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जम्मू कश्मीर पर सरकार का प्लान, लगाया ऐसा कानून कि टूटेगी आतंकियों की 'कमर'

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घाटी में सोशल मीडिया का गलत तरीके से इस्तेमाल करने वाले यूजर्स पर UAPA लगाया है। पुलिस ने इस कानून की सख्त धाराओं में सोशल मीडिया...

Deepak Raj
Published on: 18 Feb 2020 1:08 PM GMT
जम्मू कश्मीर पर सरकार का प्लान, लगाया ऐसा कानून कि टूटेगी आतंकियों की कमर
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घाटी में सोशल मीडिया का गलत तरीके से इस्तेमाल करने वाले यूजर्स पर UAPA लगाया है। पुलिस ने इस कानून की सख्त धाराओं में सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ केस दर्ज किया है।

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इस बारे में एफआईआर उस वक्त दर्ज की गई, जब हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया और उसे लोग शेयर करने लगे।

जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बैन लगने के बाद लोग प्रॉक्सी सर्वर के जरिये उसका इस्तेमाल कर रहे थे। गिलानी के वीडियो ऐसे ही प्रॉक्सी सर्वर से अपलोड किया गया और लोगों ने उसे शेयर करना शुरू कर दिया। इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस के साइबर पुलिस स्टेशन ने इस मामले में UAPA के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की है।

जम्मू कश्मीर में सोशल मीडिया यूजर्स पर क्यों लगाया गया UAPA

यूएपीए आतंकवाद और नक्सल से लड़ने के लिए बनाया गया सख्त कानून है। जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल के बाद पुलिस ने इस एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। एफआईआर में कहा गया है कि शरारती तत्वों द्वारा प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल कर अफवाह फैलाई जा रही थी।

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कश्मीर घाटी के मौजूदा हालात के लिए खतरनाक है। इन अफवाहों की वजह से अलगाववादी विचारधारा वाली ताकतों को मजबूती मिलेगी और इसके जरिये आतंक को प्रचारित-प्रसारित किया गया। इसी के बाद घाटी में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ UAPA कानून की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।

कश्मीर में सिर्फ कुछ वेबसाइट के इस्तेमाल की इजाजत

जम्मू-कश्मीर में 6 महीने के इंटरनेट बैन के बाद सरकार ने इसमें ढील दी थी। लेकिन लोग सिर्फ कुछ वेबसाइट को ही देख सकते हैं। सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाया हुआ है। 14 फरवरी को इस बारे में आदेश जारी करते हुए सरकार ने सभी सोशल मीडिया साइट्स पर बैन लगा दिया था। सरकार का कहना था कि घाटी में सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाकर अलगाववादी ताकतें माहौल को ठीक नहीं होने देना चाहती।

क्या है UAPA एक्ट और कितने सख्त हैं इसके प्रावधान

यूएपीए कानून देश और देश के बाहर गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने वाला सख्त कानून है। 1967 के इस कानून में पिछले साल सरकार ने कुछ संशोधन करके इसे और सख्त बना दिया है।

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इस कानून का मुख्य मकसद केंद्र की एजेंसियों और राज्य सरकार को आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए अधिकार देना है। 2019 में एनडीए सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए इस कानून में कुछ और प्रावधान जोड़े हैं।

इस एक्ट के प्रावधान के मुताबिक

-ये पूरे देश में लागू है।

-किसी भी भारतीय या विदेशी के खिलाफ इस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। अपराध करने के लोकेशन या अपराध किस तरह का है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

-अगर अपराध विदेशी धरती पर किया गया है, तब भी इस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

-भारत में रजिस्टर जहाज या विमान में हुए अपराध में भी इस एक्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

-इस एक्ट को मुख्य तौर पर आतंकवाद और नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए बनाया गया है।

-किसी भी तरह के व्यक्तिगत और समूह की गैरकानूनी गतिविधि, जिससे देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को खतरा हो, में इस एक्ट का इस्तेमाल किया जाता है।

- 2019 में इस एक्ट में संशोधन करके नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) को ये अधिकार दिया गया है कि वो किसी भी तरह के आतंकी गतिविधि में शामिल संदिग्ध को आतंकी घोषित कर सकता है।

-2019 के पहले सिर्फ समूहों को आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता था। लेकिन 2019 में एक्ट में संशोधन के बाद किसी व्यक्ति को भी संदिग्ध आतंकी या आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।

इस एक्ट में गिरफ्तार हो चुके हैं कई मशहूर लोग

2007 में इस एक्ट के तहत मशहूर डॉक्टर और मानव अधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन को हिरासत में लिया गया था। उनपर नक्सल गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। 2018 में इसी एक्ट में दलित अधिकार के लिए काम करने वाले सुधीर धवाले को गिरफ्तार किया गया था।

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2018 मे ही आदिवासियों के लिए काम करने वाले महेश राउत को गिरफ्तार किया गया। 2018 में मशहूर कवि वरवरा राव इसी एक्ट में गिरफ्तार हुए। इसके अलावा 2018 में इसी एक्ट में आदिवासियों के अधिकार के लिए काम करने वाली सुधा भारद्वाज, रिसर्च स्कॉलर रोना विल्सन और पत्रकार गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया गया।

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