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देश के सबसे लंबे सस्पेंशन पुल का काम अटका, जानिए क्या हुआ...

टिहरी झील पर बन रहे देश के सबसे लंबे सस्पेंशन पुल (डोबरा-चांठी) का निर्माण कार्य इन दिनों आखिरी पड़ाव पर है, लेकिन पुल के सबसे अहम एंकर ब्लॉक की गुणवत्ता के मामले में फिर लापरवाही बरती जा रही है। पिछले साल दिल्ली से सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) की टीम पुल के दोनों एंकर ब्लॉक की जांच के लिए आई थी।

suman
Published on: 21 Jan 2020 6:47 AM GMT
देश के सबसे लंबे सस्पेंशन पुल का काम अटका, जानिए क्या हुआ...
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टिहरी झील पर बन रहे देश के सबसे लंबे सस्पेंशन पुल (डोबरा-चांठी) का निर्माण कार्य इन दिनों आखिरी पड़ाव पर है, लेकिन पुल के सबसे अहम एंकर ब्लॉक की गुणवत्ता के मामले में फिर लापरवाही बरती जा रही है। पिछले साल दिल्ली से सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) की टीम पुल के दोनों एंकर ब्लॉक की जांच के लिए आई थी। तब टीम ने एंकर ब्लॉक के ट्रीटमेंट की बात भी कही थी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी सीआरआरआइ की टीम ने लोनिवि निर्माण खंड को यह जानकारी नहीं दी कि किस तरह का ट्रीटमेंट होना है। यही वजह है कि पुल के एंकर ब्लॉक का काम नहीं हो पा रहा है।

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डोबरा-चांठी पुल पर निर्माण कार्य वर्ष 2006 में शुरू हुआ था, जो डिजाइन फेल होने के कारण वर्ष 2010 में बंद हो गया। वर्ष 2016 में डेढ़ अरब की लागत से दोबारा निर्माण कार्य शुरू किया गया। पुल का डिजाइन दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन ने तैयार किया है। मार्च 2020 में पुल को वाहनों के लिए खोला जाना निर्धारित था, लेकिन इस बीच फिर से लापरवाही सामने आ रही है। दरअसल, बीते साल लोनिवि ने पुल के एंकर ब्लॉक (दोनों छोर पर बने पुल का भार ङोलने वाले पिलर) की जांच दिल्ली के सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम से कराई गई थी। तब टीम ने एंकर ब्लॉक के पुराने होने के कारण उसके ट्रीटमेंट की बात कही थी। लेकिन एक साल बाद भी ट्रीटमेंट रिपोर्ट लोनिवि को नहीं मिली। जिस कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

टिहरी बांध प्रभावित प्रतापनगर और उत्तरकाशी के गाजणा क्षेत्र की बड़ी आबादी को जोड़ने वाले डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है। इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है। इसमें 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड है। पुल की कुल चौड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर है, जबकि फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है।

01 साल बाद भी इस टीम ने लोनिवि को नहीं दी ट्रीटमेंट रिपोर्ट, जिसके चलते अवरुद्ध है पुल के एंकर ब्लॉक का काम, विलंब और विलंब के चलते हो रहा नुकसान जांच का विषय 2006 में शुरू हुआ था पुल का निर्माण, डिजाइन फेल होने के कारण 2010 में बंद हो गया, 2016 में डेढ़ अरब की लागत से दोबारा शुरू किया गया।

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साल 2018 में पुल के चांठी एबेडमेंट की तरफ लगाए जा रहे तीन सस्पेंडर (पुल के बेस को लटकाने वाले लोहे के रस्से) अचानक टूट गए थे। जिससे पुल का निर्माणाधीन हिस्सा टेढ़ा हो गया। वह तो गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। इसी से सबक लेते हुए लोनिवि ने एंकर ब्लॉक की जांच सीआरआरआइ से कराने का निर्णय लिया था। क्योंकि एंकर ब्लॉक भी वर्ष 2011 में बनाए गए थे और इतना समय बीतने पर उनकी क्षमता पर क्या असर पड़ा, इसका पता लगाया जाना जरूरी था।

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