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कहानी रामायण वाली है दोस्त, पहले धनुष तोड़ा, फिर पहनी वरमाला
आपको याद होगा भगवान राम जब सीता स्वयंवर में पहुंचे थे तब उन्हें धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ानी पड़ी थी, तभी सीता ने उन्हें वर माला पहना अपना माना था। अब आप सोच रहे होंगे ये हम आज क्यों याद दिला रहे हैं। दरअसल बात ये है कि लखनऊ के असीम आनंद बारात लेकर आए तो उन्हें ये नहीं पता था कि उन्हें भी अपनी दुल्हन पाने के लिए परीक्षा देनी होगी।
गोंडा : आपको याद होगा भगवान राम जब सीता स्वयंवर में पहुंचे थे तब उन्हें धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ानी पड़ी थी, तभी सीता ने उन्हें वर माला पहना अपना माना था। अब आप सोच रहे होंगे ये हम आज क्यों याद दिला रहे हैं। दरअसल बात ये है कि लखनऊ के असीम आनंद बारात लेकर आए तो उन्हें ये नहीं पता था कि उन्हें भी अपनी दुल्हन पाने के लिए परीक्षा देनी होगी। वो भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि बाकायदा धनुष तोड़ना होगा।
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माता सीता जैसा स्वयंवर
आवास विकास कॉलोनी में रहने वाले धीरेंद्र नाथ श्रीवास्तव की बेटी शेफाली की बारात लखनऊ के चिनहट से गोंडा आई थी। दुल्हन बनी शेफाली ने दूल्हे असीम के सामने शर्त रखी कि जब वो धनुष तोड़ेगा तभी वह उसे वरमाला पहनाएगी। शेफाली की इस शर्त से बाराती और दुल्हे के परिवारीजन हैरत में पड़ गए। लेकिन असीम ने शर्त मान ली इसके बाद स्टेज पर धनुष रखा गया। असीम ने उसे तोड़ा। इसके बाद शेफाली ने असीम के गले मे वरमाला डाली।
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शेफाली ने बताया कि उन्होंने माता सीता और भगवान श्रीराम के स्वयंवर के विषय में पढ़ रखा था। वो चाहती थी कि उसका दूल्हा भी धनुष तोड़े यदि असीम धनुष नहीं तोड़ पाते तो उन्हें वरमाला नहीं पहनातीं।
ये तो रही शेफाली की बात अब जानिए कि असीम को क्या लग रहा था शर्त सुनकर, असीम ने बताया, शर्त अटपटी लगी लेकिन फिर उन्होंने अपनी होने वाली जीवनसंगिनी के फैसले का सम्मान करने का फैसला किया और धनुष को तोड़कर वरमाला पहनने का निर्णय लिया।