इज्जत बचाने के लिए डीजीपी की कार से भागीं महिला आईपीएस, क्या मिलेगा इंसाफ

'कातिल भी तुम्हीं हो मुंसिफ भी तुम्हीं हो, कैंसे यकीन करूँ फैसला मेरे हक़ मैं आएगा।' यह पंक्ति बड़ी घटनाओं पर एकदम सटीक बैठती है। क्योंकि यहां अधिकतर मामलों में इंसाफ मिलता नहीं बल्कि सामर्थवान इसे छीन लेते हैं।

raghvendra
Published on: 28 Feb 2021 11:30 AM GMT
इज्जत बचाने के लिए डीजीपी की कार से भागीं महिला आईपीएस, क्या मिलेगा इंसाफ
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चेन्नई। 'कातिल भी तुम्हीं हो मुंसिफ भी तुम्हीं हो, कैंसे यकीन करूँ फैसला मेरे हक़ मैं आएगा।' यह पंक्ति बड़ी घटनाओं पर एकदम सटीक बैठती है। क्योंकि यहां अधिकतर मामलों में इंसाफ मिलता नहीं बल्कि सामर्थवान इसे छीन लेते हैं। तभी रसूख और पहुंच वालों के खिलाफ शिकायत करने से लोग डरते हैं। अगर कोई गलती से शिकायत करने की हिमाकत कर भी दे तो उसे इतने जांचों में उलझा दिया जाता है कि इंसाफ पाने का उसका सपना बीच में ही दम तोड़ देता है।

ऐसा ही मामला तमिलनाडु से सामने आ रहा है। यहां के स्पेशल डीजीपी पर एक महिला आईपीएस ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। हालांकि इस आरोप पर तमिलनाडु सरकार ने स्पेशल डीजीपी को उनके पद से हटा दिया है। लेकिन जांच में अभी तक जो बात निकलकर आ रही है, उससे महिला आईपीएस को इंसाफ मिलने की बात दूर—दूर तक नजर नहीं आ रही है।

जाने पूरा मामला

जानकारी के अनुसार स्पेशल डीजीपी के खिलाफ शिकायत करने वालीं महिला आईपीएस अधिकारी उनके साथ करीब 40 मिनट तक उनकी कार में रहीं और कार रुकते ही निकलकर भागने लगीं। वहीं यह घटना 22 फरवरी की दोपहर की बताई जा रही है। इसके बाद महिला आईपीएस ने डीजीपी जेके त्रिपाठी और गृह मंत्रालय में इस बाबत शिकायत की। फिलहाल शिकायत मिलने के दो दिन बाद तमिलनाडु सरकार ने स्पेशल डीजीपी राजेश दास (कानून व्यवस्था) को उनके पद से हटा दिया है। इतना ही नहीं गृह मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए छह सदस्यीय कमिटी का गठन कर दिया है। जबकि इस बारे में मुख्यमंत्री ईडापड्डी पलानीस्वामी का कहना है कि अभी तक की जांच में कुछ भी साबित नहीं हुआ है। आगे की जांच अभी जारी है।

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शिकायत को बताया राजनीतिक

वहीं अपने ऊपर लगे आरोप पर स्पेशल डीजीपी राजेश दास का कहना है कि शिकायत पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि सबको पता है यह शिकायत झूठी है और राजनीतिक है। साथ ही उन्होंने कहा कि आप लोग जांच के परिणाम आने तक इंतजार कीजिए। सच सामने आ जाएगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि आपको पता होना चाहिए कि अभी आप इस मामले में नहीं लिख सकते। वहीं वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले में खुलकर बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।

कार का दरवाजा खुलते ही भागीं महिला आईपीएस

वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो घटनाओं का क्रम त्रिची-चेन्नई राजमार्ग पर बीते रविवार को रात लगभग 10 बजे की है। यहां चुनावी कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री का काफिला कोंगू क्षेत्र से गुजर रहा था। इस दौरान स्पेशल डीजीपी 'वीआईपी ड्यूटी' के बाद चेन्नई वापस लौट रहे थे। रास्ते में ही महिला शिकायतकर्ता का भी क्षेत्र था, जहां से उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों को रिसीव करना था। अधिकारियों का कहना है कि सामान्य तौर पर उन्हें सैल्यूट करने के बाद काफिले में शामिल होना होता था। लेकिन स्पेशल डीजीपी ने उन्हें अपने साथ कार के अंदर बैठने को कहा। इस पर वह कार में बैठ गई, करीब 40 मिनट चलने के बाद कार जैसे ही रुकी वह तुरंत कार से निकलकर भागने लगीं। यहां पर आईजीपी (उत्तर क्षेत्र) के शंकर, डीआईजी एम पांडियन और आईपीएस अधिकारी जियाउल हक दास खड़े थे जो उनके काफिले का इंतजार कर रहे थे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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