हाउसफुल जेलों में बेरोकटोक नशे और मोबाइल का कारोबार

पंजाब की जेलों में बीमारी से कितने कैदियों की मौत हुई, कितनों ने सुसाइड किया इसकी जानकारी आरटीआई के जरिए मुख्य सचिव से मांगी गई थी। राज्य के कई जेल अधीक्षकों और वारंट अफसर की ओर से भेजी गई सूचना काफी चौंकाने वाली है।

SK Gautam
Published on: 21 Jan 2020 9:23 AM GMT
हाउसफुल जेलों में बेरोकटोक नशे और मोबाइल का कारोबार
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दुर्गेश पार्थ सारथी

चंडीगढ़: ‘जेल में कैदियों को जानवरों की तरह नहीं रखा जा सकता। उनके भी मानवाधिकार हैं। आप उन्हें ठीक तरह नहीं रख सकते तो बाहर कर दीजिए।’ सुप्रीम कोर्ट की 30 मार्च 2018 को हुई सुनवाई के दौरान की गई इस टिप्पणी का कुछ असर जमीनी स्तर पर हुआ हो ऐसा कतई नहीं है। पंजाब में खासकर देखने को नहीं मिल रहा। यहां की जेलें न सिर्फ हाउसफुल हैं बल्कि ओवरफ्लो कर रही हैं। जेलों में नशे का खुले आम इस्तेमाल हो रहा है, मोबाइल फोन का धïड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। नशा तस्कर और गैंगस्टर जेलों से अपने गिरोह और धंधे को चला रहे हैं।

कितने कैदियों की मौत हुई, कितनों ने किया सुसाइड

जेलों में जरायम की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय जेल पटियाला में सीआरपीएफ के जवानों को तैनात करना पड़ा है। पंजाब की जेलों में बीमारी से कितने कैदियों की मौत हुई, कितनों ने सुसाइड किया इसकी जानकारी आरटीआई के जरिए मुख्य सचिव से मांगी गई थी। राज्य के कई जेल अधीक्षकों और वारंट अफसर की ओर से भेजी गई सूचना काफी चौंकाने वाली है। जेल के अंदर आत्महत्या व बीमारी से मरने वाले कैदियों व बंदियों की संख्या चिंता का विषय है। जेल अस्पताल में केवल मौत के सर्टिफिकेट से लेकर पोस्टमार्टम तक ही काम होता है।

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आरटीआई से माध्यम से 30 सितंबर 2018 तक की मिली जानकारी के अनुसार पंजाब में कुल 24 जेल हैं, इसमें से 9 सेंट्रल जेल, 10 ओपन जेल व सात सब जेल शामिल हैं। दसूहा व फगवाड़ा सब जेल को बंद कर दिया गया है। सबसे बुरा हाल पटियाला सेंट्रल जेल का है। इस जेल में 1781कैदियों को रखने की क्षमता है, जबकि 2072 कैदियों को रखा गया है।

सेंट्रल जेल कुल बंदी कुल क्षमता

फिरोजपुर 1384 1236

पटियाला 2072 1781

लुधियाना 3082 3200

अमृतसर 3384 2266

बठिंडा 1568 2375

कपूरथला 3015 2990

गुरदासपुर 950 950

फरीदकोट 1827 2072

होशियारपुर 870 723

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जिला जेल

संगरूर 863 650

एमएसजे नाभा 225 462

न्यू जेल नाभा 854 850

रूपनगर 699 475

मानसा 649 633

बीजे लुधियाना 271 500

डब्ल्यूजे लुधियाना 189 320

मुक्तसर साहिब 483 900

बरनाला 379 435

ओपन जेल नाभा 55 75

सब जेल

मोगा 78 75

पट्टी 222 204

फाजिल्का 65 48

मालेरकोटला 138 170

पठानकोट 217 280

मानसा में 11 व पटियाला में 63 बंदियों की बीमारी से मौत

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार मानसा जेल में दुष्कर्म के 15 हत्या के 96 व डकैती के 8 बंदी हैं। 11 बंदियों की मौत बीमारी से हुई है। पटियाला में 54 दुष्कर्म, 163 हत्या व 4 डकैती के बंदी हैं। 63 बंदियों की मौत बीमारी से इलाज के दौरान हुई, जबकि 5 ने आत्महत्या कर ली।

गुरदासपुर में इन पांच सालों के दौरान सबसे ज्यादा 59 कैदियों की मौत बीमारी से हुई है। 2017 में छह और 2018 में सितंबर तक चार कैदियों की मौत बीमारी से हुई है। दो बंदियों ने आत्महत्या कर ली। रूपनगर में इस अंतराल के दौरान 16 बंदियों की मौत बीमारी से हुई है, जबकि 3 ने आत्महत्या कर ली। एमएसजे नाभा में दो कैदियों ने आत्महत्या कर ली, जबकि एक कैदी की मौत जेल में बीमारी के कारण हुई है।

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पैरोल देने में पटियाला प्रथम

एक जनवरी 2015 से 11 सितंबर 2018 बंदियों को पैरोल देने के मामले में पटियाला जेल प्रबंधन सबसे आगे रहा। इस दौरान 3703 बंदियों को पैरोल दिया गया, जिसमें से 22 समय पर वापस नहीं पहुंचने के कारण भगोड़े करार दिए गए। महिला जेल लुधियाना ने 220, एमएसजे नाभा ने 889 को पैरोल दिया। यहां सात कैदी समय पर नहीं पहुंचे। मानसा में 933 बंदियों को पैरोल दिया गया और 12 भगोड़े घोषित किए गए।

लुधियाना में 95 को पैरोल मिला

सजा पूरी करने वाला मुलजिम कोई नहीं- रूपनगर, बठिंडा, गुरदासपुर, लुधियाना, मानसा, नाभा अदि जगहों से मिली सूचना के मुताबिक अभी तक उनके पास एक भी ऐसा कैदी नहीं है, जिसकी सजा पूरी हो चुकी हो उसे न छोड़ा गया हो।

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