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चाय वाले को तो आप जानते ही हैं, अब जानिए जूस वाले को, मोदी का है जबरा फैन

आइए आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे मे बताएं जिसने अपना भविष्य बनाने के लिए पढ़ाई कर अपने माता पिता का नाम रोशन करने के लिए ठान लिया था। लेकिन आज वही शख्स बीए, और बीएड करने के बाद अच्छी जाॅब पाने के लिए कम्पूटर के तमाम कोर्स करने के बाद भी आज उसे बाजार में जूस का ठेला लगाना पङ रहा है।

Roshni Khan
Published on: 28 Jun 2019 5:30 PM IST
चाय वाले को तो आप जानते ही हैं, अब जानिए जूस वाले को, मोदी का है जबरा फैन
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शाहजहांपुर: आइए आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे मे बताएं जिसने अपना भविष्य बनाने के लिए पढ़ाई कर अपने माता पिता का नाम रोशन करने के लिए ठान लिया था। लेकिन आज वही शख्स बीए, और बीएड करने के बाद अच्छी जाॅब पाने के लिए कम्पूटर के तमाम कोर्स करने के बाद भी आज उसे बाजार में जूस का ठेला लगाना पङ रहा है।

हालांकि कुछ वक्त इस शख्स ने जाॅब की लेकिन उतनी सैलरी मे घर का खर्च पूरा नही होता था। उसके बाद इस शख्स ने बाजार मे गन्ने के जूस का ठेला लगाया और अब ये शख्स इस काम मे इतना कमाता है कि जाॅब की जरूर महसूस नही होती।

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दरअसल ये कहानी थाना पुवायां क्षेत्र के गांव हरदयाल कूचा नौगवां केे रहने वाले रामेश्वर दयाल के बेटे शिवकुमार की है। शिवकुमार के पिता गन्ने के जूस का ठेला लगाकर अपने परिवार का पेट पालते है। साथ ही अपने बेटे शिवकुमार को अपना भविष्य संवारने और अपने परिवार आर्थिक तंगी से दूर करने के लिए पढ़ाया लिखाया।

ताकि पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी मिल जाने के बाद पिता को कुछ आराम मिल जाए। शिवकुमार ने पिता की मेनहत को देखते हुए खूश मन लगाकर पढ़ाई की। बीए के बाद बीएड किया। उसके बाद कम्प्यूटर का बेसिक कोर्स किया, कम्प्यूटर का बैकअप एंड स्टोरेज कोर्स के बाद उन्होंने हार्डवेयर व साफ्टवेयर का कोर्स किया।

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शिवकुमार बताते है कि उन्होंने पढ़ाई के बाद शेयर मार्केटिंग के आफिस मे जाॅब की। लेकिन वहां पर महज पांच हजार रूपए सैलरी मिलती थी। उतने पैसे घर का खर्च पूरा नही होता था। उसके बाद शहर जाकर नौकरी की तलाश की लेकिन प्राईवेट जाॅब मे उतना पैसा नही मिल पाता है जितने मे घर चलाने के लिए चाहिए होते है।

सरकारी नौकरी के लिए काफी प्रयास किए। काफी फार्म भरे लेकिन कुछ नही हुआ। करीब एक साल पहले सोचा जब मेरे पिता जी ने जूस का ठेला लगाकर मां तीन बहने और हमे खुद पाल पोसकर पङा लिखकर इस लायक बना दिया तो फिर हम ये काम क्यों नही कर सकते है।

शिवकुमार ने बताया कि एक साल पहले जूस का ठेला लगाने के लिए एक ठेले का इंतजाम किया। पिता जी इजाजत मांगी और उसके बाद नखासे बाग के पास आकर जूस का ठेला लगा लिया। हालांकि उस वक्त आसपास के रहने वाले लोग और रिश्तेदारों ने कहा कि इतनी पङाई करने से क्या फायदा हुआ।

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जब जूस ही बेचना था तो पङाई क्यों की क्यों पिता के पैसे को बर्बाद किया। तब हमारी हिम्मत टूटने लगी थी। लेकिन फिर सोचा कि मेनहत मे कोई चोरी नही होती। तब जूस का ठेला लगाकर दिन रात इतनी मेनहत की आज जाॅब की जरूरत ही नही पङती। क्योंकि आज हम इस जूस के ठेले से रोज 600 से 700 रूपये रोज कमा लेते है। जबकि जब जाॅब करते थे तब महज पांच हजार रूपए ही कमा पाते थे। इसलिये आज हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति काफी बेहतर हो गई।

शिवकुमार का कहना है कि जब चाय बेचने वाला शख्स देश का पीएम बनकर देश का प्रतिनिधित्व कर सकते है। तो फिर हम बीए करने के बाद जूस बेचकर अपने परिवार की आर्थिक तंगी को दूर क्यों नही कर सकते है। उनका कहना है कि काम कोई छोटा या बड़ा नही होता है। बस जरूर होती उस को मेनहत और लगन के साथ तरक्की करने की ताकि बगैर नौकरी के भी आप अपने ख्वाहिशें पूरी कर सकते है।

Roshni Khan

Roshni Khan

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