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डीएमएमसी व कुमार मुन्नन सिंह को सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबन्धन पुरस्कार

संस्थागत श्रेणी में चुने गए आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी) को प्रमाणपत्र और 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। यह नकद पुरस्कार केवल आपदा प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाएगा। इसी तरह व्यक्तिगत श्रेणी में कुमार मुन्नन सिंह को प्रमाणपत्र और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

राम केवी
Published on: 23 Jan 2020 1:35 PM GMT
डीएमएमसी व कुमार मुन्नन सिंह को सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबन्धन पुरस्कार
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नई दिल्लीः वर्ष 2020 के लिए, आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी) , उत्तराखंड और कुमार मुन्नन सिंह को आपदा प्रबंधन में उनके सराहनीय कार्य के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के लिए चुना गया है। संस्थागत श्रेणी में चुने गए आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी) को प्रमाणपत्र और 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। यह नकद पुरस्कार केवल आपदा प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाएगा। इसी तरह व्यक्तिगत श्रेणी में कुमार मुन्नन सिंह को प्रमाणपत्र और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

स्मरण रहे कि वर्ष 2019 के लिए, गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 8वीं बटालियन को आपदा प्रबंधन में अपने सराहनीय कार्य के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया था।

डीएमएमसी के उल्लेखनीय कार्य

उत्तराखंड में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यों का निर्वहन आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी) करता है। 2006 में स्थापना के बाद से, इसने 2010, 2012 और 2013 में आपदा की प्रमुख घटनाओं के बाद समन्वय, सूचना के आदान-प्रदान और मीडिया ब्रीफिंग से संबंधित विभिन्न कार्यों को पूरा किया है।

एनडीएमए के समर्थन से डीएमएमसी राज्य, जिला और तहसील स्तर पर मॉक अभ्यास आयोजित कर रहा है और राज्य सरकार के अधिकारियों को आपदा मोचन प्रणाली (आईआरएस) के लिए प्रशिक्षित किया है और तहसील स्तर तक घटना प्रतिक्रिया प्रशिक्षण (आईआरटी) का आयोजन किया है।

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डीएमएमसी कार्यशालाओं के माध्यम से राज्य सरकार के विभागों के बीच उभरती प्रौद्योगिकियों और तकनीकों के प्रचार के लिए देश में डीआरआर के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न वैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थानों के साथ विचार-विमर्श सुनिश्चित किया जाता है।

डीएमएमसी ने छात्रों के लिए अनुसंधान सुविधाओं का विस्तार किया है और समीक्षा की गई वैज्ञानिक पत्रिकाओं में 50 से अधिक पेपर प्रकाशित किए हैं। इसने समृद्ध ऑडियो-विज़ुअल और प्रिंट आईईसी सामग्री विकसित की है, जो विशेष रूप से हिंदी में देश में सर्वश्रेष्ठ सामग्रियों में शामिल है।

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इसमें सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित लोकप्रिय फिल्म 'द साइलेंट हीरो' शामिल है, जो 11 दिसंबर, 2015 को देश भर के 100 शहरों में 200 से अधिक सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। यह फिल्म तैयारी और क्षमता निर्माण के महत्व पर प्रकाश डालती है और सामाजिक समावेशन का संदेश देती है।

डीएमएमसी द्वारा किया गया काम अभिनव और मौलिक है और इसमें आपदा-पूर्व तैयारी और क्षमता निर्माण से लेकर आपदा-पश्चात प्रत्युत्तर और पुनर्वास तक शामिल है। लगभग दो दशकों तक इन कार्यक्रमों की निरंतरता और अन्य राज्यों और देशों द्वारा इनमें दिखाई गई गहरी दिलचस्पी से कार्यक्रमों के टिकाउ होने का पता चलता है।

कुमार मुन्नन सिंह

2004 में हिंद महासागर सुनामी के दौरान उनके सराहनीय कार्यों के बाद 2005 में कुमार मुन्नन सिंह को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संस्थापक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। एनडीएमए में, श्री सिंह ने अपनी विशिष्ट विशेषज्ञ आपदा मोचन बल, 'नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स' को स्थापित करने के लिए श्रमसाध्य प्रयासों की शुरुआत की।

आपदा प्रबंधन

किसी भी आपदा के बाद, कई संगठन और व्यक्ति प्रभावित लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए चुपचाप किंतु प्रभावी तरीके से काम करते हैं। प्रारंभिक चेतावनी, रोकथाम, शमन, तैयारी, बचाव, राहत और पुनर्वास के क्षेत्र में अनुसंधान/ नवाचारों के लिए भी काफी काम किया जाता है।

सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार

भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता देने के लिए, भारत सरकार ने एक वार्षिक पुरस्कार की स्थापना की है, जिसे सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबन्धन पुरस्कार के नाम से जाना जाता है। यह पुरस्कार हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर घोषित किया जाता है।

पुरस्कार की प्रक्रिया

वर्ष 2020 के लिए पुरस्कार योजना का व्यापक प्रचार किया गया। पुरस्कार के लिए नामांकन 1 अगस्त, 2019 से जारी किए गए थे। नामांकन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर, 2019 थी। संस्थानों और व्यक्तियों के लगभग 330 नामांकन के साथ, पुरस्कार योजना में बहुत रूचि थी। पुरस्कार के चयन के लिए, दो उच्च स्तरीय समितियों द्वारा नामांकन की घोषणा की गई थी।

राम केवी

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