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UP Nikay Chunav: 31 मार्च के बाद ही हो पाएगा यूपी निकाय चुनाव! जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण संबंधी मुद्दे पर बुधवार को योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।
UP Nikay Chunav: यूपी में निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) में ओबीसी आरक्षण संबंधी मुद्दे पर बुधवार (04 जनवरी) को योगी आदित्यनाथ सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के ओबीसी आरक्षण पर आदेश के बाद यूपी में सियासी हलचल तेज हो गई। कोर्ट के आदेश ने राजनीतिक रूप ले लिया था। हाई कोर्ट ने 27 दिसंबर 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई ओबीसी सूची (OBC list) को भी खारिज कर दिया था। अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उसी मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 3 महीने का समय बहुत लंबा है
यूपी नगर निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार ने कहा कि, 'राज्य में डीलिमिटेशन (Delimitation) प्रक्रिया तीन महीने में पूरी कर ली जाएगी। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, तीन महीने का समय बहुत लंबा है। क्या इसे और पहले पूरा नहीं किया जा सकता? इस पर यूपी सरकार ने कहा कि कमीशन के अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। पूछकर बताया जाएगा कि कितना समय लगेगा।'
3 महीने के बाद ही निकाय चुनाव संभव
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी तक चुनाव कराने की इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। इस रोक के बाद ही साफ हो गया कि अब ओबीसी आयोग (OBC Commission) की रिपोर्ट के बाद ही उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव हो पाना संभव है। आयोग की रिपोर्ट आने में करीब 3 महीने का समय लगेगा। अर्थात यूपी में अब 31 मार्च 2023 से पहले नगर निकाय चुनाव होना संभव नहीं है।
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आपको बता दें, यह रोक तीन हफ्ते तक की ही है। तब तक सरकार को बताना होगा कि OBC आयोग की रिपोर्ट कितनी जल्दी आ सकती है। इसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि यूपी में नगर निकाय चुनाव कब होगा। लेकिन, ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के मुद्दे पर घिरी यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अब चुनाव ओबीसी आरक्षण के बाद ही हो पायेगा।
क्या कहा था हाईकोर्ट ने?
गौरतलब है कि, 27 दिसंबर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट से यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ा झटका लगा था। अदालत ने प्रदेश सरकार की उस ओबीसी लिस्ट को खारिज कर दिया था, जिसके बल पर निकाय चुनाव कराने की तैयारी की गई थी। हाईकोर्ट ने साफ-साफ कहा था, कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं किया है। उसके बिना ही निकाय चुनाव की घोषणा की गई है। तब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी कहा था कि वो बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा सकती है। लेकिन, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
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बिना आरक्षण नहीं होगा निकाय चुनाव
चूंकि, हाईकोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक रूप लेने लगा था। विपक्ष प्रदेश सरकार और बीजेपी पर हमलावर हो चली थी। तब योगी सरकार ने साफ कर दिया था कि बिना आरक्षण के वो निकाय चुनाव नहीं करवाएगी। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच सदस्यीय आयोग गठित की। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट में मामले को चुनौती भी दी। मांग हुई थी कि हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया जाए। आज सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
आयोग में कौन-कौन?
योगी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के 24 घंटे के भीतर आयोग गठित कर दिया। यह आयोग मानकों के आधार पर पिछड़े वर्ग की आबादी को लेकर सर्वे करेगी। जिसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इस आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह (Retired Justice Ram Avtar Singh) को बनाया गया है। अन्य सदस्यों में चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा तथा ब्रजेश सोनी शामिल हैं। यह आयोग गवर्नर की सहमति से 6 महीने के लिए गठित किया गया है। आयोग को जल्द से जल्द सर्वे रिपोर्ट सरकार को सौंपनी है।