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नई शिक्षा नीति: तीन भाषा वाले प्रस्ताव पर भड़के CM, जानें क्या है 3 लैंग्वेज फ़ॉर्मूला

केंद्र की मोदी सरकार ने देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की घोषणा की है। अब इस शिक्षी नीति की घोषणा के बाद देश में बहस छिड़ गई है।

Newstrack
Published on: 3 Aug 2020 10:42 AM GMT
नई शिक्षा नीति: तीन भाषा वाले प्रस्ताव पर भड़के CM, जानें क्या है 3 लैंग्वेज फ़ॉर्मूला
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Edappadi K Palaniswami

चेन्नई: केंद्र की मोदी सरकार ने देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की घोषणा की है। अब इस शिक्षी नीति की घोषणा के बाद देश में बहस छिड़ गई है। तमिलनाडु की एआईडीएमके सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) में प्रस्तावित केंद्र के तीन भाषा के प्रावधान का विरोध करते हुए खारिज कर दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लागू दो भाषा की नीति पर ही अमल होगा।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के.पलानीस्वामी ने एजुकेशन पॉलिसी में तीन भाषा के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई दशक से दो भाषा की नीति का पालन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इस नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा सि तमिलनाडु कभी केंद्र की तीन भाषा की नीति का पालन नहीं करेगा।

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सीएम का कहना है कि राज्य अपनी दो भाषा (तमिल और अंग्रेजी) की नीति पर अमल करेगा। उनका कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषा का फॉर्मूला दुखद और पीड़ादायी है। प्रधानमंत्री को तीन भाषा की नीति पर फिर से विचार करना चाहिए। पलानीस्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार को इस विषय पर राज्यों को अपनी नीति लागू करने देनी चाहिए।

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बता दें कि नई शिक्षा नीति में तीन भाषा के फार्मूले के मुताबिक राज्य ही फैसला लेंगे कि भाषा क्या होगी।

इससे पहले डीएमके प्रमुख स्टालिन ने भी नई शिक्षा नीति पर सवाल खड़े किए थे। स्टालिन ने आरोप लगाया था कि अगर यह नीति लागू की गई तो एक दशक में शिक्षा सिर्फ कुछ लोगों तक सिमट कर रह जाएगी।

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क्या है 3 लैंग्वेज फ़ॉर्मूला

थ्री लैंग्वेज फ़ॉर्मूले के तहत नई शिक्षा नीति में कम से कम कक्षा 5 तक बच्चों से बातचीत का माध्यम मातृभाषा/स्थानीय भाषा/ क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके अलावा छात्रों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को विकल्प के रूप में चुनने का मौका भी दिया जाएगा। थ्री लैंग्वेज फ़ॉर्मूले में भी यह विकल्‍प शामिल होगा। पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के तौर पर छात्र चुन सकते हैं। कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्‍प के तौर चुना जा सकता है। सरकार भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज को मानकीकृत करेगी।

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