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S-400 पर सुब्रमण्यम स्वामी का सवाल, जांच करें इसमें तो नहीं चीनी साफ्टवेयर
इस मिसाइल सिस्टम के जरिए भारत 380 किलोमीटर की दूरी तक बॉम्बर्स, जेट्स, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन्स का पता लगाकर उन्हें तबाह कर सकता है।
नई दिल्ली: भारत और चिना के बीच सीमा विवाद के बाद से ही तनाव जारी है। इस तनाव को लेकर कल भारत की ओर से बड़ी कार्रवाही करते हुए 59 चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया गया। देश में चीन की सबसे ज्यादा चर्चित ऐप टिकटॉक को बैन करने की मांग भी काफी जोरों से की जा रही थी। जिसके बाद कल भारत सरकार की ओर से ये बड़ा कदम उठाया गया।
और 59 चीनी ऐप्स को तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया गया। इस बीच अब बीजेपी के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बड़ी चिंता जाहिर करते हुए सरकार से कहा है कि इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि कहीं एस-400 में चीनी सॉफ्टवेयर तो नहीं लगे हैं।
स्वामी ने जाहिर की एस-400 में चीनी सॉफ्टवेयर होने की चिंता
हमेशा अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीटर पर लिखा, '' सोशल मीडिया में चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार को हमारे सशस्त्र बलों को जोखिम में डालने से पहले एस-400 में चीनी सॉफ्टवेयर और एप्स की जांच करनी चाहिए।'' जैसा कि ज्ञात है कि भारत सरकार ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए करार किया हुआ है। जिसके बाद हाल ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस का दौरा भी क्या था।
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भारत ने पांच अक्तूबर, 2018 को 5.43 बिलियन डॉलर (40,000 करोड़) के कांट्रैक्ट पर रूस के साथ हस्ताक्षर किए थे। इस कांट्रैक्ट के तहत रूस भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम देगा। भारत ने यह रक्षा सौदा अमेरिका की उस धमकी के बाद भी किया था, जिसमें उसने रूस से हथियार या ईरान से तेल खरीदने वाले देशों पर काट्सा के तहत प्रतिबंध लगाने की बात कही थी।
काफी ताकतवर है एस-400
भारत के लिए मिसाइल एस-400 काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में इस मिसाइल को लेकर स्वामी का चिंता जाहिर करना भी कहीं न कहीं सही ही है। इस मिसाइल सिस्टम के जरिए भारत 380 किलोमीटर की दूरी तक बॉम्बर्स, जेट्स, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन्स का पता लगाकर उन्हें तबाह कर सकता है। इसके जरिए भारत अपनी हवाई रक्षा को मजबूती प्रदान करना चाहता है।
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इन्हें चीन, पाकिस्तान की सीमाओं के साथ ही नई दिल्ली में तैनात किया जाएगा। भारत ने साल 2015 में इस मिसाइल सौदे की प्रक्रिया को शुरू किया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति ने इसे 26 सितंबर, 2018 को मंजूरी दी थी। फिलहाल अब देखना है कि सरकार अपने दिग्गज नेता की इस बात को कितनी गंभीरता से लेती है।