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बड़ी खबर: सरकार नहीं हटाएगी रेलवे किनारे बनी झुग्गियां, जानिए क्यों

इस वक्त की सबसे बड़ी खबर देश की राजधानी दिल्ली से आ रही है। केंद्र सरकार की तरफ से उच्चतम न्यायालय को बताया गया है कि दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनीं झुग्गियों को फिलहाल नहीं हटाया जाएगा।

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Published on: 14 Sep 2020 11:20 AM GMT
बड़ी खबर: सरकार नहीं हटाएगी रेलवे किनारे बनी झुग्गियां, जानिए क्यों
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जब तक इसका हल नहीं निकाला जाता है तब तक ये झुग्गियों यहीं रहेंगी इन्हें यहां से नहीं हटाया जाएगा। इस केस को चार हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया।

नई दिल्ली: इस वक्त की सबसे बड़ी खबर देश की राजधानी दिल्ली से आ रही है। केंद्र सरकार की तरफ से उच्चतम न्यायालय को बताया गया है कि दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनीं झुग्गियों को फिलहाल नहीं हटाया जाएगा।

यह जानकारी केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दी। सरकार की ओर से कोर्ट को ये भी बताया गया है कि शहरी विकास मंत्रालय, रेल मंत्रालय और दिल्ली सरकार एक साथ बैठकर चार हफ्तों में इस मामले का समाधान खोजेंगे।

जब तक इसका हल नहीं निकाला जाता है तब तक ये झुग्गियों यहीं रहेंगी इन्हें यहां से नहीं हटाया जाएगा। जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने इस केस को चार हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया।

Police अवैध कब्जा हटाती पुलिस की फोटो(सोशल मीडिया)

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जन प्रतिनिधियों को लेकर कोर्ट ने सुनाया ये आदेश

उधर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान ऐसा आदेश जारी कर दिया। जो किसी भी जन प्रतिनिधि की नींद उड़ा सकता है। हाईकोर्ट के इस आदेश के अनुसार यदि कोई जन प्रतिनिधि जनता की इच्छानुसार या भरोसे वाला काम करने में समर्थ नहीं है तो उसे पावर में रहने का अधिकार एक सेकेण्ड के लिए भी नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सम्राट होती है। जनता ही सबसे बड़ी अथॉरिटी होती है और सरकार लोगों की इच्छा शक्ति पर आधारित होती है।

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Court अदालत की फोटो(सोशल मीडिया)

जनता को जन प्रतिनिधि की आलोचना का अधिकार

लोकतंत्र सरकार का वह हिस्सा है, जिसमें देश के राजनेता जनता द्वारा ईमानदारी से इलेक्शन में चुने जाते हैं। लोकतंत्र में जनता के पास सत्ता में लाने के लिए उम्मीदवारों और दलों का ऑप्शन होता है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि जनता जब अपने प्रतिनिधि को चुनती है तो उसकी आलोचना भी कर सकती है और अगर वे ठीक से काम न करें तो उन्हें हटा भी सकती है।

कोर्ट का ये भी कहना है कि स्था‍नीय और राष्ट्रीय स्तैर पर चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों को लोगों की आवाज जरूर सुननी चाहिए। साथ ही उनकी जरूरत पूरी करने का भी काम करना चाहिए।

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