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मजदूर के बेटे ने पास किया जेईई मेंस, कहानी जानकर रो देंगे आप

कुछ वर्ष पहले तक 18 साल के लेखराज भील को जेईई-मेन परीक्षा के बारे में कुछ भी पता नहीं था, लेकिन इस साल वह राजस्थान के अपने आदिवासी गांव से यह परीक्षा पास करने वाला पहला छात्र बन गया है। उनके माता पिता यहां झालावाड़ के मोगायबेह भीलन गांव के मनरेगा मजदूर हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 25 Jun 2019 2:37 PM GMT
मजदूर के बेटे ने पास किया जेईई मेंस, कहानी जानकर रो देंगे आप
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जयपुर: कुछ वर्ष पहले तक 18 साल के लेखराज भील को जेईई-मेन परीक्षा के बारे में कुछ भी पता नहीं था, लेकिन इस साल वह राजस्थान के अपने आदिवासी गांव से यह परीक्षा पास करने वाला पहला छात्र बन गया है। उनके माता पिता यहां झालावाड़ के मोगायबेह भीलन गांव के मनरेगा मजदूर हैं। उन्हें तो यह नहीं पता था कि इंजीनियर होता क्या बला है।

सिर्फ उनके माता पिता नहीं कुछ साल पहले तक लेखराज ने खुद भी जेईई-मेन परीक्षा के बारे में नहीं सुना था, लेकिन इस साल वह राजस्थान के अपने आदिवासी गांव में पहले हैं जो जेईई मेन में चयनित हुए हैं। लेखराज ने कहा कि मेरे पेरेंट्स हमेशा ये सोचते थे कि एक दिन उनका बेटा पढ़-लिखकर हमें लेबर के काम से निकाल लेगा। हमारे हालात शायद पहले से बदल जाएंगे। अभी भी उन्हें यही आशा है।

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बेटे की सफलता पर पिता मांगीलाल ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि एक इंजीनियर होता क्या है। मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मेरा बेटा ग्रेजुएट हो जाएगा। आज मैं ये सोचकर गदगद हूं कि मेरा बेटा भेल समुदाय और गांव गांव में पहला इंजीनियर बनने जा रहा है।

लेखराज का कहना है कि वह अपने गांव के बच्चों में एजुकेशन को लेकर अवेयरनेस फैलाना चाहता हूं। उन्हें शिक्षा के महत्व को बताना चाहता हूं। यहां रहने वाले ज्यादातर लोग निरक्षर हैं और मजदूर के रूप में काम करते हैं।

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अपनी सफलता के लिए लेखराज ने अपने शिक्षक जसराज सिंह गुर्जर, अपने प्रिंसिपल और कोटा में अपने कोचिंग संस्थान के निदेशक को धन्यवाद दिया। वहीं उनके टीचर का कहना है कि लेखराज पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन उसे ये पता नहीं था कि उसे करियर कहां बनाना है। उसने जेईई परीक्षा के बारे में भी नहीं सुना था।

जसराज के मुताबिक कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में लेखराज झालावाड़ जिले में टॉपर रहा था। उसने इस परीक्षा में 93.83 प्रतिशत नंबर हासिल किए थे। तब राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें पुरस्कार स्वरूप एक लैपटॉप दिया था। लेखराज ने स्कूल में गणित और विज्ञान में 96 और 97 अंक हासिल किए हैं, जबकि इन विषयों का स्कूल में कोई शिक्षक तक नहीं था, लेकिन वह एक समर्पित छात्र रहे हैं।

Dharmendra kumar

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