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कृषि कानूनों का मसला: SC ने सुझाये ये नाम, इन चार 4 लोगों की बनी समिति
सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार लोगों के नाम समिति के लिए सुझाये हैं वो हैं- भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल घंवत। भूपेंद्र मान, भारतीय किसान यूनियन के नेता हैं। प्रमोद जोशी अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान में पॉलिसी हेड रहे हैं।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने किसानों और कृषि कानूनों का विवाद ख़त्म करने के लिए चार लोगों की समिति सुझाई है और 40 दिन का टाइम दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार लोगों के नाम समिति के लिए सुझाये हैं वो हैं- भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल घंवत। भूपेंद्र मान, भारतीय किसान यूनियन के नेता हैं। प्रमोद जोशी अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान में पॉलिसी हेड रहे हैं। अशोक गुलाटी कृषि वैज्ञानिक हैं। वहीं अनिल धनवंत महाराष्ट्र के शेतकारी संगठन से जुड़े हैं।
भूपेंद्र सिंह मान
भूपेंद्र सिंह मान का जन्म 15 सितम्बर 1939 को गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) में हुआ था। किसानों के संघर्ष में उत्कृष्ट योगदान के लिए भूपेंद्र सिंह को 1990 को राष्ट्रपति ने राज्यसभा में मनोनीत किया था। भूपेन्द्र सिंह एक प्रमुख जमींदार परिवार से आते हैं।
अशोक गुलाटी
भारतीय कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी एक कृषि इकोनॉमिस्ट हैं। सीएसीपी ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है सीएसीपी गुलाटी फ़िलहाल अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसन्धान परिषद में कृषि के लिए इनफ़ोसिस के अध्यक्ष हैं। वे नीति योग के तहत कृषि टास्क फ़ोर्स के सदस्य भी हैं।
डॉ. प्रमोद जोशी
साउथ एशिया खाद्य नीति अनुसन्धान संसथान के निदेशक हैं डॉ. जोशी। उनके अनुसन्धान के क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी, मार्किट और संस्थागत अर्थशास्त्र के मसले शामिल रहे हैं। वे सार्क कृषि केंद्र के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
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अनिल घंवत
अनिल घंवत शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं। ये संगठन कृषि कानूनों के पक्ष में ही नहीं बल्कि कृषि क्षेत्र में और भी आज़ादी के पक्ष में है। शेतकारी संगठन केंद्र सरकार द्वारा घोषित कृषि कानूनों का समर्थन करने वालों में सबसे पहला संगठन है। शुरुआत से ही खुले बाजार का समर्थन करने वाले इस संगठन ने तीनों कानूनों में से कृषि उत्पाद व्यापार और व्यवसाय कानून, 2020 का सबसे ज्यादा समर्थन किया है। संगठन के अध्यक्ष का कहना है कि कानून कृषि उत्पाद बाजार समिति की शक्तियों को नियंत्रित करता है और किसानों के लिए मुक्त बाजार को काम करने का मौका देता है।
शरद जोशी एक अर्थशास्त्री हैं
शेतकारी संगठन को महाराष्ट्र के किसान नेता शरद जोशी ने बनाया था। शरद जोशी एक अर्थशास्त्री हैं जो पहले स्विट्जरलैंड में संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करते थे। वहां से भारत लौटने के बाद महाराष्ट्र के पुणे जिले में खेड़ तालुका के पास खेती करने के लिए जमीन खरीदी। 1979 में जब प्याज की सही कीमत की मांग करते हुए किसानों ने सड़कों पर प्याज फेंक दी और पुणे नासिक हाइवे को जाम कर दिया तब शेतकारी संगठन का जन्म हुआ था। जोशी का मानना है कि जब तक ग्रामीण भारत को देश के शहरों को हिसाब से चलाने की कोशिश होती रहेगी उसकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा।
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शेतकारी संगठन शुरू से ही बाजार का समर्थक
उनके आंदोलनों में केवल प्याज ही नहीं बल्कि गन्ना की सही कीमतें और कपास को लेकर महाराष्ट्र राज्य सहकारी कपास मार्केटिंग फेडरेशन के एकाधिकार को खत्म करने की मांग भी शामिल रहे। 1984 में हुए यह आंदोलन पूरी तरह से सफल रहा था और सरकार को अपने कपास के अंतरराज्यीय वितरण पर रोक लगाने वाले कानून को वापस लेना पड़ा था। शेतकारी संगठन शुरू से ही बाजार का समर्थक रहा है।
जोशी का मानना है कि किसानों की समस्याओं का मूल कारण बाजार तक सीमित पहुंच है। वे कहते हैं कि बाजार खुला और प्रतिस्पर्धी होना चाहिए जिससे कि कृषि उत्पादों की सही कीमत मिल सके। उन्होंने सरकारों पर आरोप लगाया था कि वो ग्राहकों को सस्ता माल दिलाने के लिए कृषि उत्पादों की कीमतें जानबूझ कर कम करती हैं।
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