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SC की दो टूक, दिल्ली में कौन आएगा, तय करे पुलिस, किसान संगठनों में पड़ी फूट
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की पीठ ने कहा कि यह दिल्ली पुलिस को तय करना है कि किसानों में, कितनों को और किन शर्तों पर (किसानों को) 26 जनवरी को राजधानी में जाने की अनुमति दि जाए।
रामकृष्ण वाजपेयी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि यह दिल्ली पुलिस को तय करना है कि प्रदर्शनकारी किसानों को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए या नहीं। 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली में निषेधाज्ञा लगाने के लिए दिल्ली पुलिस की निर्देश दिये जाने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे तय करने की एकमात्र अधिकारी दिल्ली पुलिस है, शीर्ष अदालत नहीं।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की पीठ ने कहा कि यह दिल्ली पुलिस को तय करना है कि किसानों में, कितनों को और किन शर्तों पर (किसानों को) 26 जनवरी को राजधानी में जाने की अनुमति दि जाए।अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से गणतंत्र दिवस समारोह की गरिमा बनाए रखने के लिए किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया, इस पर मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए हमें केंद्र को पुलिस के साथ मिली उसकी शक्तियों के बारे में बताने की जरूरत नहीं है।
भारतीय रेलवे ने रविवार को उस समय इतिहास रच दिया जब देश के विभिन्न हिस्सों से सात एक्सप्रेस ट्रेनें और एक स्थानीय ट्रेन, सभी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाने के बाद, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की साइट केवडिया के लिए रवाना किया गया। पीएम ने कहा कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा अमेरिका के न्यूयॉर्क हार्बर में स्टैचू ऑफ लिबर्टी से भी ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।
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समिति बनाने के मुख्य मुद्दे पर सुनवाई बुधवार तक स्थगित
इस पर वेणुगोपाल ने तर्क दिया कि केंद्र किसानों पर संयम के आदेश की मांग कर रहा है, क्योंकि SC ने मामले की जिम्मेदारी ले ली है, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने एक मुद्दे को छोड़कर मामले का प्रभार नहीं लिया है और हमारे हस्तक्षेप को गलत समझा गया है। शीर्ष अदालत ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर किसानों और हितधारकों की सुनवाई के लिए एक समिति बनाने के मुख्य मुद्दे पर सुनवाई बुधवार के लिए स्थगित कर दी।
अदालत चार सदस्यीय समिति के नए सदस्य को नियुक्त करने पर भी विचार कर सकती है, क्योंकि 14 जनवरी को भूपेंद्र सिंह मान के इस्तीफे के बाद यह गैर-कार्यात्मक हो गया था। भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मान यह कहते हुए पैनल से बाहर हो गए थे कि वह "प्रचलित भावनाओं" और किसानों की आशंकाओं को देखते हुए ऐसा कर रहे हैं। केंद्र ने दिल्ली पुलिस के माध्यम से दायर आवेदन में कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह को बाधित और विचलित करने का कोई भी प्रस्तावित मार्च या विरोध "राष्ट्र को शर्मिंदा" करेगा।
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किसान संगठनों में फूट!
दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। तीन दर्जन से अधिक किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल हैं। लेकिन सवाल है कि क्या अब किसान संगठनों में फूट पड़ रही है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी को संयुक्त किसान मोर्चा से बाहर कर दिया गया है।
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किसान नेता शिवकुमार कक्का का कहना है कि गुरनाम सिंह चन्नी बीते कई दिनों से विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहे थे और उनकी बैठकों में हिस्सा ले रहे थे। इसके साथ ही वह किसान मोर्चे की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। अब इस कार्रवाई से नाराज गुरनाम सिंह ने शिव कुमार कक्का को आरएसएस का एजेंट बता दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कार्रवाई उनके इशारे पर की गई है।
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