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MP: SC ने खारिज की कांग्रेस की याचिका, कहा कि फ्लोर टेस्ट का आदेश सही
देश में न्याय बंद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का कार्य निरंतर जारी है। अदालत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने अहम मामलों को निपटा रही है।
पूरे देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। जिसके चलते देश में लगे लॉकडाउन के चक्कर में सब कुछ बंद है। सारे कार्य सारी सेवाएं बंद हैं। लेकिन देश में न्याय बंद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का कार्य निरंतर जारी है। अदालत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने अहम मामलों को निपटा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को ठहराया सही
इसी कड़ी में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि मार्च में हुए मामले में राज्यपाल के द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश देना सही था। ऐसे में अदालत ने अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से दिए गए उस तर्क को नकार दिया है।
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जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यपाल ऐसा आदेश नहीं दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक चलती हुई विधानसभा में दो तरह के ही रास्ते बचते हैं, जिसमें फ्लोर टेस्ट और नो कॉन्फिडेंस मोशन ही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने तब खुद कोई निर्णय नहीं लिया, बल्कि सिर्फ फ्लोर टेस्ट कराने को कहा।
सियासी उठापटक के बीच गवर्नर ने दिया फ्लोर टेस्ट का आदेश
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में उस समय जारी सियासी उठापटक के बीच गवर्नर लालजी टंडन ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। लेकिन, जब सदन की शुरुआत हुई तो विधानसभा स्पीकर ने सदन को कोरोना वायरस के चलते कुछ दिनों के लिए टाल दिया था। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
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ज्ञात हो कि जब मार्च में मध्यप्रदेश में पूर्व की कमलनाथ सरकार पर जब सरकार जाने का संकट मंडराया था तब भारतीय जनता पार्टी के नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया गया था। फिर तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाने को लेकर सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने तब फ्लोर टेस्ट तुरंत करवा दिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।
कमलनाथ ने खुद दे दिया था इस्तीफा
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ज्ञात हो कि पिछले महीने मध्य प्रदेश में काफी सियासी ड्रामा देखने को मिला था। जब कांग्रेस के कुछ विधायक पार्टी से इस्तीफा देकर बेंगलुरु पहुंच गए, जिसके बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी। लेकिन स्पीकर ने इस्तीफा मंजूर नहीं किया था, इसी वजह से भाजपा की ओर से SC का रुख किया गया था। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया तो बहुमत साबित करने से पहले ही कमलनाथ ने अपना पद छोड़ दिया। जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने एक बार बतौर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शपथ ले ली।