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Telangana Election 2023: कांग्रेस को दक्षिण में बूस्ट, सत्ता विरोधी लहर और भ्रष्टाचार ले डूबे बीआरसएस को
Telangana Election 2023: 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए ये एक महत्वपूर्ण जीत है। कर्नाटक के बाद, तेलंगाना में जीत से दक्षिण में कांग्रेस की स्थिति मजबूत होगी और इससे पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में मदद मिल सकती है।
Telangana Election 2023: तेलंगाना में 2014 में 19 सीटें और 2018 में 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने इस बार तेलंगाना में शानदार प्रदर्शन किया है। कांग्रेस की जीत दरअसल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रति सत्ता विरोधी लहर, बीआरएस सरकार में भ्रष्टाचार और पार्टी के प्रति सामान्य नाराज़गी के कारण है जिसे कांग्रेस ने बखूबी भुनाया।
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए ये एक महत्वपूर्ण जीत है। कर्नाटक के बाद, तेलंगाना में जीत से दक्षिण में कांग्रेस की स्थिति मजबूत होगी और इससे पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में मदद मिल सकती है। लंबे समय के बाद कांग्रेस ने किसी क्षेत्रीय पार्टी से हारने के बाद राजनीतिक स्थान दोबारा हासिल किया है।
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार और दिल्ली जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों से हारने के बाद कांग्रेस वापसी नहीं कर पाई है। तेलंगाना के नतीजे शायद उस प्रवृत्ति को बदल सकते हैं और कांग्रेस को काफी आत्मविश्वास दे सकते हैं।
नतीजों से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा, जिन्होंने न केवल राज्य में आक्रामक प्रचार किया, बल्कि राज्य के नेताओं को भी काफी जगह दी।
बीआरएस से नाराजगी
बीआरएस दूसरों से कहीं आगे रहकर अभियान में सबसे पहले उतरी थी। तीसरी बार जीतने के प्रति आश्वस्त पार्टी ने पुराने सहयोगियों को छोड़ दिया और सात सीटों को छोड़कर अपने लगभग सभी मौजूदा विधायकों को फिर से मैदान में उतारा। इस चुनावी मौसम में पार्टी की प्रचार कहानी कल्याणकारी योजनाओं के इर्दगिर्द थी। पार्टी को कल्याणकारी योजनाओं से बाहर रह गए लोगों, बेरोजगार युवाओं और निराश सरकारी कर्मचारियों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। राज्य में प्रशासन पर मुख्यमंत्री केसीआर के परिवार की कथित पकड़ और कथित भ्रष्टाचार को लेकर भी इसकी आलोचना की गई। कई बीआरएस विधायकों पर भी उनके निर्वाचन क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था।
कांग्रेस की मजबूती
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी छह महीने पहले ही पूरी तरह खत्म हो गई थी। लेकिन वह शानदार तरीके से आगे बढ़ी। कांग्रेस के उत्थान में कई कारकों का योगदान हो सकता है : बीआरएस विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर, कर्नाटक की जीत से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार होना, तेलंगाना इकाई प्रमुख के पद से बंदी संजय को हटाने के बाद भाजपा की गिरावट, और यह आम धारणा कि बीआरएस और एआईएमआईएम भाजपा के साथ मिले हुए हैं।
भाजपा को नुकसान
पिछले छह महीनों में राज्य में भाजपा की स्थिति काफी खराब होती चली गई। कई उप-चुनावों में जीत के साथ भाजपा ने जो गति बनाई थी और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के चुनाव में इसके शानदार प्रदर्शन ने इस धारणा को जन्म दिया था कि यह मौजूदा बीआरएस के लिए प्रमुख चुनौती है। लेकिन ये रफ्तार बहुत जल्द ही ख़त्म हो गई। अधिकांश सर्वेक्षणों ने भी बता दिया था कि यह तीसरे स्थान पर रह सकती है।
जहां तक असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी की बात है तो वह सिर्फ हैदराबाद सिकन्दराबाद तक पहले ही सीमित थी और इस बार तो और सीमित हो कर राह गई। भले ही ओवैसी बंधुओं ने खूब जोर लगाया और अपने पुराने ढर्रे की राजनीतिक लाइन पकड़े रखी लेकिन नतीजा अपेक्षित ही रहा।