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महिलाओं से अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उठाया ये बड़ा कदम,जानिए क्या?

महिला अपराधों से निपटने-दोषियों को समय से सजा और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से निर्भया फंड किया है। कोर्ट ने कहा कि न्याय में देरी जनता के मन में अशांति, गुस्सा और अधीरता पैदा करती है। चीफ जस्टिस बोबडे, ज

suman
Published on: 19 Dec 2019 10:21 AM IST
महिलाओं से अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उठाया ये बड़ा कदम,जानिए क्या?
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नई दिल्ली: महिला अपराधों से निपटने-दोषियों को समय से सजा और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से निर्भया फंड किया है। कोर्ट ने कहा कि न्याय में देरी जनता के मन में अशांति, गुस्सा और अधीरता पैदा करती है। चीफ जस्टिस बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस रिट के हवाले से ये भी कहा है कि न्याय प्रक्रिया की पेचीदगी की वजह से न्याय मिलने में देरी जनता के मन में अशांति, गुस्सा पैदा करती है।निर्भया कांड में दोषियों को तक सजा नहीं मिली है। हैदराबाद गैंरेप केस के बाद जो जनता में आक्रोश था उसे देखकर सुप्रीम कोर्ट के लिए चिंता बढ़ी है।

कोर्ट ने कहा कि निर्भया केस ने पूरे देश को झकझोरा था। इसके बाद जनता की भावना को देखते हुए संसद ने कानून में भी बदलाव किया, लेकिन निर्भया केस आज तक अंतिम पडाव पर नहीं पहुंच पाया। जबकि ये अकेला ऐसा केस नहीं है। जस्टिस बोबडे ने कहा कि एजेंसिया लोगों के गुस्से को देखकर तेजी से काम करती हैं।महिलाओं से रेप के मामलों में जस्टिस में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने ये बडा कदम उठाया है। चीफ जस्टिस ने देशभर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया।

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*चीफ़ जस्टिस ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को नोटिस जारी कर कहा है कि मौजूदा कानून, सिस्टम और पुलिस कार्रवाई के तरीकों को सख्त और जवाबदेह करने की ज़रूरत है। चीफ जस्टिस ने कहा है कि 2017 में देशभर में 32559 रेप केस सामने आए जो कि बेहद चिंताजनक हैं।

*चीफ जस्टिस ने सभी राज्यों से मौजूदा कानूनी कार्रवाई के तरीकों के बारे में स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने राज्यों से ये भी पूछा है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में पुलिस कार्रवाई क्या हुई है? कितनी तेज़ी से हुई है? सजा दिलाने का अनुपात और प्रतिशत कितना रहा है?

*कोर्ट ने ये भी जानना चाहा है कि अभियोजन कैसे काम कर रहा है? फोरेंसिक एजेंसियां कितनी हैं और उनके पास जांच के क्या क्या साधन हैं? तकनीक कितनी सटीक, आधुनिक और वैज्ञानिक है? स्टाफ कितना है और कितना प्रशिक्षित भी। मुकदमा समय पर दर्ज न करने या मुकदमा ना दर्ज करने वाले कितने पुलिसवालों के खिलाफ क्या क्या कार्रवाई हुई? यानी कितने निलम्बित हुए और कितने बर्खास्त।

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*इतना ही नहीं राज्यों के सुस्त रवैये से परेशान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से पूछा कि उनके यहां विशेष अदालतें कितनी हैं? उनमे फ़ास्ट ट्रैक कितनी हैं? मुकदमों के तेज़ी से निपटारे का आंकड़ा क्या है? साथ ही यह सुनिश्चत करने के लिए क्या किया जा रहा है कि ट्रायल जल्द और तय समय में पूरा हो जाए।

*कोर्ट ने राज्यों को भेजे नोटिस में ये भी जानना चाहा है कि महिलाओं से रेप या शोषण के मामलों में वकीलों की केस में उपस्थिति सुनिश्चित रहे इसके लिए क्या किया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी इस काम में सहयोग देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की है।



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