवैध था। उन्होंने कहा कि ऐसे में मौजूदा सरकार पूरी तरह अवैध है और संविधान के खिलाफ बनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह भी साफ हो गया है कि देश में आज भी संविधान मौजूद है और उसकी हत्या नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि देश की शीर्ष अदालत की ओर से हमारे व्हिप को कानूनी ठहराया गया है और ऐसे में शिंदे गुट के सारे विधायक अयोग्य साबित होंगे।