×

Disproportionate Assets Case: SC से मिली बड़ी राहत तो बीजेपी पर जमकर बरसे अखिलेश, बसपा को भी लिया आड़े हाथ

Disproportionate Assets Case: शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के निधन होने के बाद याची विश्वनाथ चतुर्वेदी से इस मामले में पूछने को क्या ही रह गया है। क्लोजर रिपोर्ट की प्रति के लिए आवेदन पर विचार करने को इच्छुक नहीं है।

Viren Singh
Published on: 14 March 2023 4:05 PM IST
Disproportionate Assets Case: SC से मिली बड़ी राहत तो बीजेपी पर जमकर बरसे अखिलेश, बसपा को भी लिया आड़े हाथ
X

Disproportionate Assets Case: आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई जांच का सामना करने वाले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने करीब 18 साल पुराने इस मामले में उनके और उनके भाई प्रतीक यादव के खिलाफ आगे सुनवाई करने से मना कर दिया है और सुनवाई बंद कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने प्राथमिक जांच के बाद साल 2013 में ही इस मामले में अपनी जांच बंद कर सीवीसी को रिपोर्ट सौंप दी थी। ऐसे में इस मामले में अब कुछ नहीं रह गया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधा है और विपक्षीय नेताओं पर केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा हो रही कार्रवाई को राजनीतिक मंशा करार दिया है।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड की पीठ ने मामले की सुनवाई

इस मामले सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ कर रही थी। इस पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी शामिल थे। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि 1 मार्च 2007 और 13 दिसंबर 2012 के फैसले के बाद सीबीआई ने सात अगस्त 2013 को अपनी प्रारंभिक जांच (PE) बंद कर दी है। उसके बाद आठ अक्टूबर 2013 को अपनी जांच रिपोपर्ट सीवीसी को सौंपी। कोर्ट ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के निधन होने के बाद याची विश्वनाथ चतुर्वेदी से इस मामले में पूछने को क्या ही रह गया है। क्लोजर रिपोर्ट की प्रति के लिए आवेदन पर विचार करने को इच्छुक नहीं है। उल्लेखीनय है कि सपा के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर 2022 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई ने यह बताया था

बात दें कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का 2019 में बताया था कि मुलायम सिंह यादव और उनके दो पुत्र अखिलेश यादव और प्रतीक यावद के विरूद्ध संज्ञेय अपराध होने का प्रथम दृष्यता सुबूत नहीं मिले थे। इस कारण यह मामला आपराधिक नहीं तब्दील किया गया था। अगस्त 2013 के बाद से इस मामले पर कोई जांच नहीं हुई।

क्या है पूरा मामला?

साल 2005 में विश्वनाथ चर्तुर्वेदी जो कि पेशे से वकील हैं और उस समय कांग्रेस में हुआ करते थे, ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, उनके दोनों बेटे अखिलेश और प्रतीक यादव और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के ऊपर आय से करोड़ों रूपये की अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी। 1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया।

अक्टूबर 2007 में सीबीआई ने शुरूआती फाइंडिंग क बाद अदालत को बताया कि उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं। साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम की बहू डिंपल यादव को जांच के दायरे से बाहर कर दिया। मुलायम, अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ जांच चलती रही। मुलामय सिंह के पिछले साल निधन के बाद अब केवल अखिलेश और प्रतीक ही बचे हैं। अखिलेश जहां सपा सुप्रीम बन मुलायम सिंह यादव के विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, उनके भाई प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।

अखिलेश यादव बसपा पर हमलावार

उधर, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच समानताएं बनाने के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को बहुजन समाज पार्टी पर हमलावार हो गए। बीएसपी की आलोचना करते हुए कहा कि वर्तमान की BSP पार्टी भाजपा की बी टीम है। बसपा के उम्मीदवारों की सूची भाजपा मुख्यालय में तय की जाती है।

बसपा सपा के उम्मदीवारों की रोकती है जीत

अखिलेश ने कहा कि बसपा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और पार्टी संस्थापक कांशीराम के दिखाए रास्ते से भटक गई है। बसपा ने भाजपा से हाथ मिला लिया है और उसकी बी-टीम के रूप में काम कर रही है। अखिलेश ने कहा कि अगर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक हो जाए को आने वाले सभी चुनाव में भाजपा को धूल चटा सकते हैं। लेकिन पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी कार्यालय ने बीएसपी उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल की थी। बसपा के उम्मीदवार जीत के लिए नहीं, बल्कि सपा के उम्मीदवारों को जीतने से रोकने के लिए मैदान में उतारे गए थे।

विपक्षीय नेताओं हो रही कार्रवाई राजनीतिक मंशा

उन्होंने कहा कि सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग की ओर से सभी छापेमारी विपक्षी नेताओं के ठिकानों पर राजनीतिक मंशा से की जा रही है। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था। दोनों दल मिलकर साथ लोकसभा चुनाव लड़ा था।



Viren Singh

Viren Singh

Next Story