अनुच्छेद 370 हटाने का मामला: केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उठाया ये बड़ा कदम

उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 मामले को बड़ी बेंच को सौंपने को चुनौती दी जाए या नहीं इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

Aditya Mishra
Published on: 23 Jan 2020 12:23 PM GMT
अनुच्छेद 370 हटाने का मामला: केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उठाया ये बड़ा कदम
X

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 मामले को बड़ी बेंच को सौंपने को चुनौती दी जाए या नहीं इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि कैसे जम्मू और कश्मीर का भारतीय संघ में प्रवेश हुआ और यह अपरिवर्तनीय है। वेणुगोपाल ने कहा कि मैं यह दिखाना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता वास्तव में अस्थायी थी। हम राज्यों के संघ हैं।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा था कि अनुच्छेद-370 का मुद्दा फिलहाल सात सदस्यीय बड़ी सांविधानिक पीठ को नहीं भेजा जाएगा।

पांच सदस्यीय सांविधानिक पीठ ने कहा था कि जब तक याचिकाकर्ताओं की तरफ से अनुच्छेद-370 से जुड़े शीर्ष अदालत के दोनों फैसलों (1959 का प्रेमनाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर और 1970 का संपत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर) के बीच कोई सीधा टकराव साबित नहीं किया जाता, वह इस मुद्दे को वरिष्ठ पीठ को नहीं भेजेगी। बता दें कि दोनों ही फैसले पांच सदस्यीय सांविधानिक पीठ ने ही सुनाए थे।

ये भी पढ़ें...इस दुश्मन देश को कई तोहफे देने जा रहा है भारत, जानें क्यों

अनुच्छेद-370 हटाने के फैसले की समीक्षा की मांग

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को शीर्ष अदालत के पिछले दोनों फैसलों के बीच सीधा टकराव होने से जुड़े तथ्य दाखिल करने का आदेश दिया और सुनवाई को स्थगित कर दिया था। रेफरेंस के मुद्दे पर सुनवाई कर रही जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से जम्मू-कश्मीर बार संघ ने कहा था कि केंद्र सरकार की तरफ से पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को खत्म करने का फैसला अवैध था और इसकी समीक्षा की आवश्यकता है।

जस्टिस रमना के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की मौजूदगी वाली पीठ ने बार संघ की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता जफर अहमद शाह से कहा कि उन्हें पिछले दोनों फैसलों में सीधा टकराव साबित करना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था, भारत और जम्मू-कश्मीर के संविधान एक-दूसरे के समानांतर हैं और अनुच्छेद-370 इनके साथ चल रहा था।

उन्होंने कहा था कि संपत प्रकाश मामले में दिए गए शीर्ष अदालत के निर्णय में खासतौर पर कहा गया है कि परिस्थितियों की निरंतरता को ध्यान में रखकर अनुच्छेद-370 को बने रहना होगा। जफर अहमद ने कहा था कि दोनों संविधान एकसाथ काम कर रहे थे और दोनों के बीच टकराव रोकने के लिए अनुच्छेद-370 की उपधारा (2) मौजूद थी।

उन्होंने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर में यदि कोई कानून बनाना था तो यह केवल राज्य की सहमति या परामर्श से ही बनाया जा सकता था। अनुच्छेद-370 इसी सहमति या परामर्श के लिए रखा गया था। अनुच्छेद-370 को हटाकर सरकार ने राज्य के साथ संबंध खत्म कर लिए हैं।

ये भी पढ़ें...दिल्ली: शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने किया 29 जनवरी को भारत बंद का आह्वान

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story