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30 घंटे का रास्ता और 4 दिन से घूम रही ट्रेन, गर्मी में प्रवासी मजदूरों का बुरा हाल

प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए हर रोज सैकड़ों की तादाद में श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। लेकिन इन ट्रेनों में से कुछ ऐसी भी हैं, जो मजदूरों को बहुत देर से उनके गंतव्य तक पहुंचा रही है।

Shreya
Published on: 26 May 2020 4:05 AM GMT
30 घंटे का रास्ता और 4 दिन से घूम रही ट्रेन, गर्मी में प्रवासी मजदूरों का बुरा हाल
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नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए हर रोज सैकड़ों की तादाद में श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। लेकिन इन ट्रेनों में से कुछ ऐसी भी हैं, जो मजदूरों को बहुत देर से उनके गंतव्य तक पहुंचा रही है। कुछ ट्रेनें 30 घंटे के सफर के लिए 4 दिन घुमा रही हैं। वहीं रास्ते में खाना-पानी ना मिलने और गर्मी की वजह से मजदूरों की हालत बेहद खराब है। ऐसे में मजदूरों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है और वो हंगामा करने पर उतारू हो रहे हैं।

30 घंटे की सफर के लिए चार दिन तक घुमा रही ट्रेन

दरअसल, दिल्ली से बिहार के मोतिहारी जा रही ट्रेन 4 दिनों बाद समस्तीपुर पहुंची, जबकि वहां तक के लिए केवल 30 घंटे की यात्रा है। मजदूरों का कहना है कि उन्हें मोतिहारी का टिकट दिया गया है और ट्रेन पिछले 4 दिनों से घुमा कर ले जा रही है। लोगों का कहना है कि इन मुश्किल घड़ी में वो घर लौट रहे हैं, जबकि अब ये सफर ही उनके लिए मुसीबत बन गई है।

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महिला ने प्लेटफॉर्म पर ही बच्ची को दिया जन्म

दिल्ली से मोतिहारी जा रही ट्रेन चार दिनों के सफर के बाद समस्तीपुर पहुंची। जहां पर एक महिला को लेबर पेन होने लगा, जिसके बाद उसे ट्रेन से नीचे उतारा गया। वहां कोई मेडिकल सुविधा ना मिल पाने के कारण महिला ने बिना किसी मेडिकल सुविधा के एक बच्ची को प्लेटफॉर्म पर ही जन्म दिया। जब इसकी सूचना मिली तो रेलवे के सीनियर डीसीएम अपनी गाड़ी लेकर महिला को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पहुंचे।

22 तारीख से सफर में 25 को पहुंचे घर

केवल इसी ट्रेन के यात्रियों ने ही ऐसी शिकायत नहीं की, बल्कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन से समस्तीपुर पहुंचने वाले दूसरे यात्रियों का भी यहीं कहना था। लोग 22 तारीख से यात्रा करके 25 को अपने घऱ पहुंचे। इस दौरान भूख प्यास और गर्मी ने मजदूरों का हाल बेहाल किया हुआ था। वहीं इस पर रेलवे प्रशासन का कहना है कि ट्रैक खाली नहीं मिलने के कारण ट्रेनों के रूट डायवर्ट किए जा रहे है। कोशिश किया जा रहा है कि मजदूरों को खाना-पानी दिया जा सके।

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30 घंटे की सफर के लिए 4 दिन का समय ले रही ट्रेनें

समस्तीपुर पहुंची एक ट्रेन के यात्री बताते हैं कि वो 22 मई को ट्रेन पर चढ़े थे और 25 मई को दोपहर में समस्तीपुर पहुंचे। उन्होंने बताया कि ट्रेन छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल होते हुए समस्तीपुर पहुंची। वहीं अन्य यात्रियों का यह भी कहना था कि सफर के दौरान जिस स्टेशन पर ट्रेन रूकती थी वहां तकरीबन 2 से 3 घंटे खड़ी रहती थी। इस बीच उनको ना कुछ खाने को मिलता था और ना ही कुछ पीने को। वहीं इतनी भीषण गर्मी से परेशान यात्रियों ने कई जगह तोड़फोड़ भी की।

रेलवे का क्या है कहना?

वहीं ट्रेन के इतने लेट होने पर समस्तीपुर रेलमंडल की सीनियर डीसीएम सरस्वती चन्द्र ने बताया कि ट्रैक खाली ना होने की वजह से कई ट्रेनें अनियमित तरीक से चल रही हैं। कहीं-कहीं कुछ ट्रेनों तो शॉर्ट नोटिस पर चलाई गई। जिसके चलते ट्रेन लेट हो रही हैं। हम लोग इस कोशिश में लगे हैं कि हमारे डिवीजन में ट्रेनें लेट ना हो।

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