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Uniform Civil Code: सिखों का आनंद मैरिज एक्ट और यूसीसी का विरोध
Uniform Civil Code: सिख ग्रुपों के अनुसार उन्हें अलग धर्म के रूप में पहचान मिलनी चाहिए। सिखों की मांग की जड़ में है "आनंद मैरिज एक्ट" जिसे ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था।
Uniform Civil Code: देश में समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड या यूसीसी के पक्ष विपक्ष में माहौल गरमाया हुआ है। मुस्लिम समुदाय के बाद अब सिख समुदाय के शीर्ष संगठन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने यूसीसी का विरोध किया है। दिलचस्प बात ये है कि सिखों का कोई अलग पर्सनल लॉ नहीं है लेकिन फिर भी यूसीसी का विरोध है।
दरअसल, सिख समुदाय अरसे से पृथक पर्सनल लॉ की मांग कर रहा है। चूंकि देश में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई आदि अलग अलग पर्सनल लॉ हैं सो सिख भी यही मांग करते रहे हैं। सिख ग्रुपों के अनुसार उन्हें अलग धर्म के रूप में पहचान मिलनी चाहिए। सिखों की मांग की जड़ में है "आनंद मैरिज एक्ट" जिसे ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था।
आनंद मैरिज एक्ट
दरअसल, जब सर्वोच्च न्यायालय ने विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया, तो सिखों के लिए अपने विवाहों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत कराना अनिवार्य हो गया। तब सिखों ने आनंद विवाह अधिनियम, 1909 नामक पहले से मौजूद अधिनियम में संशोधन कराने के लिए हरसंभव प्रयास किया। यह अधिनियम ब्रिटिश विधान परिषद द्वारा पारित किया गया और पहली बार सिख विवाह को "आनंद" के माध्यम से मान्यता दी गई, जिसे आम रूप से "आनंद कारज" के नाम से भी जाना जाता है।
2012 में किया गया संशोधन
केंद्र सरकार द्वारा 2012 में आनंद विवाह अधिनियम में संशोधन किया गया था, जिसमें सिखों द्वारा आनंद या आनंद कारज के माध्यम से किए गए विवाह के पंजीकरण का प्रावधान रखा गया था। इसके तहत सिख आनंद विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी का पंजीकरण करा सकते हैं।
संशोधन विधेयक के अनुसार, जिन जोड़ों की शादियां इस अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं, उन्हें अपनी शादी को जन्म, विवाह और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 या उस समय लागू किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं होगी।
केंद्र सरकार द्वारा संशोधन के बाद, राज्यों को इस नए संशोधित अधिनियम के तहत सिखों के आनंद विवाहों के पंजीकरण की सुविधा के लिए अपने नियम बनाने थे। हालाँकि, सिर्फ हरियाणा ने 2014 में और बाद में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और 2016 में पंजाब सरकार ने अपने नियम बनाए लेकिन किसी अन्य राज्य ने नियम नहीं बनाए।
बहरहाल, सिख ग्रुप जो समुदाय के लिए पृथक पर्सनल लॉ की मांग करते रहे हैं वे यूसीसी का विरोध कर रहे हैं। भारत सरकार पहले ही सिखों के लिए अलग निजी कानून की मांग ठुकरा चुकी है।