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खौफनाक! कब्र से निकली दलित की लाश, भूतों से जुड़ा था राज
आंध्र प्रदेश के तेलंगाना के एक गांव से एक ऐसी खबर आ रही है जिसे जान कर आप चौंक जाएंगे और ये सोचेंगे की लोग आज भी कितना अंधविश्वास में जीते हैं। खबर ये है कि गांव में एक दलित के शव को उसकी कब्र से बाहर निकाला गया। इस शख्स की नौ महीने पहले तालाब में डूबने से मौत हो गई थी।
तेलंगाना: आंध्र प्रदेश के तेलंगाना के एक गांव से एक ऐसी खबर आ रही है जिसे जान कर आप चौंक जाएंगे और ये सोचेंगे की लोग आज भी कितना अंधविश्वास में जीते हैं। खबर ये है कि गांव में एक दलित के शव को उसकी कब्र से बाहर निकाला गया। इस शख्स की नौ महीने पहले तालाब में डूबने से मौत हो गई थी। जानकारी के मुताबिक, गांववालों ने अंधविश्वास के चलते बुरी आत्मा को दूर भगाने और अच्छी बारिश के लिए उसके शव को इसी महीने की शुरुआत में कब्र से बाहर निकाला। ग्रामीणों का मानना था कि उसकी कब्र से गांव पर बुरी आत्माओं की नजर थी।
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वायका तेलंगाना के कोमला गांव का है। यहां 50 साल के मिदनापल्ली भिक्षाम के शव को अवैध रूप से कब्र के बाहर निकाला गया और खोपड़ी को शरीर की बाकी हड्डियों से अलग कर दिया गया। इसके बाद उन हड्डियों को आग की लपटों में भस्म कर दिया गया। दो दिन बाद मंगलवार को उनके परिवार के लोगों को इस घटना के बारे में पड़ोसियों से पता चला।
उस आदमी की मौत 22 दिसंबर 2018 को हुई थी
भिक्षाम को 22 दिसंबर 2018 को मृत पाया गया था। वह करीब 7 दिन पहले मवेशियों को चराने के लिए निकले थे और उसके बाद लापता हो गए थे। कोडुर गांव के कीचड़ वाले तालाब से उनका क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ था। उसके परिवार ने बताया कि 23 दिसंबर को शव का पुलिस, राजस्व और चिकित्सा अधिकारियों की उपस्थिति में सीटू पोस्टमार्टम किया गया था, जिसके बाद उसी तालाब के पास उनके शव को दफना दिया गया।
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'ऊंची जाति' के हिंदुओं और दलितों के एक समूह ने इस साल 28 अगस्त में उसके कब्र को लेकर आपत्ति जताई थी। इनमें गांव के सरपंच के बेटे, टीआरएस के स्थानीय सदस्य भी शामिल थे। उन लोगों ने शव को तत्काल स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। हालांकि उस तालाब के आसपास रहने वाले कोमला या कोदुर गांव के किसी भी शख्स ने भिक्षाम को दफनाने का विरोध नहीं किया था।
परिवार ने 10 दिन का समय मांगा था
पीड़ित के बहनोई एस वेंकटैया के हवाले से बताया, 'वो कह रहे थे कि भिक्षाम की कब्र के कारण गांव बुरी तरह से प्रभावित था।' आगे उन्होंने बताया कि उनके दबाव में आकर परिवार कब्र को शिफ्ट करने के लिए तैयार भी हो गया था, लेकिन परिवार ने 10 दिन का समय मांगा था।' वैसे इससे पहले कि परिवार शव को शिफ्ट कर पाता कोडुर के एक मछुआरे ने एक सितंबर को कब्र स्थल पर बड़े टायर के निशान देखे। निशान से पता चल रहा था कि कंकाल के अवशेषों को वहां से हटाने में ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया गया था।
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आरोपियों ने कबूला गुनाह
अरवापल्ली पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया है और मृतक की गरिमा को बहाल करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। तेलंगाना पुलिस के स्थानीय उप-निरीक्षक पी लोकेश ने बताया, 'आरोपियों ने अपनी गलती कुबूल कर ली है। मृतक और परिवार की गरिमा को बहाल किया जाएगा। आरोपी की एक नई कब्र का निर्माण किया जा रहा है। अब कोई मामला नहीं है। इसको निपटाया जा चुका है।'