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आज ही के दिन समुंदर में समा गयीं थीं लाखों चींखें, दिख रहा था सिर्फ तबाही का मंज़र
सुनामी (Tsunami), एक ऐसा मंजर जिसने हर किसी के रोंगते खड़े कर दिए। दुनिया इस तबाही की गवाह बनी। प्रकृति का कहर लाखों पर बरपा और उनको अपनी जान गवानी पड़ी। कहा जाता है कि वो प्राकृतिक आपदा से हुई ऐसी बर्बादी पहले शायद ही देखी गई थी। 26 दिसंबर का दिन इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। आज ही के दिन भारत समेत इंडोनेशिया और कई अन्य देशों ने इस रूंह कपा देने वाली प्राकृतक आपदा का सामना किया था।
आज के दिन भारत समेत कई देशों में आई थी सुनामी:
26 दिसंबर 2004 को दुनिया के इतिहास में सबसे दुखद दिन के तौर पर याद किया जाता है। समुद्र के भीतर उठी सुनामी ने भारत सहित कई देशों में भारी तबाही मचाई। रात के अँधेरे में हिंद महासागर से उठी उग्र लहरों का पानी कई तटीय इलाकों में बसे रिहायशी क्षेत्रों को ले डूबा।
विश्व के लिए पहला था ऐसा प्राकृतिक आपदा का मंजर:
सुनामी पूरी दुनिया के लिए एक नई सी प्राकृतिक आपदा थी, जिसके बारे में कोई पूर्व चेतावनी जैसी कोई प्रणाली नहीं हुआ करती थी। भूकंप और सुनामी से इतनी तबाही पिछले 40 साल में विश्व ने नहीं देखी थी।
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18 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए:
कई देशों के करीब दो लाख से ज्यादा लोग इस आपदा के शिकार हुए। बात भारत की करें तो आंकड़ों के मुताबिक़ करीब 10 हजार लोगों की मौत पता चलता है, लेकिन जानकार मानते हैं कि सुनामी से 15 हजार से ज्यादा लोगों की सांसे छीन गईं। वहीं सुनामी के कारण कई देशों में 18 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए। 50 हजार लोग लापता हो गए।
इतना ही नहीं दक्षिण भारत के कई प्रसिद्ध स्थल भी सुनामी की भेंट चढ़ गए थे। कई फीट ऊंची सुनामी की लहरों ने न केवल जान माल, बल्कि देश की धरोहरों को भी तबाह कर दिया था। देश को करीब डेढ़ खरब का नुकसान हुआ था।
इसके अलावा श्रीलंका को 94 खरब, थाईलैंड को 1 खरब और इंडोनेशिया को 2 खरब से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा था।