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Air Travel: हवाई यात्रा में एयर टर्बुलेंस तो होगा ही, लेकिन घबराएँ नहीं

Air Travel: हवा में टर्बुलेंस या विक्षोभ तब होता है जब कोई चीज इस हवा के स्मूथ प्रवाह को बाधित करती है और नतीजतन हवा ऊपर और नीचे के साथ-साथ क्षैतिज रूप से चलना शुरू कर देती है। जब ऐसा होता है, तो परिस्थितियाँ पल-पल और जगह-जगह बदल सकती हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 18 May 2023 12:21 AM IST
Air Travel: हवाई यात्रा में एयर टर्बुलेंस तो होगा ही, लेकिन घबराएँ नहीं
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Photo- Social Media

Air Travel: हवाई यात्रा में ये आम बात है –आप मस्ती में सफर कर रहे हैं तभी अचानक सीट-बेल्ट की रोशनी जल जाती है और विमान हिचकोले खाने लगता है। ज्यादातर समय ये झटके क्षणिक होते हैं और किसी को कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन कभी कभी ये झटके इतना तेज होते हैं कि यात्रियों या फ्लाइट अटेंडेंट को चोटें लग सकती हैं। ऐसा ही दिल्ली से सिडनी जा रही एयरइंडिया की फ्लाइट में हुआ जिसमें कुछ यात्रियों को चोटें लग गईं। लेकिन उड़ते समय विमान में झटके लगते ही क्यों हैं? क्या है ये मामला?

हवा का बहाव

दरअसल, उड़ते समय विमान में झटके लगना या हिचकोले खाना हवा की वजह से होता है। यूं तो हवा एक स्थिर प्रवाह में रहती है लेकिन जब हवा अराजक या रैंडम तरीके से बहने लगती है तो हवा के बीच उड़ रहा विमान भी उससे प्रभावित हो जाता है। अधिक ऊंचाई पर हवा आमतौर पर एक चिकनी और क्षैतिज धारा में चलती है जिसे "लैमिनार फ्लो" कहा जाता है। यह स्थिर उड़ान के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करती है। प्राकृतिक विक्षोभ और इसके कारणों को समझने के लिए हमें यह समझना होगा कि विमान कैसे उड़ता है।

हवाई जहाज के पंखों को एयरफ्लो को विभाजित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। यह पंख के ऊपर और नीचे एक दबाव अंतर बनाता है। यह अंतर ऊपर की ओर बल बनाता है जिसे लिफ्ट कहा जाता है। जब लिफ्ट ग्रेविटी से ज्यादा होती है तो प्लेन ऊपर जाता है। और जब यह बराबर होता है, तो हवाई जहाज सुगम तरीके से पर आगे बढ़ता है। टर्बुलेंस तब आता है जब उस संतुलन में व्यवधान होता है। सीधे शब्दों में कहें तो टर्बुलेंस हवा की गति और सतह पर हवा की दिशा में बदलाव है जब हवा का बहाव ऊपर नीचे होगा तो हवाई जहाज के पंख भी उसी के साथ डगमगायेंगे।

कब होता है टर्बुलेंस

हवा में टर्बुलेंस या विक्षोभ तब होता है जब कोई चीज इस हवा के स्मूथ प्रवाह को बाधित करती है और नतीजतन हवा ऊपर और नीचे के साथ-साथ क्षैतिज रूप से चलना शुरू कर देती है। जब ऐसा होता है, तो परिस्थितियाँ पल-पल और जगह-जगह बदल सकती हैं। सामान्य उड़ान स्थितियां उसी तरह होती हैं जैसे शांत समुद्र की शीशे जैसी सतह होती है। लेकिन जब हवा का बहाव आता है शीशे जैसी सतह चटक जाती हैं, या लहरें बनती हैं और टूट जाती हैं और यही विक्षोभ है।

यात्री उड़ानों को प्रभावित करने वाली अशांति का पहला कारण तूफान होता है। तूफ़ान में हवा लहर की तरह ऊपर - नीचे बहने लगती है और बहुत अशांति पैदा करती है। यह अशांति आसपास के क्षेत्र में फैल सकती है। तूफ़ान "वायुमंडलीय तरंगें" भी बना सकते हैं, जो आसपास की हवा में फैलती हैं और अंततः टूट जाती हैं, जिससे टर्बुलेंस पैदा होता है। जब विमान हवा में उड़ रहा होता है तो पायलट आमतौर पर आंधी को अपनी आखों से आगे देख सकते हैं या रडार पर उनको इसका पता चल जाता है। ऐसे में पायलट अपने विमान को तूफ़ान के किनारे से निकलने का प्रयास करते हैं।

टर्बुलेंस के अन्य सामान्य कारण को आमतौर पर "क्लियर एयर टर्बुलेंस" कहा जाता है। यह टर्बुलेंस बादलों के बगैर निकलता है और पूरी तरह से क्लियर दिखता है इसलिए इसे चकमा देना कठिन होता है। तूफ़ान में तो बदल दीखते हैं लेकिन क्लियर एयर में कोई बादल होता ही नहीं है।

