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तेजस्वी यादव की बढ़ी मुश्किलें: कटा इनका पत्ता, अब क्या करेंगे लालू के सुपुत्र
दिल्ली के बाद अब बिहार में भी चुनाव होने वाले हैं। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि शायद इस बार यहां पर महागठबंधन होगा। बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने दिल्ली में RJD की करारी हार के बाद इशारों में तेजस्वी यादव पर हमला बोला था।
पटना: दिल्ली के बाद अब बिहार में भी चुनाव होने वाले हैं। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि शायद इस बार यहां पर महागठबंधन होगा। बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने दिल्ली में RJD की करारी हार के बाद इशारों में तेजस्वी यादव पर हमला बोला था। इसके बाद अचानक से एक बड़ी राजनीतिक घटना हुई जब पटना के एक होटल में शरद यादव, उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा हुई थी।
महागठबंधन के बड़े नेता शरद यादव की बड़ी भूमिका तैयार करने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में उपेन्द्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात हुई।
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संकेत की भाषा कुछ कहती है!
वैसे तो, इस मसले पर शरद यादव ने खुलकर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन सांकेतिक भाषा में बड़ा इशारा करते दिखे। शरद यादव ने महागठबंधन को लीड करने के सवाल पर कहा कि दिल्ली ने नई राह दिखाई है, बिहार में भी इसका असर पड़ेगा। वैसे तो फ़िलहाल महागठबंधन का चेहरा कौन होगा, यह आम सहमति से तय किया जाएगा। राजनीति में ये सब बातें होती रहती हैं।
साफ-साफ बोले कुशवाहा
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि शरद यादव महागठबंधन के चेहरा बनें इसमें कुछ भी बताने की ज़रूरत क्या है? नेचुरल चेहरा हैं शरद जी। आज लालू जी बाहर रहते तो तब तो ठीक था। वह चेहरा रहते, लेकिन जब लालू जी बाहर नहीं हैं तो ऐसा चेहरा तो चाहिए और वो शरद जी हैं। कुशवाहा ने कहा कि रही बात मुख्यमंत्री पद के दावेदार की तो महागठबंधन में बाद में तय होगा।
मुकेश सहनी ने बताया अभिभावक
महागठबंधन के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी कहा कि शरद जी हमारे महागठबंधन के चेहरा बनें ये हम चाहते हैं। हम सब शरद जी से सीखते हैं और शरद जी की बात को भी सब लोग मानेंगे। वे महागठबंधन के अभिभावक जैसे हैं। शरद यादव ने कहा कि लोकतंत्र में छोटे से लेकर बड़े कार्यकर्ता तक कभी-कभी बड़ी सीख दे जाते हैं। गठबंधन में एकता बनी रहे ये हम चाहते हैं। अगर कोई विवाद कभी होता है, तब वे लोगों के साथ बैठेंगे और हर तरह की सेवा के लिए भी तैयार हैं।
उपचुनाव से बढ़ने लगी दूरी
खास बात तो ये है कि बिहार में कुछ महीने पहले जब उपचुनाव हुए थे तब तेजस्वी यादव ने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की जगह अकेले उम्मीदवार उतारा था। तभी से महागठबंधन के बड़े नेता नाराज बताए जाते हैं और कई बार तेजस्वी के अगुवाई में चुनाव लड़ने के सवाल पर विरोध के बोल निकाल चुके हैं।
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कांग्रेस ने भी दिखाए तेवर
कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी तेजस्वी यादव के सीएम उम्मीदवार के सवाल पर जवाब टालकर इसका संकेत दे चुके हैं। कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात हवा में उछालकर एक नई सियासत भी शुरू कर दी है। इन सियासी घटनाक्रमों के बीच महागठबंधन के अंदर तीन बड़े नेताओं का एक साथ मिलना और शरद यादव से महागठबंधन को लीड करने का आग्रह करना, तेजस्वी यादव और महागठबंधन के भविष्य के लिए अच्छे इशारे नहीं हैं।