TRENDING TAGS :
सूबों में नहीं सुधरे सेहत के हालात तो की जाएगी बजट में बड़ी कटौती: नीति आयोग
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कि रिपोर्ट में देश की राजधानी दिल्ली सहित उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक शामिल है। वहीं हरियाणा और पंजाब की स्थिति में काफी सुधार आया है और इनकी रैंकिंग भी सुधरी है। मंत्रालय ने इन राज्यों को अतिरिक्त आर्थिक मदद करने का फैसला लिया है।
नई दिल्ली: भारत सरकार का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य के मुद्दे को लेकर गंभीरता अपनाते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने कहा है कि जल्द ही इन राज्यों को मिलने वाली सालाना आर्थिक मदद में कटौती करने जा रहा है। नीति आयोग ने रिपोर्ट में करीब 14 राज्यों का प्रदर्शन सबसे खराब मिला है।
ये भी देखें : बड़ी हड़ताल: विलय के विरोध में राजस्व कर्मी, घिरेगी योगी सरकार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कि रिपोर्ट में देश की राजधानी दिल्ली सहित उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक शामिल है। वहीं हरियाणा और पंजाब की स्थिति में काफी सुधार आया है और इनकी रैंकिंग भी सुधरी है। मंत्रालय ने इन राज्यों को अतिरिक्त आर्थिक मदद करने का फैसला लिया है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहतर बनाने के उद्देश्य से मंत्रालय ने पिछले साल रैकिंग सिस्टम शुरू किया था। इसकी रिपोर्ट अब जारी की गई है। इसमें दिल्ली सहित 10 राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को पैनल्टी पर रखा है।
इन चार राज्यों को किया गया है बाहर
अधिकारी ने बताया कि चार राज्यों सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड को -20 अंकों के साथ बाहर कर दिया है। कुल 36 राज्य और केंद्र शासित राज्यों में जो राज्यों का प्रदर्शन न कम न सुधार मिला है। जबकि शेष 20 राज्यों को अतिरिक्त मदद की जाएगी।
ये भी देखें :बड़ी हड़ताल: विलय के विरोध में राजस्व कर्मी, घिरेगी योगी सरकार
मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सालाना आर्थिक मदद जो दी जाती है वो करीब 3265 करोड़ रुपये कि है। इस बजट को सभी राज्यों को आवंटित किया जाता है। बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव मंद गति से देखने को मिल रहा है। इसीलिए 7 बिंदुओं के मानकों पर सभी राज्यों का आंकलन करने के बाद रिपोर्ट तैयार की है। जिन राज्यों का प्रदर्शन खराब है उन्हें इस बार 20 फीसदी तक बजट में कटौती की जाएगी।
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छह राज्य
राज्य अंक
दादर एवं नागर हवेली 14
हरियाणा 13
असम 12
केरल 08
पंजाब 08
आंध्र प्रदेश 07
सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले छह राज्य
राज्य अंक
पश्चिम बंगाल- 7
मध्यप्रदेश- 7
उत्तराखंड- 8
बिहार- 12
लक्षद्वीप- 12
दिल्ली- 5
(बाहर किए गए चार राज्य इसमें शामिल नहीं हैं)
अंडमान निकोबार और राजस्थान को शून्य अंक मिला है। इसका मतलब इनके बजट में कटौती नहीं होगी, लेकिन इन्हें चेतावनी जरूर मिली है।
ये भी देखें : करवा चौथ पर इस समय दिखेगा चांद, इस मुहूर्त में करें पूजा
नहीं किया सुधार, लगी करोड़ों रुपये की चपत
जिन राज्यों ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं किया है उन्हें करोड़ों रुपये की चपत लगी है। केंद्र से मिलने वाली आर्थिक मदद में इस बार करोड़ों रुपये की कटौती होगी। बिहार के बजट में करीब 155, मध्यप्रदेश 86, हिमाचल प्रदेश 9.56, जम्मू कश्मीर 9.69, उत्तराखंड 23.36, गोवा 0.56, पश्चिम बंगाल 60.35, मिजोरम 3.03, लक्ष्यद्वीप 0.66 और दिल्ली के बजट में 7.48 करोड़ रुपये की कटौती की जाएगी। जबकि परफॉर्मेंस से बाहर अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम को कोई मदद नहीं की जाएगी।
इन राज्यों को मिलेगा बोनस
जिन राज्यों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार मिला है उन्हें सरकार ने अतिरिक्त यानि बोनस देने का फैसला लिया है। इनमें यूपी को 50.24, हरियाणा को 34.15, पंजाब 22.59, त्रिपुरा 8.23, मणिपुर 5.08, असम को 129.42, पांडिचेरी 1.51, दमन और दीव 0.88, दादर नागर 2.68, चंडीगढ़ 1.3, तमिलनाडू 28.39, महाराष्ट्र 63.14, केरल 22.53, कर्नाटक 41.74, गुजरात 33.15, आंध्र प्रदेश 40, तेलंगाना 21, ओड़िशा 20, झारखंड 26 और छत्तीसगढ़ को 31 करोड़ रुपये का बोनस मिलेगा।
ये भी देखें : राहत: फिर घटे पेट्रोल-डीजल के दाम, जानिए क्या है आज की कीमत
नीति आयोग की रिपोर्ट :
16 राज्यों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं आया है, 20 में बेहतर प्रदर्शन।
पंजाब और दमन-दीव में बेहतर तरीके से संचालित हैं हेल्थ और वेलनेस सेंटर।
जम्मू कश्मीर, बिहार, पश्चिम बंगाल, नागालैंड और अंडमान निकोबार में मानसिक स्वास्थ्य पर सुविधाएं बेहद निराशाजनक मिली हैं।
उत्तर प्रदेश और झारखंड में जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जरूरी।
देश की राजधानी दिल्ली में 30 वर्ष के एक भी व्यक्ति की जांच नहीं की गई।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पीएचसी स्तर पर काफी सुधार की आवश्यकता।