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ई सोनचिरैया के चक्कर में न जमीन पर विकास आ सका और ना ही किसी की गोद में ?
जिस तरह मैंने वो चार लोग नहीं देखे जो क्या कहेंगे। ठीक उसी तरह मैंने सोनचिरैया नहीं देखी। वो चार लोग जीने नहीं देते (घर वाले हमेशा कहते हैं ना ये मत करो नहीं तो चार लोग क्या कहेंगे, ऐसा नहीं पहनों नहीं तो चार लोग क्या कहेंगे, इनके बारे में कह रहा हूं) और सोनचिरैया शादी नहीं करने देती। कैसे शादी में रूकावट है ई चिरैया आज इसी के बारे में बता रहे हैं।
ग्वालियर : जिस तरह मैंने वो चार लोग नहीं देखे जो क्या कहेंगे। ठीक उसी तरह मैंने सोनचिरैया नहीं देखी। वो चार लोग जीने नहीं देते (घर वाले हमेशा कहते हैं ना ये मत करो नहीं तो चार लोग क्या कहेंगे, ऐसा नहीं पहनों नहीं तो चार लोग क्या कहेंगे, इनके बारे में कह रहा हूं) और सोनचिरैया शादी नहीं करने देती। कैसे शादी में रूकावट है ई चिरैया आज इसी के बारे में बता रहे हैं।
ई सोनचिरैया कभी रहती होगी ग्वालियर-चंबल अंचल में। लेकिन वर्षों बीत गए नजर नहीं आई। लेकिन यहां सोनचिरैया को रहने के लिए कई किलोमीटर लंबा चौड़ा अभयारण्य बना रखा है। लेकिन मजे की बात ये है कि जबसे बना है तबसे सोनचिरैया ने दर्शन नहीं दिए। वैसे बता दें इलाके में नील गाय, हिरण, भालू और तेंदुआ जबतब दर्शन दे देते हैं।
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इस सोनचिरैया के चक्कर में कुवारें शादी के अरमान लिए बरसो बरस से सर्द रातें तन्हाई में काट रहे हैं। कोई उनके दुखों का अंदाजा नहीं लगा सकता।
हूनपुरा, गोढपुरा, सुरनाकी, झाला, नयागांव, फतेहपुरा, चंदूपुरा, कालाखेत, पिरा का पुरा, सीडना का पुरा, रेडाकी, गुर्जा, लखनपुरा गांवों के सैकड़ों लोगों ने जिला प्रशासन को 690 कुंवारों की लिस्ट सौंप दी है कि शादी नहीं हो रही वंश कैसे चलेगा। बेचारे अफसर भी क्या करें अभयारण्य अधिनियम के तहत इस इलाके में कोई निर्माण कार्य हो नहीं सकता। इस कारण अभयारण्य के दायरे में पड़ने वाले सभी 15 गावों में ना जमीन पर विकास आ सका और ना ही किसी की गोद में। सड़कें हैं नहीं पीने का पानी है नहीं कोई सुख सुविधा है नहीं तो कोई क्यों अपनी नाजों से पाली बेटी यहां दुःख सहने के लिए फेंक जाएगा।
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दुल्हन, बच्चे पत्नी के हाथों की गरम चाय और पकौड़े यहां के युवकों के लिए किसी बड़े सपने जैसे हैं। जो देखा तो जा सकता है लेकिन पूरा नहीं किया जा सकता। 400 युवक 40 के पार हैं। अब तो इन्होने अपने अरमानों का गला भी घोंट दिया है इस सोनचिरैया के चक्कर में।
गांव वाले इस मुई सोनचिरैया को भर भर कर कोसते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें लगता है जा वंश ही नहीं बढेगा तो गांव उजाड़ होने में देर नहीं लगेगी