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सदी की महानायिका श्रीदेवी: साउथ से आई और मचाया धमाल

जिस दौर में श्रीदेवी का हिन्दी फिल्मों में आना हुआ, उस समय तक दर्शक अभिनेत्रियों हेमामालिनी रेखा परवीन बाबी नीतू सिंह रीना राय आदि से बोर होने लगे थें...

Deepak Raj
Published on: 23 Feb 2020 3:29 PM GMT
सदी की महानायिका श्रीदेवी: साउथ से आई और मचाया धमाल
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श्रीधर अग्निहोत्री

नई दिल्ली। जिस दौर में श्रीदेवी का हिन्दी फिल्मों में आना हुआ, उस समय तक दर्शक अभिनेत्रियों हेमामालिनी रेखा परवीन बाबी नीतू सिंह रीना राय आदि से बोर होने लगे थें, अधिकतर अभिनेत्रियों के विवाह कर घर बसा लेने के कारण दर्शकों का भावानात्मक लगाव भी खत्म होने लगा था।

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इसी बीच एक साथ दो अभिनेत्रियों का हिन्दी फिल्मों में आगमन हुआ, एक बंगाल से आई देवाश्री राय तो दूसरी दक्षिण भारत से आई श्रीदेवी। देवाश्री राय क्रिकेटर संदीप पाटिल के साथ ‘कभी अजनबी थें’ (1983) फिल्म में फ्लाप हो गयी लेकिन श्रीदेवी ने ‘जम्पिग मैन जीतेन्द्र के साथ हिम्मतवाला (1983) में काम करके तहलका मचा दिया।

श्रीदेवी-जीतेन्द्र की जोड़ी सुपरहिट फिल्मों की झड़ी लग गयी

दर्शको का पहली बार एक साथ जीन्स टांप और चोली घाधरा दोनो में खूबसूरत दिखने वाली और नृत्य कला से परिपूर्ण इस अभिनेत्री से वो सब कुछ मिल गया जिसकी उन्हे तलाश दी। इस फिल्म की सफलता के बाद श्रीदेवी-जीतेन्द्र की जोड़ी सुपरहिट फिल्मों की झड़ी लग गयी।

श्रीदेवी के पास शूटिंग की डेट्स नहीं होती थी

दक्षिण भारत के निर्माता निर्देशको डी रामानायडू, टी रामाराव के राघवेन्द्र राव, के बापैय्या श्रीदेवी के घर पर लाइन लगाए रहते थें। दक्षिण भारत के इन निर्देशकों ने हिन्दी दर्शको की नब्ज को भांप लिया था। श्रीदेवी के पास शूटिंग की डेट्स नहीं होती थी।

हाल यह हो गया कि उनके नखरों से परेशान होकर दक्षिण भारत के निर्माता डुप्लीकेट श्रीदेवी के रूप एक ‘राधा’ को ले आए और जीतेन्द्र के साथ उनकी एक फिल्म कामयाब रिलीज कर दी। पोस्टर्स में लिखा गया यह श्रीदेवी नहीं राधा हैं पर दर्शको के दिमाग में तो श्रीदेवी का जादू चल रहा था, फिल्म कामयाब औंधे मुंह गिरकर बुरी तरह से फ्लाप हो गयी।

सुभाष घई ने उनको कर्मा फिल्म में कास्ट किया था

जीतेन्द्र की दक्षिण भारत में सफलता को देखकर सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने दक्षिण भारत के निर्माता के भाग्यराज की आखिरी रास्ता में श्रीदेवी के सथ काम किया। श्रीदेवी की सफलता की दक्षिण भारत से चली आंधी मुम्बई तक पहुंचने लगी और सुभाष घई ने उनको कर्मा फिल्म में कास्ट किया।

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बोनी कपूर ने 1986 में जब मि इंडिया फिल्म बनाई तो उस साल की वह सुपर हिट फिल्म साबित हुई। इसके बाद हरमेश मल्होत्रा की नगीना फिल्म ने खिड़की तोड़ सफलता हासिल की। मनमोहन सिंह की जबरदस्त फोटोग्राफी और शिवप्रसाद शर्मा (संतूर वादक )-हरि प्रसाद चैरसिया (बांसुरी वादक) के हिट संगीत ने यश चोपड़ा की ‘चांदनी’ (श्रीदेवी) को घर का सदस्य बना दिया और हर सदस्य की जुबान पर ‘मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां हैं’ रटा दिया था।

यश चोपड़ा का जब लगा कि चांदनी फिल्म में कुछ कमी रह गयी है तो उन्होंने लम्हे में श्रीदेवी को दोबारा लेकर एक नया प्रयोग किया। श्रीदेवी ने इस फिल्म में दोहरी भूमिका निभाकर बालीवुड को बता दिया कि उन्हे ऐसे ही ‘सदी की महानायिका’ नहीं कहा जाता है।

श्रीदेवी हिन्दी फिल्मों की अकेली अभिनेत्री हैं

श्रीदेवी की सफलता का आलम यह था कि बालीवुड के कई अभिनेता धर्मेन्द्र, विनोद खन्ना, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती आदि अपने डूबते कैरियर को बचाने के लिए श्रीदेवी के अपोजिट काम करने के लिए प्रयास करने लगे थें। श्रीदेवी हिन्दी फिल्मों की अकेली अभिनेत्री हैं जिन्होंने अभिनेता पिता धर्मेन्द्र के अलावा बेटे सनी द्योल के साथ भी काम किया।

इसके अलावा उन्होंने दूसरी पीढी के सलमान शाहरुख खान के साथ भी फिल्मों में काम किया। श्रीदेवी की सबसे बडी खासियत उनकी सुंदरता के साथ उनका बेहतरीन अभिनय भी था, सदमा फिल्म में उनकी जबरदस्त अभिनय के कारण मील का पत्थर साबित हुई।

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हिन्दी के अलाव दक्षिण भाषा की फिल्मों को मिलाकर लगभग 300 फिल्मों में काम करने वाली श्रीदेवी ने अपनी दूसरी पारी भी इंग्लिश-विंग्लिश में जबरदस्त सफलता पाई। सफलता का सिलसिला माम से कुछ आगे ही बढ़ा था कि उनकी एक दुर्घटना में मौत हो गयी। श्रीदेवी ऐसी अकेली अभिनेत्री हुई हैं जिनकी मौत पर दुनिया भर में फैले उनके प्रशसंक रो पडे़ थें।

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