जेट स्ट्रीम

टर्बुलेंस का एक कारण जेट स्ट्रीम है। ये ऊपरी वायुमंडल में तेज रफ़्तार वाली हवाएं होती हैं। उसी ऊँचाई पर यात्री जेट उड़ते हैं। जेट स्ट्रीम के अंदर तो हवा काफी सुचारू रूप से चलती है, लेकिन जेट स्ट्रीम के ऊपर और नीचे के पास अक्सर टर्बुलेंस होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जेट स्ट्रीम और उसके बाहर की हवा के बीच हवा की गति "विंड शीयर" में बड़ा अंतर होता है। विंड शीयर का हाई लेवल टर्बुलेंस पैदा करता है।

एक अन्य चीज जो टर्बुलेंस पैदा करती है वह है पहाड़। जैसे ही हवा एक पर्वत श्रृंखला पर बहती है वह एक अन्य प्रकार की लहर पैदा करती है – जिसे ‘पहाड़ की लहर’ कहा जाता है। यह हवा के बहाव को बाधित करती है और टर्बुलेंस पैदा कर सकती है।

क्या टर्बुलेंस से बचा जा सकता है?

पायलट हवाई अशांति से बचने की पूरी कोशिश करते हैं और इससे आमतौर पर बच निकलते हैं। लेकिन साफ़ हवा वाले टर्बुलेंस से बचना पेचीदा होता है। जब पायलट टर्बुलेंस का सामना करते हैं, तो वे इससे बचने की कोशिश करने के लिए ऊंचाई बदल देंगे। वे टर्बुलेंस की सूचना एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को भी देते हैं, जो क्षेत्र में अन्य उड़ानों को सूचना देते हैं ताकि वे इससे बचने का प्रयास कर सकें। मौसम पूर्वानुमान केंद्र भी टर्बुलेंस के पूर्वानुमान प्रदान करते हैं। वातावरण में क्या हो रहा है, इसके अपने मॉडल के आधार पर वे अनुमान लगा सकते हैं कि क्लियर एयर में अशांति कब और कहाँ हो सकती है।

जलवायु परिवर्तन का असर

जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होती जा रही है, जलवायु परिवर्तन हो रहा है सो एयर टर्बुलेंस भी और बढ़ेगा। एक कारण यह है कि जेट स्ट्रीम और अधिक तीव्र हो सकती हैं। चूंकि पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र भूमध्य रेखा से दूर फैले हुए हैं, इसलिए जेट स्ट्रीम उनके साथ आगे बढ़ रही हैं। कुछ उड़ान मार्गों पर टर्बुलेंस बढ़ने की संभावना है। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि जेट स्ट्रीम के आसपास विंड शीयर अधिक तीव्र हो गया है।

कितना खतरनाक हैं एयर टर्बुलेंस

जब एयर टर्बुलेंस से विमान डगमगाता या हिचकोले खाता है तो यात्री भगवन को याद करने लगते हैं। उनको लगता है कि अब तो गए। लेकिन ये जान लें कि टर्बुलेंस के कारण कभी कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ है।

दरअसल, हवाई जहाज बहुत मज़बूती से बनाए जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि ऊबड़-खाबड़ सड़क पर एक स्मूथ ड्राइव के लिए कार में अलग-अलग चीजें डिजाईन की जाती हैं। हवाई जहाज में भी ऐसे इतने सारे हिस्से होते हैं जो अंदर बने होते हैं ताकि हवाई जहाज एयर टर्बुलेंस से सुरक्षित रूप से निपटने में सक्षम हो सके। आधुनिक विमानों को अत्यधिक परीक्षण के माध्यम से गुजारा जाता है ताकि विमान किसी भी टर्बुलेंस से कहीं ज्यादा खराब स्थिति में अपनी सीमा में बना रहे। पायलटों को भी इन सभी स्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है और वे जानते हैं कि टर्बुलेंस में क्या करना है।

हर साल दुनिया भर में कमर्शियल उड़ानों में सैकड़ों यात्री और फ्लाइट अटेंडेंट एयर टर्बुलेंस के कारन घायल होते हैं। लेकिन, हर साल उड़ने वाले करोड़ों लोगों को देखते हुए यह संख्या नगण्य है। एयर टर्बुलेंस आमतौर पर अल्पकालिक होता है। तीव्र टर्बुलेंस में जो लोग घायल होते हैं उनमें से अधिकांश वे होते हैं जो सीट बेल्ट नहीं लगाये हुए थे। अपनी सुरक्षा करने का सबसे आसान तरीका अपनी सीट बेल्ट पहनना है।

एयर टर्बुलेंस से हवाई जहाजों को नुकसान भी हो सकता है। एक अनुमान है कि लगभग दस फीसदी उड़ानें गंभीर टर्बुलेंस का सामना करती हैं। टर्बुलेंस के कारण विमान क्रैश होना लगभग अनसुना है। सामान के गिरने या लोगों के टकराने से आम तौर पर नुकसान केबिन सीटों और ऊपर के डिब्बे को होता है।



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Neel Mani Lal

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