×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अंग्रेजी हुकूमत की ये इमारतें: जो आज भी दिलाती हैं उनकी यादें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में कोलकाता में तीन इमारतों का लोकापर्ण किया। ब्रिटिश काल में निर्मित ये तीनों प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व की इमारतें हैं। अब इन्हें नया रंग रूप दिया गया है, जानते हैं इनके बारे में..

Shivakant Shukla
Published on: 13 Jan 2020 6:41 PM IST
अंग्रेजी हुकूमत की ये इमारतें: जो आज भी दिलाती हैं उनकी यादें
X

कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में कोलकाता में तीन इमारतों का लोकापर्ण किया। ब्रिटिश काल में निर्मित ये तीनों प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व की इमारतें हैं। अब इन्हें नया रंग रूप दिया गया है, जानते हैं इनके बारे में..

करेंसी बिल्डिंग

150 वर्ष पुरानी ये इमारत कोलकाता के डलहौजी स्कवायर में स्थित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की वेबसाइट के अनुसार करेंसी बिल्डिंग 1833 में बनी थी और इसमें ‘आगरा बैंक’ का था। इसका नाम करेंसी बिल्डिंग उस समय पड़ा जब तत्कालीन सरकार ने 1866 में आगरा बैंक लिमिटेड से काफी जगह लेकर अपना करेंसी डिपार्टमेंट यहां स्थापित कर दिया।

आजादी के बाद करेंसी बिल्डिंग केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आ गई और 1994 तक इसमें रिजर्व बैंक का दफ्तर चलता रहा। 1996 में सीपीडब्लूडी ने इस बिल्डिंग को ढहाना शुरू कर दिया। ढहाने का कम तब रुका जब कलकत्ता म्यूनिसिपल कार्पोरेशन ने और इंटैक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज) ने इस पर आपत्ति जताई।

ये भी पढ़ें—करोड़ों में खेलते हैं ये बच्चे: कमाई जान दंग रह जाएंगे आप..

2002 में एएसआई ने इस इमारत को ‘संरक्षित’ घोषित कर दिया और उसके बाद 2005 में इस इमारत की कस्टडी एएसआई को मिली लेकिन तब तक तीन विशालकाय केंद्रीय गुम्बद ढहाए जा चुके थे। एएसआई ने मोदी सरकार के दौरान इस इमारत के पुनरुद्धार का काम किया है। अब इस इमारत में प्रदर्शनी जैसे इवेंट आयोजित किये जाएंगे। इस कड़ी में सबसे पहला इवेंट है जूट व सिल्क प्रदर्शनी।

मेटकाफ हॉल

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘मेटकाफ हॉल’ का भी लोकार्पण किया गया है। ये भी एक हेरीटेज बिल्ंिडग है जो कोलकाता शहर के बीच में स्ट्रैंड रोड पर स्थित है। ये इमारत 1840-44 के बीच बनी थी और इसका नाम भारत के गवर्नर जनरल सर चाल्र्स टी. मैटकाफ द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए किए गए काम के सम्मान में उनके नाम पर रखा गया। शुरुआत में इस इमारत में कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी हुआ करती थी जिसके पहले मालिक थे द्वारकानाथ टैगोर।

लाइब्रेरी की स्थापना के लिए लार्ड मैटकाफ ने फोर्ट विलियम कॉलेज से 4675 पुस्तकें यहां भिजवाईं थीं। आज इस इमारत में एशियाटिक सोसाइटी की लाइब्रेरी है तथा पहली मंजिल पर प्रदर्शनी की गैलरियां व एएसआई का सेल्स काउंटर है। सफेद रंग की इस दोमंजिली इमारत में 30 विशालकाय स्तंभ हैं जो १९वीं सदी के ब्रिटिश स्थापत्य का बेहतरीन नमूना हैं।

बेलवर्डे हाउस

कोलकाता की तीसरी इमारत है बेलवर्डे हाउस जो 30 एकड़ में बने बेलवर्डे इस्टेट का हिस्सा है। बेलवर्डे इस्टेट में भारत के वायसरॉय का महल हुआ करता था। माना जाता है कि जब मीर जाफर अली खान कलकत्ता में था तब उसने इस इलाके में कई इमारतें बनवाईं और इसे वारेन हेस्टिंग्स को उपहार स्वरूप दे दिया। बंगाल के पहले गर्वनर जनरल वारेन हेस्टिंग्स (1773-1775) यहीं पर निवास करते थे। बेलवर्डे हाउस का स्थापत्य इटैलियन रेनेसां स्टाइल का है।

जब 1992 में भारत की राजधानी दिल्ली हो गई तो वायसरॉय वहां चले गए लेकिन बेलवर्डे हाउस को उनके कलकत्ता निवास के रूप में ही रहने दिया गया। बाद में इसे बंगाल के गर्वनर का आवास बना दिया गया।

ये भी पढ़ें—फिल्मों पर सियासत शुरू: तान्हाजी को टैक्स फ्री करके योगी ने दिया कांग्रेस को जवाब

1948 से यहां नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया स्थित है जहां सवा दो करोड़ पुस्तकें संग्रहीत हैं। इसके वाचनालय में 500 लोग एकसाथ बैठ सकते हैं। जब कोलकाता में ब्रिटिश राज की बात की जाती है बेलवर्डे इस्टेट को उस युग के सबसे महत्वपूर्ण स्मारकों में माना जाता है। ये इमारत अलीपुर जू के ठीक सामने स्थित है।



\
Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story