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न्यायिक सेवा नियम-2010 में संशोधन को राज्य कैबिनेट से मंजूरी, इन्हें मिलेगा फायदा

राजस्थान में न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद से गुर्जरों सहित सबसे पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को अब राजस्थान न्यायिक सेवाओं में 1% के बजाय अब 5% आरक्षण मिल सकेगा।

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Published on: 2 Aug 2020 4:24 PM GMT
न्यायिक सेवा नियम-2010 में संशोधन को राज्य कैबिनेट से मंजूरी, इन्हें मिलेगा फायदा
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जयपुर: राजस्थान में न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद से गुर्जरों सहित सबसे पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को अब राजस्थान न्यायिक सेवाओं में 1% के बजाय अब 5% आरक्षण मिल सकेगा। इसके लिए खुद सीएम अशोक गहलोत ने पहल की थी।

बताते चले कि अधिक पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार लंबे समय से न्यायिक सेवा नियमों में संशोधन की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें राज्य न्यायिक सेवा में एक प्रतिशत के बजाय पांच प्रतिशत आरक्षण मिल सके। अधिक पिछड़े वर्गों में गुर्जर, राइका-रबारी, गदिया-लोहार, बंजारा और गडरिया सम्मिलित हैं।

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एफएसएल जांच में ऑडियो टेप पाई गई सही

राजस्थान की राजनीति से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। मामला राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा हुआ है।

एसओजी ने ऑडियो टेप की एफएसएल जांच करवाई थी, जो सही पाई गई है और इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है।

बताया जा रहा है कि अब एसओजी की तरफ से मजिस्ट्रेट कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा गया है कि आगे की जांच के लिए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह और कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के वाइस सैम्पल की जांच जरूरी है।

जबकि कोर्ट में संजय जैन ने आवाज के नमूने देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह राजनीतिक मामला है और मुझे जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं है। आवाज के नमूने का गलत प्रयोग कर मुझे फंसाया जा सकता है।

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क्या कहती है एसओजी

इस मामले में एसओजी का कहना है कि, वायरल ऑडियो एफएसएल जांच के लिए 28 जुलाई को भेजा गया था जिसकी परीक्षण रिपोर्ट शुक्रवार को आ गई है।

एसओजी ने कोर्ट से कहा है कि नोटिस देने के बावजूद राजेंद्र सिंह और भंवर लाल शर्मा वॉयस सैंपलिंग के लिए नहीं आ रहे हैं इसलिए कोर्ट आदेश दे कि आगे की जांच के लिए वे अपना वॉयस सैंपल एसओजी को उपलब्ध कराये।

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