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तीन भाषा विवाद पर शिक्षा मंत्री का ताजा बयान, तमिलनाडु में हिंदी का क्या होगा सबकुछ बताए धर्मेंद्र प्रधान
Three Languages Controversy: तीन भाषा विवाद भारत में 1960 के दशक में शुरू हुआ था। यह भारत में हिंदी, अंग्रेजी, और क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग के बारे में है।
Education Minister Dharmendra Pradhan on Three Languages Controversy
Three Languages Controversy: दक्षिण भारत तीन भाषा नीति के खिलाफ है। इसे अपनाने से उनका सीधा इनकार है। जिसमें तमिलनाडु की आवाज विरोध के लिए सबसे ज्यादा प्रखर है। इस पर राज्य के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन की काफी तीखी टिप्पणी भी सामने आई। यहां तक कि तो उन्होंने युद्ध की भी धमकी दे डाली। नई शिक्षा नीति और तीन भाषाओं के विवाद पर शिक्षा मंत्री का ताजा बयान सामने आया है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने क्या कहा
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति और तीन भाषाओं के विवाद पर कहा, "जिनके पास कोई तथ्य नहीं है, वे केवल हल्ला करके विषय को भ्रमित करना चाहते हैं। पिछले दिनों भारत सरकार की तमिलनाडु सरकार से चर्चा हुई थी। इसमें समझौते का एक रास्ता भी निकला था। उसी रास्ते पर तमिलनाडु सरकार राजी हो जाए, हमें उन्हें 'पीएम श्री' एलोकेशन (आवंटन) देने में कोई आपत्ति नहीं है। हम उनसे बार-बार अनुरोध करते आए हैं। "
क्या है पीएम श्री एलोकेशन
'पीएम श्री' का फुल फॉर्म है पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है। से आज से तीन साल पहले 7 सितंबर 2022 को मंत्रिमंडल द्वारा इसे स्वीकृत किया गया। इस योजना के तहत केंद्र सरकार, राज्य, संघ राज्य क्षेत्र सरकार, स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूलों में से मौजूदा स्कूलों को सुदृढ़ करके 14500 से अधिक पीएम श्री स्कूल स्थापित करने का प्रावधान है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का संचालन
पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करते हैं। और समय के हिसाब से आदर्श स्कूल के रूप में उभरते हैं। यही नहीं आस-पास के अन्य स्कूलों का नेतृत्व भी करते हैं। ये स्कूल अपने-अपने क्षेत्रों के स्कूल में आनंदमय वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने का काम करते हैं।
पीएम श्री स्कूलों का चयन पारदर्शी
पीएम श्री स्कूलों का चयन पारदर्शी चुनौतीपूर्ण सिस्टम के जरिए किया जाता है। जिसमें स्कूल आदर्श स्कूल बनने के लिए सहायता के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इस परियोजना की कुल लागत 5 सालों के समय में 27360 करोड़ रुपये होगी। जिसमें 18128 करोड़ रुपये का केंद्रीय अंश शामिल है।
तीन भाषा नियम क्या है
तीन भाषा नियम भारत में शिक्षा के माध्यम के रूप में भाषाओं के उपयोग के लिए एक नियम है। जो 1968 में लागू किया गया था। इस नियम के मुताबिक भारत में शिक्षा के माध्यम के रूप में तीन भाषाओं का उपयोग किया जाना चाहिए। जो इस तहर हैं...
1. मातृभाषा: प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा का उपयोग।
2. क्षेत्रीय भाषा: माध्यमिक शिक्षा में क्षेत्रीय भाषा का उपयोग।
3. अंग्रेजी/हिंदी: उच्च शिक्षा में अंग्रेजी या हिंदी का उपयोग।
तीन भाषा नियम के उद्देश्य
1. भाषाई विविधता का सम्मान: तीन भाषा नियम का उद्देश्य भारत की भाषाई विविधता का सम्मान करना है।
2. क्षेत्रीय भाषाओं का विकास: इस नियम का उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं के विकास को बढ़ावा देना है।
3. राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना: तीन भाषा नियम का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है और देश की विविध भाषाओं को एक साथ लाना है।
तीन भाषा विवाद क्या है
तीन भाषा विवाद भारत में एक महत्वपूर्ण शैक्षिक और राजनीतिक मुद्दा है, जो 1960 के दशक में शुरू हुआ था। यह विवाद भारत में शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी, अंग्रेजी, और क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग के बारे में है।
तीन भाषा विवाद के ये कुछ मुख्य वजह हैं...
1. मातृभाषा: प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा का उपयोग।
2. क्षेत्रीय भाषा: माध्यमिक शिक्षा में क्षेत्रीय भाषा का उपयोग।
3. अंग्रेजी/हिंदी: उच्च शिक्षा में अंग्रेजी या हिंदी का उपयोग।
विवाद के कारण
1. भाषाई असमानता: कुछ राज्यों में हिंदी को थोपा जाने के कारण भाषाई असमानता की समस्या उत्पन्न हुई।
2. क्षेत्रीय भाषाओं की उपेक्षा: क्षेत्रीय भाषाओं की उपेक्षा के कारण कुछ राज्यों में आक्रोश फैला।
3. अंग्रेजी की बढ़ती प्रमुखता: अंग्रेजी की बढ़ती प्रमुखता के कारण कुछ लोगों ने इसे एक विदेशी भाषा के रूप में देखा।