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UP BJP Meeting in Delhi: उत्तर प्रदेश को लेकर दिल्ली में भाजपा की आज बड़ी बैठक, जुटेंगे तमाम दिग्गज, 2024 की रणनीति पर होगा मंथन

UP BJP Meeting in Delhi: सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने और 60 प्रतिशत मत हासिल करने के इस भारी भरकम टारगेट को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दिल्ली में भाजपाई दिग्गजों का आज जमावड़ा होने वाला है।

Krishna Chaudhary
Published on: 2 Nov 2023 11:55 AM IST (Updated on: 2 Nov 2023 1:04 PM IST)
Rajasthan Election 2023 BJP released fifth list
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Rajasthan Election 2023 BJP released fifth list (photo: social media )

UP BJP Meeting in Delhi: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर जारी धुंआधार प्रचार अभियान के बीच भारतीय जनता पार्टी 2024 की रणनीति तैयार करने में जुटी है। पार्टी का मुख्य फोकस सबसे अधिक सांसदों वाला राज्य उत्तर प्रदेश पर है। जो लगातार दो बार केंद्र में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने में मददगार रही है। बीजेपी ने इस बार यूपी में क्लीन स्विप करने का लक्ष्य तय रखा है।

सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने और 60 प्रतिशत मत हासिल करने के इस भारी भरकम टारगेट को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दिल्ली में भाजपाई दिग्गजों का आज जमावड़ा होने वाला है। गुरूवार को दिल्ली स्थित पार्टी के केंद्रीय मुख्यालय में आयोजित बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा यूपी बीजेपी के पिछड़े वर्ग से आने वाले कई बड़े नेता भी बैठक में शामिल होंगे।

ओबीसी वोटरों को साधने की रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को ओबीसी चेहरा बताकर भारतीय जनता पार्टी को उन वर्गों तक पहुंचा दिया है, जिसकी सालों पहले कल्पना नहीं की गई थी। ब्राह्मण – बनिया की पार्टी कही जाने वाली भाजपा ने उनके करिश्माई नेतृत्व के बैनर तले जातीय राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा माने जाने वाले यूपी-बिहार में लालू यादव-मुलायम सिंह यादव जैसे कद्दावर ओबीसी नेताओं को धूल चटा दी। लेकिन पिछले दिनों बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद से ओबीसी राजनीति को नई दिशा मिल गई है।

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विपक्षी पार्टियां सत्तारूढ़ भाजपा पर जाति आधारित जनगणना कराने का लगातार दवाब बना रही हैं। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की मुख्य सियासी प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी ने तो अगले आम चुनाव के लिए इसे सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने भाषणों और कार्यक्रमों में जातीय जनगणना की मांग हमेशा उठाते हैं। उन्होंने बीजेपी के आक्रमक हिंदुत्व को काउंटर करने के लिए पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का नया समीकरण ईजाद किया है। बीजेपी के लिए एक चुनौती उसकी सहयोगी पार्टियां भी हैं। अपना दल ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन करते हुए इसे कराने की मांग की है।

यूपी की राजनीति में पिछड़ों की ताकत क्या है, इसे बताने की जरूरत नहीं है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिला विराट जनादेश बगैर इनके समर्थन के संभव नहीं था। अब पार्टी के सामने उनके समर्थन को अपने साथ बरकरार रखने की चुनौती है। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, जाति जनगणना का मुद्दा पिछड़े वर्ग के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है। लिहाजा इस मुद्दे की काट तैयार करने के साथ ही पिछड़े वर्ग के वोट बैंक में पकड़ बनाए रखने को लेकर पार्टी चिंतित है। पिछड़ों को साधने की सपा की आक्रमक रणनीति को काउंटर करने और नए मतदाता को पार्टी से जोड़ने पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसके अलावा भगवा दल की नजर मुस्लिम मतों में सेंधमारी करने पर भी है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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