TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

भारत के पहले पीएम पंडित नेहरू, जिनकी वसीयत में वतन के लिए लिखी थी ये बातें

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज 55वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन यानी 27 मई 1964 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

Vidushi Mishra
Published on: 27 May 2019 11:12 AM IST
भारत के पहले पीएम पंडित नेहरू, जिनकी वसीयत में वतन के लिए लिखी थी ये बातें
X

नई दिल्ली : देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज 55वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन यानी 27 मई 1964 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में एक इज्जतदार और रुतबा रखने वाले परिवार में हुआ था।

यह भी देखें... देश के पहले PM नेहरू की पुण्यतिथि, प्रणब, सोनिया, मनमोहन और राहुल ने दी श्रद्धांजलि

नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू एक रुतबेदार वकील थे। वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के लीडर भी रहे। पंडित जवाहरलाल नेहरू की माता का नाम स्वरूप रानी था। वे एक कश्मीरी ब्राह्मण थी और मो‍तीलाल नेहरू से उनका विवाह 1886 में हुआ।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का शुरुआती जीवन इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में ही गुजरा। उनको दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से प्राप्त करने के बाद वे केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए, जहां उन्होंने तीन वर्ष तक अध्ययन करके प्रकृति विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त की। लंदन के इनर टेंपल में वकालत की पढ़ाई की।

पंडित नेहरू शुरू से ही महात्मा गांधी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। वे गांधी जी साथ कई जगहों पर गए।1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

इसे भी पढ़ें : एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने मिग-21 को उड़ाकर दी कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि

1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी। 1935 में अलमोड़ा जेल में 'आत्मकथा' लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और वे अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।

उन्होंने 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954) को सुशोभित किया। 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस्त 1942 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए।

उनके पहनावे का हर कोई दीवाना था। ऊंची कॉलर वाली जैकेट की उनकी पसंद ने नेहरू जैकेट को फैशन आइकन बना दिया। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने नवीन भारत के सपने को साकार करने की कोशिश की। उन्होंने 1950 में कई नियम बनाए, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक विकास शुरू किया।

कहा जाता है कि सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे, किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। 27 मई 1964 की सुबह नेहरू की तबीयत खराब हो गई और और दो बजे उनका निधन हो गया।

पंडित नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा था- "मैं चाहता हूं कि मेरी मुट्ठीभर राख प्रयाग के संगम में बहा दी जाए जो हिन्दुस्तान के दामन को चूमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखरा दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिलकर एक हो जाए..."

इसे भी पढ़ें : टप्पू के पापा आज लाखों के ढेर मे, कभी जेब में नोटों के लिए महीनों तरसते थे……

पंडित नेहरू के निधन के बाद सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था- 'जवाहरलाल नेहरू हमारी पीढ़ी के एक महानतम व्यक्ति थे। वे एक ऐसे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे जिनकी मानव-मुक्ति के प्रति सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी। स्वाधीनता-संग्राम के योद्धा के रूप में वे यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माता थे।'



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story